शिक्षक के आदर्शवादी गुण (Idealistic qualities of teacher)
एक अच्छे अध्यापक में अनेक गुण होते हैं। अध्यापक को आदर्शवादी व्यवहारपरक होना चाहिए। जीवन शैली के प्रत्येक मामले में आदर्शवादी होना चाहिए। समय का पाबन्द हो, आदर्शवादी पहनावा हो, बातचीत करने का ढंग समुचित हो, नैतिकता का पालन करने वाला हो, आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण हो, सत्यभाषी, हो, मितभाषी, हो छात्र-छात्राओं का हितैषी हो, सामाजिक क्रियाओं में भाग लेने वाला हो, कल्याणकारी भावना से ओत-प्रोत हो, इत्यादि।
आदर्श अध्यापक के रूप में उसे निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है—
आदर्श अध्यापक की संकल्पना (Concept)—
(1) लक्ष्यपरक क्रियाएँ (Aim Jobs)
(2) दक्षतापरक क्रियाएँ (Skilled Jobs)
(3) कार्यपरक क्रियाएँ (Role Jobs) The concept of an ideal teacher may be defined as aim job, skilled job and role job.
1. लक्ष्यपरक क्रियाएँ (Aim Jobs) – किसी भी अध्यापक का एक लक्ष्य नहीं हो सकता । भिन्न-भिन्न अध्यापकों के लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं। एक ही अध्यापक के अनेक लक्ष्य भी हो सकते हैं। लक्ष्यपरक उद्देश्यों से तात्पर्य हैं, वे उद्देश्य जो अध्यापक को अपने व्यवसाय से सम्बन्धित धारित करने होते हैं अर्थात् जो शिक्षा से सम्बन्धित एवं अध्यापन से सम्बन्धित हों।
An aim job is the aim which is logically connected with job.
2. दक्षतापरक क्रियाएँ (Skilled Jobs)- शिक्षक केवल शिक्षकीय दुकान खोलने भर से नहीं होता, केवल पढ़ाने भर से उसके कर्त्तव्यों की इतिश्री नहीं हो पाती, अच्छा शिक्षक वही है जो अपने छात्रों को विषय में दक्षता प्रदान करता है। इसके लिए उसे स्वयं भी विषय में पारंगत एवं दक्ष होना चाहिए। दक्षता के अधिगम एवं आत्मसात् करने की आवश्यकता के कारण ही बार-बार अभ्यास कराकर छात्र को दक्ष बनाया जाता है।
3. कार्यपरक क्रियाएँ (Role Jobs)– एक अच्छे अध्यापक की कक्षा तक ही क्रियाएँ सीमित नहीं होतीं, उसके नियोजक के प्रति भी कुछ कर्त्तव्य होते हैं, जिनका उसे निर्वहन करना होता है।
विद्यालय सम्बन्धी नीति निर्माण में सहयोग करना, विद्यालय संस्कृति को कायम रखना, समय की पाबन्दी बनाये रखना, विद्यालय में विभिन्न आयोजनों को संचालित करना, विद्यालय के निर्माण कार्य, छात्रों को छात्रवृत्ति, पुस्तकें, अन्य सुविधाएँ उनके पास पहुँचाना, पाठ्य सहगामी क्रियाओं, खेलकूद, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं विद्यालयी उत्सवों (जैसे वार्षिक खेलकूद), शिक्षक-अभिभावक संघ, नियोजक या अधिकारी द्वारा दिये गये निर्देशों को वहन करते हुए विद्यालय के विकास में सहायता करना, ये सब कार्यपरक दक्षताओं के अन्तर्गत आयेंगे। यह एक सामाजिक कार्य है। अधिकार एवं कर्त्तव्य इसी Role के अन्तर्गत आते हैं, जिसके कारण ही समाज भी मानता है कि अध्यापक को विशिष्ट कार्य करना चाहिए एवं कुछ कार्य नहीं करने चाहिए, जैसे सड़कों पर शराब पीकर चलना, लड़ाई-झगड़ा करना, व्यवहार ठीक न होना या चरित्रहीनता तथा नैतिकता विरुद्ध कार्य करने वाले अध्यापक को समाज बर्दाश्त नहीं कर पाता।
