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ज्ञान प्राप्त करने की नवाचार विधियाँ | Innovative Methods of Acquiring Knowledge in Hindi

ज्ञान प्राप्त करने की नवाचार विधियाँ
ज्ञान प्राप्त करने की नवाचार विधियाँ

ज्ञान प्राप्त करने की नवाचार विधियाँ (Innovative Methods of Acquiring Knowledge)

ज्ञान प्राप्त करने की नवाचार विधियाँ निम्नलिखित है-

(1) मल्टी मीडिया एप्रोच (Multi Media Approach)

(2) पर्सनलाइज्ड सिस्टम ऑफ इन्स्ट्रक्शन (PSI)

(3) कम्प्यूटर असिस्टैड इन्स्ट्रक्शन (CAI)

(4) सैटेलाइट सम्प्रेषण (Satellite Communication)

(5) मॉड्यूलर उपागम (Modular Approach)

(6) रेडियोविजन (Radiovision)

(7) इण्टरनेट (Internet) (8) ई-मेल (E-mail)

(9) सीडी-रोम (CD-ROM)

(10) सीमुलेटेड शिक्षण (Simulated Teaching)

(11) अन्तःक्रिया प्रणाली (Interaction System)

(12) सिस्टम्स एप्रोच (Systems Approach)

(13) अभिक्रमित निर्देश (Programmed Instruction)

(14) शैक्षिक दूरदर्शन (Educational Television)

(15) टेलीकॉन्फेरेंसिंग (Teleconferencing)

(16) इण्ट्रानेट (Intranet)

(17) शिक्षण मशीन (Teaching Machine)

(18) वीडियो कॉन्फेरेंसिंग (Video Conferencing)

(19) वीडियो टैक्स्ट (Video Text)

(20) वीडियो डिस्क (Video Disc)

(21) आकाशवाणी पाठ (Radio Lesson )

1. ऑप्टीकल वीडियो डिस्क (Optical Video Disc)

ऑप्टीकल वीडियो डिस्क कैपेसिटेंस वीडियो डिस्क से अधिक उपयोगी है। इसमें भण्डार करने की क्षमता बहुत अधिक होती है अर्थात् 10,8,000 ट्रैक्स या 54,000 फ्रेम एक तरफ । पूरा ब्रिटानिका एनसाइक्लोपीडिया एक ही वीडियो डिस्क पर संगृहीत किया गया है। सूचना के भण्डारण के साथ-साथ दो श्रव्य चैनल भी होते हैं। इससे दूसरी भाषा का प्रयोग भी किया जा सकता है। वीडियो डिस्क में तेज और धीमी गति, फॉरवर्ड और बैकवर्ड करने की व्यवस्था भी होती है। फ्रीज फ्रेम में विशिष्ट सूचना को भी दर्शाया जा सकता है। फ्रीज फ्रेम में ध्वनि का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

बौद्धिक वीडियो डिस्क (Intelligent Video Disc)- यह वीडियो डिस्क कम्प्यूटर से जुड़ी होती है। यह विशेष रूप से शिक्षाशास्त्रियों के लिए अधिक उपयोगी है । इस साधन द्वारा वैयक्तिक अधिगम के लिए अन्तःक्रिया अनुदेशन प्रदान किया जाता है। इसमें वीडियो डिस्क सूचनाओं के मात्र भण्डारण के लिए प्रयोग की जाती है। इस प्रकार इसमें दो प्रकार की तकनीकों अर्थात् कम्प्यूटर और टेलीविजन को इकट्ठा करके प्रयोग किया गया है।

2. वीडियो टैक्स्ट (Video Text) :

वीडियो टैक्स्ट की संरचना (Technology of Video Text)- सम्प्रेषण की एक नवीन विधि है जो दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण-अधिगम को प्रभावित करती है। वीडियो टैक्स्ट एक ऐसी प्रणाली है, जिसका पारस्परिक सूचनाओं के आदान-प्रदान में प्रयोग किया जाता है। वीडियो टैक्स्ट में घरेलू टेलीविजन का एक कम्प्यूटर की भाँति कार्य करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा आँकड़ों पर आधारित सूचनाएँ एकत्रित की जा सकती हैं। इसके लिए वीडियो टैक्स्ट में एक रिकॉर्डर, टेलीफोन, टेलीविजन तथा एक की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता है।

