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एक शिक्षक से उम्मीद | Expectations from Teacher in Hindi

एक शिक्षक से उम्मीद
एक शिक्षक से उम्मीद

एक शिक्षक से उम्मीद (Expectations from Teacher)

एक शिक्षक विद्यार्थी के लिए उसका आदर्श होता है तथा अपने आचरण के द्वारा उनके व्यक्तित्व का निर्माण करता है अतः समाज को शिक्षक से बहुत-सी उम्मीदें होती है।

भविष्य में कुछ नया, वांछित एवं उपयोगी कार्य करने की इच्छा उम्मीद कहलाती है। शिक्षक शिक्षा तंत्र का वह ध्रुव है जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग को कुछ-न-कुछ उम्मीदें होती हैं। ये उम्मीदें समाज को शिक्षक से हो सकती हैं, विद्यालय को शिक्षक से हो सकती हैं अथवा विद्यार्थियों को शिक्षक से हो सकती हैं।

एक शिक्षक एक ही समय पर कई किरदार निभाता है अतः उसके प्रत्येक किरदार के साथ अलग-अलग उम्मीदें जुड़ी होती हैं समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा शिक्षक से इन उम्मीदों को निम्नलिखित ढंग से वर्गीकृत किया जा सकता है—

1. समाज की शिक्षक से उम्मीद – विद्यालय को समाज का लघु रूप कहा जाता है तथा विद्या अर्थात् शिक्षा का कार्य समाज के लिए भावी एवं सुदृढ़ एवं कुशल नागरिकों का निर्माण करना है इस कार्य का क्रियान्वयन शिक्षक के द्वारा किया जाता है अतः समाज को शिक्षक से निम्न उम्मीदें होती हैं-

(i) विद्यार्थी शुरूआत से ही अपने शिक्षक की छवि बनना चाहते हैं अर्थात् उसके चरित्र से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। अतः एक शिक्षक से उम्मीद की जाती है कि वह सभ्य हो तथा अपने विद्यार्थियों के समक्ष सभ्यता का आदर्श सिद्ध हो।

(ii) शिक्षक को कर्त्तव्यपरायण होना चाहिए तथा अपने कर्त्तव्यों एवं जिम्मेदारियों का निर्वहन उचित प्रकार से करना चाहिए।

(iii) शिक्षक को अपने विद्यार्थियों को सामाजिक तथा आर्थिक विकास का ज्ञान देना चाहिए तथा उन्हें इस काबिल बनाना चाहिए कि वे भविष्य में सामाजिक तथा आर्थिक विकास में सक्रिय सहयोग प्रदान कर सके।

(iv) शिक्षक को अपने विद्यार्थियों को समाज के नियमों तथा आकांक्षाओं से भली प्रकार. अवगत करा देना चाहिए।

(v) एक सभ्य एवं विकासशील समाज के लिए आवश्यक है कि उसके समस्त सदस्यों के मध्य प्रेमपूर्ण सम्बन्ध हो अतः एक शिक्षक से ये उम्मीद की जाती है कि वह अपने विद्यार्थियों में आपसी सहयोग एवं एक-दूसरे के प्रति प्रेम की भावना जाग्रत करें।

विद्यालय की शिक्षक से उम्मीदें

विद्यार्थी अपने घर के अलावा सबसे अधिक समय विद्यालय में व्यतीत करते हैं उन्हें विद्यालय भेजने के पीछे अभिभावकों का यह स्वार्थ होता है कि वह अपने पुत्र/पुत्री का सर्वांगीण विकास की अपेक्षा रखता है। विद्यालय में विद्यार्थी सबसे अधिक शिक्षक से सम्पर्क में रहते हैं अतः अभिभावकों की आकांक्षाओं एवं भावनाओं के अनुरूप विद्यालय की शिक्षक से कुछ उम्मीदें होती हैं जो अग्रलिखित हैं-