सम्प्रेषण के गुण (Qualities of Communication) — ओकशाट के अनुसार, अच्छे अध्यापक वही हैं जो ज्ञान या जानकारी अपने छात्रों को बेहतर ढंग से सम्प्रेषित करने योग्य हों। सम्प्रेषण अनेक बातों पर निर्भर करता है, जैसे- छात्रों की रुचि, भौतिक परिस्थितियाँ, ज्ञान का संगठन, अध्यापन की विधि, पाठ्यवस्तु — इन सबको सँजोकर जो विषयवस्तु को शीघ्रता से सम्प्रेषित कर सके, वही सफल अध्यापक समझा जाता है। छात्र को सम्प्रेषित पाठ्यवस्तु का मूल्यांकन किया जा सकता है। इससे ही अध्यापक की सम्प्रेषनशीलता की जाँच की जा सकती हैं।
अच्छे अध्यापक की पहचान उसके छात्र ज्यादा अच्छी तरह से कर पाते हैं, यदि बालक को सम्प्रेषित विषय कितनी जल्दी उसके मस्तिष्क में बैठता है और कितनी देर तक उसमें पैठ बनाये रखता है। अध्यापक बारे में कमजोर छात्र एवं कक्षा में होशियार छात्र की राय भिन्न भी हो सकती है। इस सम्बन्ध की जाँच का पैमाना निम्न आधार पर निकालना चाहिए। ये भी अध्यापक के आवश्यक गुण ही हैं-
(1) विषयवस्तु में मास्टरी (Mastery of Subject-matter)।
(2) प्रेरणा (Motivation), अध्यापक में प्रेरणा देने की कितनी क्षमता है?
(3) अध्यापन के प्रति समर्पण (Dedication)।
(4) सहयोग (Cooperation), अध्यापन व्यावसाय के प्रति।
(5) खुशमिजाजी (Sense of Humour), यह कक्षा में भी काम आती है, समाज एवं अधिकारियों के बीच भी ।
(6) सृजनशीलता (Creativity), छात्र में यह गुण उत्पन्न करना आवश्यक है। विज्ञान प्रदर्शनी में इसे देखा जा सकता है।
(7) अनुशासन, अध्यापक स्वयं एवं अपने छात्रों को भी अनुशासन में रखने की क्षमता रखता है।
(8) शैक्षिक मानकता (Academic Standard) ।
(9) उचित प्रकार शैक्षणिक विधियाँ अपनाना (Efficient Methodology)।
(10) रिपोर्ट में शीघ्रता (Promptess of Report), निर्देशानुसार चाही गई रिपोर्ट प्रस्तुत करने में शीघ्रता।
अध्यापक में कौशलता के गुण (Skill Qualities in Teacher)
Barry ने अध्यापक के निम्न गुणों को कौशलता के अन्तर्गत समाहित किया है-
1. उत्प्लावन गुण (Buoyoncy Qualaities)
(a) वार्तालाप में निपुणता ( Talkativeness)
(b) खुशमिजाजी (Sense of humour)
(c) प्रसन्नता का गुण (Pleasantness)
(d) परवाह करना अर्थात् लापरवाह न होना (Carefulness)
(e) सजग रहना या सजगता
(f) आदर्शवादी होना ।
2. दूसरों के हित के लिए तैयार रहना (Consideration)
(a) दूसरों की भलाई के लिए सोचना (Feeling of well-being for others)
(b) दूसरों से हमदर्दी रखना ( Sympathy)
(c) समझदारी (Understanding)
(d) नि:स्वार्थ कार्य करना (Selfishness)
(e) धैर्य धारण करना (Patience)
3. सहयोगात्मक रवैया ( सहयोगात्मक व्यवहार) (Cooperativeness)
(a) मित्रतापूर्वक व्यवहार (Friendliness)
(b) सरलतापूर्वक कार्य करना (Easygoingness)
(c) तर्कसम्मत ढंग, अच्छे प्रकार से कार्य करना (Geniality)