टैक्स्ट प्रणाली निम्न भागों में बनी हुई होती है—

(1) एक की-पैड या की-बोर्ड (Keypad or Keyboard)

(2) एक टी. वी. डिस्प्ले यूनिट (T. V. Display Unit)

(3) एक डीकोडर ( A Decoder)

(4) एक दूरसंचार लिंक (One Telecommunication Link )

(5) एक केन्द्रीय कम्प्यूटर जिसमें सूचनाओं का आधार हो (One Central Computer Containing a Data Base)

3. वीडियो पाढ (Video Lesson)

वीडियो पाठ कई प्रकार के होते हैं। दूरदर्शन पाठ एक प्रकार का बीडियो पाठं है। वीडियो पाठ स्वयं अध्यापक कक्षा-कक्ष में दे सकता है तथा उसी समय उससे पोषण पुष्ट हो जाता है। इसमें टी. वी. की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसे कम्प्यूटर पर भी दर्शाया जा सकता है। अलग-अलग कमरों में वीडियो पाठ दिखाये जा सकते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी इन्टरनेट के माध्यम से बहुत कुछ सीखते हैं ।

4. वीडियो कॉन्फेरेंसिंग (Video Conferencing) 

वर्तमान में वीडियो कॉन्फेरेंसिंग का बहुत प्रचलन होता जा रहा है। इसके माध्यम से हम दूर बैठे अपने परिचित अथवा ट्यूटर से बातचीत करते हुए उसे देख भी सकते । वीडियो कॉन्फेरेंसिंग में हमें कम्प्यूटर से जुड़े हुए एक कैम्प की मदद से अपने चित्र एक या अधिक लोगों को भेजने की सुविधा मिलती । साथ ही हम अपने मित्र की भी शक्ल देख सकते हैं। इसमें हम चित्रों के साथ-साथ अपनी आवाज भी भेज सकते हैं। इसके लिए हमें कम्प्यूटर में एक माइक्रोफोन, स्पीकर, साउण्ड कार्ड, वेब कैमरा तथा Conferencing Software होना भी आवश्यक है ।

इस प्रकार अब सन्देश टाइप करने के स्थान पर (जैसा कि हम Chart room में करते हैं) हम अन्य लोगों से बात कर सकते हैं, उनके चेहरे देख सकते हैं तथा उन्हें अपना वीडियो भी भेज सकते हैं ताकि वे हमारा चेहरा भी देख सकें। इसके माध्यम से एक साथ कई व्यक्ति अलग-अलग स्थानों पर रहते हुए भी ऐसे कॉन्फरेंस कर सकते हैं जैसे कि वे एक ही कमरे में बैठे हों। इसमें शामिल व्यक्ति को फोन तथा स्पीकर तो आवश्यक होते हैं, परन्तु प्रत्येक 1 व्यक्ति को वेब कैमरा आवश्यक नहीं होता है। यदि किसी एक व्यक्ति के पास वेब कैमरा नहीं है तो भी वह दूसरों की तस्वीरों को तो देख सकता है, परन्तु अन्य लोग उसे नहीं देख पायेंगे।

5. इन्टरनेट द्वारा अधिगम (Learning By The Internet)

इन्टरनेट की परिभाषा — इन्टरनेट एक अत्याधुनिक संचार प्रौद्योगिकी है, जिसमें करोड़ों कम्प्यूटर एक नेटवर्क से जुड़े हुए होते हैं । इन्टरनेट को मोटे तौर पर कम्प्यूटरों के विश्वव्यापी नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो एक प्रोटोकोल (सूचना के आदान-प्रदान सम्बन्धी नियम) के जरिये संचार करते हैं ।

इन्टरनेट का विवरण — इन्टरनेट का वर्णन करना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे किसी नगर का वर्णन करना। नगर का मानचित्र, उसके लोग, बाजार, गलियाँ, घर, लोग, सरकार, मैदान, मौसम आदि या इनका समग्र रूप । यही तो नगर के वर्णन में निहित होता है। इन्टरनेट भी एक ऐसा ही स्थान है ।

इन्टरनेट कोई सॉफ्टवेयर नहीं है, न यह कोई प्रोग्राम है, न कोई हार्डवेयर । वास्तव में यह तो एक ऐसा स्थान है जहाँ हमें अनेक प्रकार की शैक्षिक जानकारियाँ तथा सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।