(i) विद्यालय शिक्षक से ये आशा करता है वह समयनिष्ठ हो।

(ii) शिक्षक कक्षा में नियमित रूप से अपना शिक्षण कार्य करें।

(iii) शिक्षण के दौरान शिक्षक पाठ्यक्रम को ध्यान में रखें।

(iv) शिक्षक कक्षा में अनुशासन बनाए रखें।

(v) विद्यालय द्वारा सौंपी गयी जिम्मेदारियों का निर्वहन भली एवं समयानुसार करें।

 (vi) शिक्षक विद्यालय द्वारा आयोजित की गयी पाठ्यसहगामी क्रियाओं में विद्यार्थियों का उचित निर्देशन करें।

(vii) विद्यालय में आयोजित समस्त कार्यक्रमों और गतिविधियों में अपनी भागीदारी दे।

(viii) विद्यालय में कार्यक्रम समस्त व्यक्तियों, अपने अधिकारियों, अपने सहयोगियों एवं अधीनस्थों के साथ सौहार्द करें एवं उनका सम्मान करें।

(ix) विद्यार्थियों के अभिभावकों से शिक्षक सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करें तथा उनके बच्चे की गतिविधियों से उन्हें समय-समय पर अवगत करायें ।

विद्यार्थियों की शिक्षक से उम्मीद 

विद्यार्थियों के लिए एक शिक्षक उनके अभिभावक की तरह होता है। विद्यालय में आने वाली समस्त परेशानियों के निस्तारण हेतु वे अपने शिक्षण के पास ही जाते हैं एवं उससे ये आशा करते हैं कि वह उनकी समस्त परेशानियाँ (पाठ्यक्रम सम्बन्धी एवं पाठ्येत्तर ) का समाधान कर देगा। इस प्रकार विद्यार्थियों की अपने शिक्षक से निम्नलिखित उम्मीदें होती हैं-

(i) विद्यार्थियों को शिक्षक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की बहुत ललक होती है इस कार्य हेतु वे बहुत प्रयास करते हैं परन्तु उन्हें यदि फिर भी शिक्षक का ध्यान नहीं मिलता तो वे अनुचित कार्यों के माध्यम से शिक्षक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयत्न करते हैं अतः शिक्षक को ये आवश्यकता है कि वे अपने समस्त विद्यार्थियों पर उचित ध्यान दें।

(ii) शिक्षक उन्हें उचित ज्ञान प्रदान करें।

(iii) शिक्षक उन्हें रूचिकर एवं प्रभावपूर्ण ढंग से पढ़ाएँ।

(iv) शिक्षक समस्त विद्यार्थियों के साथ समान तथा अच्छा व्यवहार करें।

(v) शिक्षक विद्यार्थियों की परेशानियों को सुने तथा उन्हें उचित समाधान प्रदान करें।

(vi) शिक्षक विशिष्ट बालकों पर अधिक ध्यान दें तथा उनकी हर सम्भव सहायता करें।

(vii) विद्यार्थियों को उनकी योग्यता एवं पूर्वज्ञान के अनुरूप पढ़ाएँ।

(viii) शिक्षक विद्यार्थियों की निजता का सम्मान करें तथा उनके व्यक्तित्व का सम्मान करें।

(ix) विद्यार्थी शिक्षक से ये अपेक्षा करते हैं कि वह उन्हें एक अध्यापक की तरह पढ़ाए परन्तु व्यवहार उनके मित्र की भाँति करें। अतः शिक्षक को चाहिए कि वह अपने पद की गरिमा से समझौता किए बिना विद्यार्थियों का मित्र बनने का प्रयत्न करें। अर्थात् वह उनकी भावनाओं को तो समझे परन्तु शिक्षक छात्र सम्बन्ध के नियमों का पालन भी करें।

शिक्षक प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से समाज, विद्यालय, विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों से जुड़ा होता है अतः ये सभी वर्ग उससे अनेक आशायें रखते हैं जिनमें से कुछ को इस पाठ में सम्मिलित किया गया है परन्तु जैसा कि आकांक्षाओं के विषय में कहा जाता है कि आकांक्षाओं की कोई सीमा नहीं होती इसलिए अनेक ऐसे हैं जो इस पाठ में समाहित होने शेष हैं परन्तु आवश्यक तथ्यों को इस पाठ में सम्मिलित करने का पूर्ण प्रयास किया गया है।

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