(d) उदारता (Generousness)
(e) स्वीकार करना या ग्रहण करना (Adaptability)
(f) लचीलापन होना (दृढ़ता प्रदर्शित न करना) (Flexibility)
(g) उत्तरदायित्व ग्रहण करना (Responsibleness)
(h) दानवीरता (Charitable)
4. संवेगात्मक स्थिरता (Emotional Stability)
(a) जीवन की समस्याओं की वास्तविकताओं को समझाना (Realism in facing life’s problems)
(b) भावनात्मक परेशानियों से मुक्त (Freedom from emotional upsets)
(c) स्थिरता (Constancy)
(d) शान्त एवं आत्मविश्वास (Poise)
(e) आत्म-नियन्त्रित (Self-controlled)
5. नैतिकतापूर्ण (Ethicalness)
(a) अच्छा स्वभाव (Good taste)
(b) आधुनिकता (Modernity)
(c) अच्छा नैतिक आचार व्यवहार (High morality)
(d) अच्छी आदतें एवं मृदुल व्यवहार (Refinement)
(e) सांस्कृतिक स्वच्छता (Cultural Polish)
(f) परम्परागत (Conventional)
6. विचारों का प्रकटीकरण (Expressiveness)
(a) विचारों की अभिव्यक्ति (Expression)
(b) मौखिक धाराप्रवाह अभिव्यक्ति (Verbal fluency)
(c) संवाद प्रेषण (Comminication)
(d) क्षमता (Competency)
(e) साहित्यिकता (Literalness)
7. अग्रतम स्थिति में रहना (Forefulness )
इसका तात्पर्य शारीरिक शक्ति से नहीं, विचारों से सम्बन्धित है।
(a) दूसरों की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण या शक्तिशाली या उल्लेखनीय (Dominance)
(b) दूसरों पर आश्रित नहीं, स्वतन्त्र (Independence)
(c) अपने पैरों पर खड़ा होना (Self-sufficiency)
(d) दृढ़ निश्चय (Determination)
(e) कारणयुक्तता (Purposefulness)
(f) पीछे पड़ना (लगन से) (Persuasiveness)
8. बुद्धिमत्ता (Intelligence)
(a) मानसिक जागरूकता या मानसिक सजगता (Mental alertness)
(b) शैक्षणिक अभिवृत्ति (Academic aptitude)
(c) सारांशकीय क्षमता (Capacity for abstract)
(d) चिन्तन (Thinking)
(e) सम्बन्धों को समझने की शक्ति (Power to comprehend rellationship)
9. न्याय (Judgement)
उचित कार्यकारी चुनाव की बुद्धि क्षमता (Wisdom in the selection of appropriate course of action with cheerlead)
10. उद्देश्यपूर्णता (Objectiveness)
(a) ईमानदारी ( Fairness)
(b) पक्षपात रहित ( Impartiality)
(c) खुले दिमाग से कार्य करना (Openmindedness)
(d) पूर्वधारणाओं से मुक्त (Free from prejudice)
(e) साक्ष्य ज्ञान (Sense of evidence)
11. वैयक्तिक गुण (Personal Qualities)
(a) पहनावा (Dress), सौम्य एवं उचित हो
(b) शारीरिक व्यक्तित्व (Physique) दोषरहित तथा आकर्षक
(c) सफाई (Neatness), साफ-सुथरा व्यक्तित्व
(d) शारीरिक स्वच्छता (Cleanliness)
(e) बैठने का तरीका (Posture)
(f) व्यक्तिगत प्रसन्न एवं आकर्षक मुद्रा (Attractive charming)
(g) दृष्टिगत (Appear)—व्यक्तित्व आकर्षणयुक्त दिखने वाला ।
12. भौतिक ऊर्जा (Physical Energy)
(a) प्रभावी कार्यशैली हेतु सदैव तैयार (Readiness for effective action)
(b) जोशयुक्त ऊर्जा (vigour)
(c) सफलता प्राप्ति हेतु उत्कृष्ट इच्छा (Eagerness to succeed)