6. कम्प्यूटर सह अधिगम या अनुदेशन (Computer Assisted Learning / Instruction) :

कम्प्यूटर का कमाल (Wonders of Computer ) — संसार के किसी भी कोने में एक कमरे के अन्दर बैठकर पुस्तकालय, चिड़ियाघर तथा संग्रहालय आदि देखने की कल्पना करें तथा उन स्थानों पर कैसे पहुँचा जाए, इसकी जानकारी लीजिए। संसार के दूसरे भाग में बैठे व्यक्ति से बातचीत करने की कल्पना कीजिए। आप या कोई भी परस्पर एक-दूसरे की बातचीत को देख सकता है। आधुनिक संसार में यह सब कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सम्भव हुआ है

कम्प्यूटर अब जयादा-से-ज्यादा उन्नत हो रहा है तथा वह अलग-अलग उद्देश्यों, जैसे सम्प्रेषण, विज्ञापन, उद्योग, प्रकाशन, शिक्षण-अधिगम, अनुसन्धान, चिकित्सा इत्यादि जैसे क्षेत्रों में प्रयोग हो रहा है।

विद्यालयी शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रभाव बहुरूपीय तथा क्रान्तिकारी होने जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में यह सभी कार्य-विधियों को प्रभावित करता जा रहा है। यही नहीं, इसमें कुछ पूर्णतः अप्रत्याशित दृश्यों तथा तथ्यों को भी सम्मुख लाने की क्षमता है ।

अध्यापक तथा कम्प्यूटर सह अधिगम का उपयोग

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कम्प्यूटर की पहुँच वेबसाइट तथा भौतिक पुस्तकालय से आवश्यक सामग्री को ढूँढ़ने अध्यापक के उत्तरदायित्व को बढ़ाती है। इसके साथ-साथ शिक्षण की गुणवत्ता भी बढ़ाती में है। उपलब्ध बहुसंचार माध्यमों की खोज से शिक्षक को अपने पाठ को प्रभावशाली तरीके से पढ़ाने के लिए नये परिवर्तनकारी विचार प्राप्त होते हैं। अभिलेखों का डेटाबेस रखने से अध्यापक सूचना को विभिन्न रूपों में प्रदान करेगा और इससे धीमे सीखने वाले का ध्यान केन्द्रित करायेगा।

विज्ञान को कोई पाठ, जैसे ह्रदय की कार्य-प्रणाली, मानव प्रजनन प्रणाली, मानव शरीर की संरचना, जिसके लिए चित्र आवश्यक हैं, को पढ़ाने के लिए चार्ट की सहायता से शिक्षक मानव शरीर की वास्तविक क्रिया को नहीं दर्शा सकता है अतः हम छात्र का निश्चित अधिगम विकसित नहीं कर सकते, किन्तु यह कम्प्यूटरे के प्रयोग से शिक्षण अधिगम में सम्भव है।

सी. डी. रोम्स तथा वेबसाइटों से सम्बद्ध सूचना के प्रयोग से सामाजिक विज्ञान का अधिगम अधिक रुचिपूर्ण बनाया जा सकता है। ग्राफिकल प्रस्तुतीकरण तथा फ्लो चार्टों के प्रयोग द्वारा हम गणित तथा अन्य विज्ञान के विषयों के प्रति छात्रों में रुचि उत्पन्न कर सकते हैं। शिक्षण अधिगम में कम्प्यूटर के प्रयोग से हम समय की बचत कर सकते हैं और इसमें तुरन्त मूल्यांकन सम्भव है क्योंकि शिक्षक विशेष द्वारा तैयार नहीं बनी बनाई सामग्री कम्प्यूटर पर उपलब्ध है। बहुसूचना माध्यमों के द्वारा सार्वभौमिक अधिगम से परिचय कराने से ग्रामीण बच्चों का शहरी बच्चों से मुकाबला करने की मनोवृत्ति बदल सकती है।

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कम्प्यूटर सहायता प्राप्त अधिगम के प्रयोग से धीमे सीखने वाले और उच्च स्थान प्राप्तकर्त्ता के बीच स्वयं अधिगम कौशलों के विकास द्वारा खाई को कम किया जा सकता है। रजिस्टर तथा कार्यालय के काम में कम्प्यूटर के प्रयोग से समयबद्ध परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। आँकड़ों के नवीनीकरण में समय बचता है। अभिलेखों का रख-रखाव आसान हो जाता है।

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