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ज्ञान का अर्थ, परिभाषा लक्षण, प्रकार, स्रोत, महत्व

ज्ञान का अर्थ
ज्ञान का अर्थ

ज्ञान का अर्थ

20वीं शताब्दी का दूसरा भाग (विशेषकर अन्तिम दो दशक) सूचना का विस्फोट माना जाता है, परन्तु 21वीं शताब्दी का आरम्भ ‘ज्ञान का विस्फोट’ माना जाता है। साधारण शब्दों में ज्ञान का अर्थ है सूचना, चिन्तन तथा तर्क ।

ज्ञान का अर्थ ‘जानना’ है। इसके अन्तर्गत मुख्य तत्त्व इस प्रकार सम्मिलित किये जा सकते हैं-

‘असतो मा सद्गमय

तमसो मा ज्योतिर्गमय’

सत्य की ओर चलो, अन्धेरे को छोड़कर प्रकाश की ओर चलो।

जानकारी या सूचना जागरूकता अनुभूति (लौकिक तथा अलौकिक ) – ज्ञान तथा अज्ञान, प्रकाश व अन्धकार की भाँति एक-दूसरे के विरोधी हैं। ज्ञान के उदय होने पर अज्ञान नष्ट हो जाता। सूचना प्राप्ति ज्ञान का पहला चरण है। ज्ञान साधना से प्राप्त होता है।

ज्ञान के सामान्य लक्षण

(1) ज्ञान का लक्ष्य अज्ञान को समाप्त करना है।

(2) ज्ञान प्रकाश स्तम्भ है।

(3) ज्ञान अन्तर्विरोध से मुक्त रहता है।

(4) ज्ञान तथ्यों को प्रकाशित करता है।

(5) ज्ञान भविष्य में घटने वाली घटनाओं को प्रभावित करता है ।

(6) ज्ञान साधना है, साध्य नहीं।

(7) ज्ञान संशय का नाशक है।

(8) ज्ञान जिज्ञासा परीक्षण तथा प्रमाण पर आधारित है ।

(9) ज्ञान मन्थन पर आधारित है ।

(10) ज्ञान मूल्यवान पूँजी है।

ज्ञान प्राप्ति के स्रोत 

(1) साहित्य : धार्मिक, वैज्ञानिक तथा सामाजिक आदि।

(2) महापुरुषों का जीवन।

(3) अध्यापक तथा बुजुर्ग व्यक्ति।

(4) अनुभव।

(5) संगी-साथी ।

(6) आत्म-चिन्तन तथा मनन से।

(7) विज्ञान की नयी-नयी खोजें।

(8) तकनीकी की नयी-नयी खोजें।

(9) कम्प्यूटर आदि।

(10) स्वाध्याय।

(11) साधना।

ज्ञान के प्रकार

गीता के 18वें अध्याय में तीन प्रकार का ज्ञान दर्शाया गया है-

 (1) सात्विक ज्ञान, (2) राजस ज्ञान, (3) तामस ज्ञान ।

सात्विक ज्ञान- सात्विक ज्ञान का अर्थ इस प्रकार बताया गया है-

सर्वेभूतेषू येनैकं भावमव्यमीक्षते।

अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञान विधि ॥

जिस ज्ञान के द्वारा सब वस्तुओं और प्राणियों में एक ही सत्ता दिखाई पड़ती है, जो विभक्तों में भी अविभक्त रूप से विद्यमान है, उसे सात्विक ज्ञान माना जाता है।

मुक्तसंगो ऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वित: ।

सिद्धयसिद्धयोर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते ॥

जो कर्ता संगरहित, अहंकार के वचन न बोलने वाला, धैर्य और उत्साह से युक्त तथा कार्य के सिद्ध होने और न होने में हर्ष-शोकादि विकारों से रहित है वह सात्विक कहा जाता है।

राजस ज्ञान

पृथक्त्वेनं तु यज्ज्ञानां नाना भावान्पृथग्विधान ।

वेति सर्वेषु भूतेषु, तज्ज्ञानां विद्धि राजसम ॥

राजस ज्ञान वह है जिसके द्वारा विभिन्न प्राणियों में उनकी पृथकता के कारण अस्तित्व की विविधता दिखाई पड़ती है।

रागी कर्मफलप्रेप्सुलुब्धो हिंसात्मको शुचिः ।

हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः ॥

जो कर्ता आसक्ति से युक्त, कर्मों के फल को चाहने वाला और लोभी है तथा दूसरों को कष्ट देने के स्वभाव वाला, अशुद्धाचारी और हर्ष-शोक से लिप्त है—वह राजस कहा गया है।

तामस ज्ञान

तु कृत्सनवदेकस्मिन कार्ये सक्तमहैतुकम् ।

अतत्त्वार्यवदल्प च तत्तामसमुदायहऽतम् ॥

जो ज्ञानी किसी एक तत्त्व अर्थात् शरीर को ही सब कुछ मान लेता है, परन्तु उसके कारक पर कोई ध्यान नहीं देता तथा तत्त्वं स्वार्थ को नहीं समझ सकता, वह तामस ज्ञान कहलाता है।

अयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः शठो नैष्कृतिकोऽलसः।

विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते ॥

जो कर्ता अयुक्त, शिक्षा से रहित, घमण्डी, धूर्त और वह दूसरों की जीविका नष्ट करने वाला है, शोक करने वाला है, आलसी है, दीर्घसूत्री है (अर्थात् थोड़े समय में होने वाले साधारण काम को भी फिर कर लेंगे, ऐसी आशा से बहुत काल तक पूरा नहीं करता यह तामस कहा जाता है।

ज्ञान का महत्व (Importance of knowledge)

ज्ञान का महत्व निम्नवत है-

  1. ज्ञान को मनुष्य की तीसरी आँख कहा गया है।
  2. ज्ञान भौतिक जगत और आध्यात्मिक जगत को समझने में मदद करता है।
  3. ज्ञान से ही मानसिक, बौद्धिक, स्मृति, निरीक्षण, कल्पना व तर्क आदि शक्तियों का विकास होता है।
  4. ज्ञान समाज सुधारने में सहायता करता है जैसे- अन्धविश्वास, रूढि़वादिता को दूर करता है।
  5. ज्ञान शिक्षा प्राप्ति हेतु साधन का काम करता है।
  6. ज्ञान अपने आप को जानने का सशक्त साधन है।
  7. ज्ञान का प्रकाश सूर्य के समान है ज्ञानी मनुष्य ही अपना और दूसरे का कल्याण करने में सक्षम होता है।
  8. ज्ञान विश्व के रहस्य को खोजता है।
  9. ज्ञान धन के समान है जितना प्राप्त होता है उससे अधिक पाने की इच्छा रखते है।
  10. ज्ञान सत्य तक पहुंचने का साधन है।
  11. ज्ञान शक्ति है।
  12. ज्ञान प्रेम तथा मानव स्वतंत्रता के सिद्धांतों का ही आधार है।
  13. ज्ञान क्रमबद्ध चलता है आकस्मिक नहीं आता है।
  14. तथ्य, मूल्य, ज्ञान के आधार के रूप में कार्य करते है।
  15. ज्ञान मानव को अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है।

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