(d) दीर्घ इच्छा या कामना ( Ambitious)
(e) जीवन्तता (Vitality)
(f) कठिन से कठिन कार्य बिना शिकायत के करते रहना (Endurance)
13. सत्यनिष्ठता (Truthfulness)
(a) सही मापन (Accuracy)
(b) निर्भरता (Dependability)
(c) ईमानदारी (Honesty)
(d) समय की पाबन्दी (Punctuality)
(e) उत्तरदायित्व निभाना (Reponsibility)
(f) दूसरे के दुःख को महसूस करना (Painslaking)
(g) सत्यता (trustworthiness)
(h) विश्वासपात्रता (Sincerity)
(i) अन्तरात्मा की आवाज सुनना (Consciousness)
14. साधन-सम्पन्नता (Resourcefulness)
(a) अच्छे ढंग से वस्तुओं के पास पहुँच सकने की योग्यता (Capacity for approaching things with good manner)
(b) अपनी ओर से पहल करने वाला (Initiative)
(c) मूल (विचार, कार्यशैली आदि) (Originality)
(d) क्रियाशीलता (Creativeness)
(e) नया व्यवसाय या नया कार्य (Enterprise)
15. स्कॉलिस्टिक दक्षताएँ (Scholistic Proficiency)
(a) उच्च शैक्षिक अभियोग्यता (High scholistic aptitude)
(b) उच्च स्तरीय विषय ज्ञान (Thorought knowledge of subject matter)
(c) कई विषयों के बारे में अच्छी जानकारी (Well informed on may subjects)
(d) उच्च मौखिक अभियोग्यता (High verbal aptitude)
(e) विस्तृत पठन-पाठन, अधिक से अधिक ज्ञान प्रदायिनी पुस्तकें पढ़ी हुई होनी चाहिए।
गुणों के स्तर पर वर्गीकरण (Classification on the Basis of Traits Level)
सामाजिक जीवन में अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे अध्यापक/अध्यापिकाओं की आवश्यकता होती है। एक उत्तम अध्यापक में जो गुण होने चाहिए, वे निम्न प्रकार से हैं-
प्रथम स्तर पर (Primary Level)
(1) विषयवस्तु का अधिकतम ज्ञान — समुचित शैक्षणिक योग्यता।
(2) मनोविज्ञान — विशेष रूप से अधिगम मनोविज्ञान का ज्ञान।
(3) उसे अपने छात्रों के बारे में तथा उनके मनोविज्ञान के बारे में ज्ञान होना चाहिए, यथा— उनकी योग्यता, आयु, रुचि, योग्यता का स्तर, परिवेश, अभिभावक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का ज्ञान, पारिवारिक समायोजन आदि।
(4) अध्यापक को स्वयं के बारे में उसकी योग्यता, विषय सम्बन्धी ज्ञान, अधिगम के तरीके, व्यक्तित्व, वाक्-चातुर्य, भाषा पर पकड़, नित्य होते हुए परिवर्तन वे चाहे विषयगत हाँ, सामाजिक या प्रशासनिक।
(5) राष्ट्रीय लक्ष्य, शैक्षिक उद्देश्य, विषय सम्बन्धी उद्देश्य, आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक उद्देश्यों से तो वह परिचित हो ही, कक्षागत गतिविधियों को नियन्त्रित करने की क्षमता भी उसमें होनी चाहिए।
(6) अभिभावक, समुदाय एवं समाज से सम्पर्क बनाये रखने की भी उसमें क्षमता होनी चाहिए।
(7) अधिगम की विधियाँ, अभिप्रेरणा, अभियोग्यता से उसे वाकिफ होना चाहिए ।
(8) वह आदर्शवादिता का पालन करने वाला, सत्यनिष्ठ, विश्वसनीय, समय का पाबन्द, छात्रों का हितैषी, मदद करने वाला, खुशमिजाज, नेतृत्व गुण, सद्भाव एवं भेदभाव न करने वाला हो।
