शिक्षक के उत्तरदायित्व (Responsibilities of Teacher)
इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि शिक्षा की किसी भी योजना के क्रियान्वयन में शिक्षकों की ही निर्णायक भूमिका रहती है। यदि किसी भी देश के भाग्य के निर्माण में उसके बालकों की दी जाने वाली शिक्षा का हाथ माना जाता है तो इस भाग्य का निर्माता कोई और नहीं बल्कि उस देश के शिक्षक ही होते हैं। बच्चों को सामाजिक प्राणी के रूप में रहना सिखाने तथा अच्छे नागरिक के रूप में अपना, अपने देश और सारी मानवता का कल्याण करने में योगदान देने की बात शिक्षकों के प्रयासों का ही प्रतिफल होती।
कुशल और प्रभावशील शिक्षक अपनी योग्यताओं, क्षमताओं तथा गुणों के कारण जहाँ विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने की दिशा में वरदान सिद्ध हो सकते हैं वहीं अक्षम एवं अयोग्य अध्यापक विद्यार्थियों के भविष्य को बिगाड़ भी सकते हैं अर्थात् एक शिक्षक का प्रभाव उसके विद्यार्थियों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है अत: एक शिक्षक से उम्मीद की जाती है कि वह अपने कर्त्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन भली प्रकार करें क्योंकि शिक्षक का प्रभाव उसके विद्यार्थियों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है अतः उससे समाज को विभिन्न उम्मीदें होती हैं।
शिक्षक पूरे शिक्षण तन्त्र की नींव होता है, जिस प्रकार एक भवन को स्थिर एवं दृढ़ / मजबूत बनाए रखने की जिम्मेदारी नींव की होती है ठीक उसी प्रकार किसी देश की अखण्डता और विकास की जिम्मेदारी शिक्षक के कंधों पर होती है उस देश का भविष्य शिक्षक पर निर्भर करता है। जिस कारण एक शिक्षक से समाज के विभिन्न वर्गों की आशायें बंधी होती हैं। फलतः देश अथवा समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारियाँ भी बढ़ जाती हैं। शिक्षक न केवल अपने शिक्षण कार्य के प्रति वरन् कई अन्य पक्षों के प्रति जिम्मेदार होता है। इन जिम्मेदारियों का विवरण निम्नवत् प्रस्तुत है-
पेशेवर जिम्मेदारियाँ — एक शिक्षक की अपने पेशे के प्रति भी कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- छात्रों के प्रति अपने कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों का पालन करना।
- स्कूल योजनाओं, नीतियों और कार्यक्रमों के विकास में सहयोग करना।
- वसीयत और दस्तावेज शिक्षण और सीखने के कार्यक्रमों का विकास करना उचित मूल्यांकन तंत्र को लागू करना।
- विकलांग या अन्य विशेष जरूरतों वाले छात्रों सहित सभी छात्रों के साथ न्याय संगत व्यवहार करना, उनके उपचार की आवश्यकता के प्रति सचेत होना; छात्रों की व्यक्तिगत सीखने की जरूरतों को पूरा करना और उनके या उसके सीखने के परिणामों को अधिकतम करने के लिए प्रत्येक छात्र की सहायता करना।
- प्रभावी ढंग से प्रबंधन और बच्चे के संरक्षण और कल्याण के लिए कार्यक्रमों को लागू करना।
- पाठ्यक्रम, विकास, वितरण और मूल्यांकन कक्षा प्रबंधन और शिक्षण कौशल में दक्षता हासिल करना।
- कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से सदैव ईमानदारी, निष्ठा और निष्पक्षता के साथ अपने कर्त्तव्यों का पालन करना।
- शिक्षक को किसी भी परिस्थिति में एक छात्र के साथ यौन प्रकृति के आचरण में संलग्न नहीं होना चाहिए।
- छात्र को किसी भी परिस्थिति में शारीरिक, भावनात्मक या मानसिक नुकसान नहीं पहुँचना चाहिए।
- विद्यालय प्रशासकों, विशेष सहायक, कर्मियों, सहयोगियों तथा माता-पिता के साथ मिलकर काम करना।
विद्यालय के प्रति जिम्मेदारियाँ—शिक्षक की विद्यालय के प्रति निम्नलिखित जिम्मेदारियाँ होती हैं—
- शिक्षा नीतियों के राज्य प्रशासनिक नियमों का पालन करना ।
- स्कूल और स्कूल प्रणाली प्रक्रियाओं और नियमों का पालन करना ।
- निर्धारित समय पर कक्षाएँ आयोजित करना।
- छात्र आचरण और अनुशासन से सम्बन्धित नियमों का पालन करना तथा उन्हें लागू करना।
- सौंपी गई जिम्मेदारियों के लिए समयबद्धता तथा उपस्थिति दर्शाना।
- स्कूल की सभी बैठकों और गतिविधियों में भाग लेना।
छात्रों के प्रति जिम्मेदारियाँ
- उचित भाषा का प्रयोग करना।
- सटीक और अप-टू-डेट सामग्री का प्रयोग करना।
- छात्रों को उचित कार्य एवं होमवर्क प्रदान करना।
- सभी छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना।
- छात्रों को पाठ्यक्रम सम्बन्धी ज्ञान प्रदान करना।
- छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहयोग करना।
- छात्रों में नैतिक मूल्यों का विकास करना।
- छात्रों में चारित्रिक मूल्यों का विकास करना।
- विद्यार्थियों को सामाजिक एवं विधिक नियमों से अवगत कराना तथा उनका पालन करने की शिक्षा प्रदान करना।
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