मैसलो का मानवतावादी परिप्रेक्ष्य (Humanistic Prepective of Maslo)
मैसलो के अनुसार व्यक्ति में व्यक्तिगत लक्ष्य तक पहुँचने की प्रवृत्ति पायी जाती है। इस प्रवृत्ति में उसका व्यवहार निर्देशित होता है। मैसलो का मत है कि मानव अभिप्रेरक न केवल जन्मजात होते हैं बल्कि इन प्रेरकों को प्राथमिकता के आधार पर आरोही क्रम व्यवस्थित किया जा सकता है।
मैसलो ने पाँच प्रकार के प्रेरकों को बताया है :
1. मनोदैहिक या शारीरिक प्रेरक,
2. सुरक्षा प्रेरक,
3. प्रेम एवं लगाव प्रेरक,
4. आत्म सम्मान प्रेरक,
5. आत्मानुभूति प्रेरक
1. मनोदैहिक या शारीरिक प्रेरक- वे प्रेरक जो व्यक्ति में बुनियादी आवश्यकताओं के कारण उत्पन्न होते हैं, मनोदैहिक प्रेरक कहलाते हैं। जैसे-भूख, प्यास, नींद, मल-मूत्र आदि । इसके पूर्ति के अभाव में व्यक्ति का शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है। जब तक इन प्राथमिक आवश्यकताओं की संतुष्टि नहीं होती, तब तक उच्चतम स्तर की आवश्यकताएँ उत्पन्न नहीं होती।
2. सुरक्षा प्रेरक — मनोदैहिक आवश्यकताओं को पूर्ण होने पर व्यक्ति अपने जीवन की सुरक्षा के प्रति प्रेरित होता है। वह ऐसा उपाय ढूँढने का प्रयास करता है, जिससे उसके जीवन को कोई खतरा न हो । अतः यह प्रेरक व्यक्ति को सम्भावित संकट का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रखने में सहायक होती है।
3. प्रेम एवं लगाव प्रेरक — अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के पश्चात् व्यक्ति समाज से प्रेम, स्नेह सहानुभूति की अपेक्षा करता है । वह इसी भावना से प्रेरित होकर अपने सम्बन्धियों, पड़ोसियों, दोस्तों तथा अन्य दूसरे लोगों के साथ मधुर सम्बन्ध कायम करता है वह दूसरों को स्नेह देने और दूसरों से स्नेह लेने की अपेक्षा करता है।
4. आत्मसम्मान प्रेरक — समाज में मधुर सम्बन्ध स्थापित करने के साथ-साथ मनुष्य अपने अहं तथा आत्मसम्मान को भी बचाये रखने का प्रयास करता है। वह समझता है कि आत्मसम्मान की रक्षा में ही उसके जीवन की सार्थकता है। अपमान की जिन्दगी मनुष्य जरा भी बर्दाश्त नहीं करना चाहता। अतः यह उच्चस्तरीय आवश्यकता है।
5. आत्मानुभूति प्रेरक — मनुष्य की सबसे बड़ी इच्छा यह होती है कि वह समाज की भलाई के लिए कुछ योगदान कर सके ताकि लोग उसे मरने के बाद भी जाने । यह योगदान आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक या आध्यात्मिक किसी भी रुचि में हो सकता है। वह समाज का मार्गदर्शक बनाना चाहता है। इस प्रकार मैसलों के अनुसार उपरोक्त सभी प्रेरक एक-दूसरे से एक कड़ी के रूप में जुड़े हैं तथा व्यक्ति को निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रखते हैं। मैसलो ने प्रथम तीन प्रकार की आवश्यकताओं को निम्न स्तर तथा अन्तिम दो को उच्च स्तर की आवश्यकताएँ माना है।
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