द्वितीय स्तर पर ( Second level)
(1) इस स्तर पर सर्वाधिक आवश्यक गुण है—सम्प्रेषण की क्षमता। वह अपने ज्ञान को छात्रों को सम्प्रेषित करने योग्य हो । मृदुभाषी हो, हमदर्दी से अपनी बात को छात्रों के मन में पैठ करा सके, उन्हें प्रोत्साहित कर सके । सम्प्रेषण कला में दक्ष होना आवश्यक है।
(2) छात्रों की रुचियों को देखते हुए उसे अध्यापन विधियों का ज्ञान होना चाहिए और यह भी कौन-सा विषय अथवा उसके अंश को किस प्रकार की विधि से पढ़ाया जाये, जिससे बालक शीघ्र से शीघ्र उसे समाहित कर ले ।
(3) विषय को स्पष्टता, संक्षिप्तता एवं तार्किक ढंग से उदाहरण सहित अध्यापन का गुण अध्यापक को आना चाहिए । भाषागत अशुद्धि, उच्चारण सम्बन्धी त्रुटि नहीं होनी चाहिए। स्पष्टीकरण, सरलता एवं आरोह-अवरोह का ज्ञान अध्यापक के लिए आवश्यक है।
(4) आधुनिक अध्यापक/अध्यापिका में व्यवसायगत दक्षता अर्थात् शिक्षण सम्बन्ध उद्यमगत क्षमता होनी चाहिए।
(5) शिक्षण उद्यम पर उसे रुचि एवं गर्व होना चाहिए।
(6) प्रजातान्त्रिक मूल्यों पर श्रद्धा, दायित्व बोध हो। उसमें भावनात्मक स्थिरता भी होनी चाहिए।
(7) अध्यापकीय व्यक्तित्व, छात्र- प्रेम, सहानुभूति, सहृदयता, प्रभावी सम्प्रेषण, निःस्वार्थ सेवा, मदद के लिए सदैव तत्पर अध्यापक के व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देते हैं।
(8) प्रसन्नचित्त व्यक्तित्व, प्रभावशाली व्यक्तित्व अध्यापक के लिए बड़ा कीमती होता है। सद्भावना, स्नेह भाव, छात्रों के प्रति प्रेम तथा सहयोगात्मक प्रवृत्ति अध्यापक के व्यक्तित्व को और बढ़ा देता है।
तृतीय स्तर (Third Level)
यह वह स्तर है जिसके द्वारा अध्यापक अपने द्वारा प्रभाव डालता है, जैसे-
(1) मार्गदर्शन एवं परामर्श — वैयक्तिक मार्गदर्शन एवं परामर्श देने में संकोच नहीं करता ।
(2) नेतृत्व क्षमताः
(3) उत्तम सांस्कृतिक एवं सांस्कारिक प्रवृत्ति ।
(4) उत्तम कार्य आदत जिसे अधिगमकर्ता सीखकर अनुकरण करता है, जैसे – यदि अध्यापक कक्षा में समय पर पहुँचता है तब छात्र भी समय की पाबन्दी करने लगते हैं।
(5) विभिन्न मानव सम्बन्धों को मजबूत करके आपसी विद्वेष, भेदभाव, हिंसा, घृणा, वैमनस्य कम करने के लिए मानव अधिकारों की रक्षा अध्यापक बेहतर ढंग से पहुँचाता है। वह अपनी निष्पक्षता और वैचारिक दृढ़ता से यह काम सम्पन्न करता है ।
(6) अध्यापक को मूल्यांकनकर्ता के रूप में कार्य वहन करना होता है । मूल्यांकनकर्ता को निष्पक्ष होना चाहिए। नैतिक एवं चारित्रिक दृष्टि से दृढ़ व्यक्ति ही यह काम कर सकता है।
कुछ अन्य विशेषताएँ (Some Other Characteristics)
उत्तम अध्ययन के लिए निम्न अन्य योग्यताएँ भी अपेक्षित हैं, जैसे-
(1) आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के सम्बन्ध की जानकारी होना, कम्प्यूटर आजकल की अनिवार्य आवश्यकता हो गयी है।
(2) नवाचार सम्बन्धी जानकारी— सम्प्रेषण प्रक्रिया के सम्बन्ध में जानकारी।
(3) अधिक से अधिक विषयों की सामान्य जानकारी तथा पठनीय विषयों के अलावा में दक्षता अन्य विषयों में उत्कृष्ट जानकारी का होना।
अध्यापक की आवश्यक दक्षताएँ (Essentials Skills for a Teacher)
उपर्युक्त सभी प्रकार के अध्यापकीय गुणों को दक्षता के रूप में तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
1. संज्ञानात्मक दक्षता (Cognitive Skill ) — पियाजे एवं उसके सहयोगी बारबेल इन्हेल्डनर ने बालकों का ज्ञानात्मक विकास के बारे में बताया कि विकास की प्रक्रिया में.. पहचाने जाने वाले स्तर होते हैं। आयु विस्तार के बीच में ये स्तर आते हैं, इन्हें पहचाना जा सकता है। बालक के विकास की प्रक्रिया वातावरण के साथ सक्रिय प्रतिक्रिया एवं प्रहस्तन पर निर्भर करती है।
ये काल हैं-
(a) संवेगात्मक गामक काल (0 से 2 वर्ष के बीच )।
(b) सम्प्रत्ययात्मक चिन्ता की तैयारी का काल (2 वर्ष से 11 वर्ष के बीच)।
(c) ज्ञानात्मक चिन्तन का काल (11 से 12 वर्ष के बाद का काल )। अध्यापक को इन कालों के बीच का पीरियड के संज्ञानात्मक ज्ञान और वे तथ्य जानने के गुण एवं दक्षता होनी चाहिए, जिससे ज्ञानात्मक विकास के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है।
पियाजे ने सीखने की इस अवधारणा पर जोर दिया है कि सीखना सक्रिय रूप से सूचना को प्रक्रियाबद्ध करना है, जिसका परिणाम नवीन खोज एवं छानबीन है। पियाजे मानते है कि व्यक्ति उत्तेजकों पर ही कार्य करते हैं।
बालक में ज्ञान सम्प्रेषित करने की अनेक विधियाँ हैं। ब्रूनर सीखने की स्वायत्तता पर जोर देता है। ब्रूनर के विचार में ज्ञानात्मक प्रक्रिया तीन लगभग एक साथ होने वाली प्रक्रियाओं को प्रकट करती हैं-
(1) नवीन ज्ञान अथवा सूचना को ग्रहण करना ।
(2) अर्जित ज्ञान का रूपान्तरण ।
(3) ज्ञान की पर्याप्तता की जाँच ।
आसुबेल उपदेश शिक्षण पद्धति को ज्ञान सीखने का बेहतर तरीका बताता है । तात्पर्य यह है कि अध्यापक को ज्ञान ग्रहण करके छात्रों में समुचित ढंग से शीघ्र एवं स्थायी रूप से सम्प्रेषण करने की कला आनी चाहिए ।
2. प्रभावी दक्षता (Effective Skill) प्रभावशाली अध्यापक के सन्दर्भ में अध्यापक में निम्न गुण होने आवश्यक है-
(1) विश्वसनीय (Truthful)
(2) ऊर्जावान (Energetic)
(3) सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार रखने वाला (Affectionate)
(4) सहयोगी (Cooperative)
(5) ईमानदार (Humble )
(6) बिना गलती किये कार्य करने में दक्ष (Efficient)
(7) संसाधनयुक्त (Resourcefulness)
कक्षा में सम्प्रेषण मौखिक या बिना मौखिक (मौन या इशारे अथवा चिन्हों से) हो सकता है। अध्यापक की प्रभाविता इस बात से मापी जाती है कि छात्र में आधारभूत दक्षता का विकास कितना हुआ है। मुख्य आधारभूत दक्षताएँ निम्न हैं-
(1) समझना (Understanding)
(2) कार्य करते रहने की आदत (Work habit)
(3) वांछनीय अभिवृत्तियाँ (Desirable attitudes)
(4) मूल्यों का ज्ञान (Value judgement)
(5) बालकों के साथ अध्यापक का उचित समायोजन (छात्रों के साथ व्यक्तिगत उचित समायोजन)
बार एवं मिटजल ने अध्यापक की प्रभावशीलता का वर्गीकरण तीन प्रकार से किया है.
(1) अधिक बल देना (Pressage criteria)
(2) विधि (Process criteria)
(3) उत्पादन (Product criteria)
Pressage criteria से तात्पर्य है अध्यापक के संज्ञानात्मक गुण, बुद्धिमता, सृजनशीलता, अभिक्षमता एवं अभिवृत्ति।
असंज्ञानात्मक गुणों में व्यक्तित्व, मूल्य, उच्च चारित्रिक गुण आते हैं। असंज्ञानात्मक गुणों को विशेष परिस्थितियों में बढ़ाया जा सकता है।
Process criteria में व्यावहारिक अध्यापन योग्यताएँ एवं दक्षताएँ आती हैं। यह भी मौखिक एवं अमौखिक प्रकार से हो सकती हैं जो कक्षा अध्यापक द्वारा प्रकट होती हैं तो अध्यापक के व्यवहार में आती हैं। इन्हें Pressage criteria द्वारा विकसित किया जा सकता है । तात्पर्य यह कि इन्हें Feedback द्वारा विकसित किया जाता है। यह अध्यापक की प्रभाविता को बढ़ाता
Product criteria यह इस बात से ज्ञात होता है कि बालक ने कितना ज्ञान ग्रहण किया है। ये pressage एवं process criteria पर निर्भर करते हैं। Product criteria की जाँच छात्रों की परीक्षा से की जाती है। अध्यापक के व्यवहार एवं प्रभाव से Product प्रभावित अच्छा गुणवान, विश्वसनीय एवं योग्यताधारी अध्यापक जिसे सम्प्रेषण एवं अध्यापन की विधियों तथा छात्रों की रुचियों का ज्ञान हो, वह product बढ़ा देता है अर्थात् अच्छा अधिगम प्रदान करता है।
3. मनोवैज्ञानिक गतिक दक्षता (Psychomotor Skill) — मनोविज्ञान के अध्ययन से अध्यापकों को स्वयं की योग्यताओं, क्षमताओं, दक्षताओं के बारे में जानकारी तो होती ही है, उसे अधिक से अधिक छात्रों के बारे में उनकी आयु, उनका पूर्व ज्ञान, योग्यताएँ, क्षमताएँ, रुचि, अभिरुचि, कक्षा एवं कक्षा के उसके साथियों एवं विद्यालय से समायोजन के बारे में भी ज्ञान होता है । अध्यापक को यह भी पता होना चाहिए कि उसका पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संस्कारिक सामंजस्यता कितनी है तथा छात्र किस आर्थिक, राजनीतिक परिवेश से निकलकर विद्यालय पहुँचा है।
ब्रूनर के अनुसार, एक अध्यापक को अपने विषय, अध्यापन तकनीक, अधिगम के प्रभावी कारक जो अध्यापन को प्रभावित करते हैं तथा बालक/बालिकाओं के मनोविज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है।
अध्यापक को मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों, बाल विकास एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान होना चाहिए।
उन दक्षताओं का भी ज्ञान होना चाहिए, जिससे वह बालक विकास को निर्देशन देता है। यह निर्देशन शैक्षणिक, स्वास्थ्य सम्बन्धी, व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक प्रकार का हो सकता है।
अध्यापक को विभिन्न प्रकार के दर्शन, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, शिक्षा सम्बन्धी प्रत्ययों का होना चाहिए।
इससे अध्यापक में Pyschomotor एवं Cognitive ( मनोवैज्ञानिक गतिक एवं संज्ञानात्मक) दक्षताओं में वृद्धि होगी, जिससे वह अपने विशिष्ट विषय को ज्यादा बेहतर ढंग से पढ़ा सकेगा।
इसे भी पढ़े…
- शिक्षार्थियों की अभिप्रेरणा को बढ़ाने की विधियाँ
- अधिगम स्थानांतरण का अर्थ, परिभाषा, सिद्धान्त
- अधिगम से संबंधित व्यवहारवादी सिद्धान्त | वर्तमान समय में व्यवहारवादी सिद्धान्त की सिद्धान्त उपयोगिता
- अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, सिद्धान्त
- अभिप्रेरणा की प्रकृति एवं स्रोत
- रचनात्मक अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ
- कार्ल रोजर्स का सामाजिक अधिगम सिद्धांत | मानवीय अधिगम सिद्धान्त
- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन तथा जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा व्यवस्था
- जॉन डीवी के शैक्षिक विचारों का शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियाँ
- दर्शन और शिक्षा के बीच संबंध
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986