मशीन क्या है?
मशीनों द्वारा एक बिन्दु पर बल लगाकर किसी दूसरे बिन्दु पर कार्य किया जा सकता है। मशीन द्वारा बल की दिशा में परिवर्तन किया जा सकता है। मशीन द्वारा किसी धीमी गति को तेज गति में बदला जा सकता है। इस प्रकार मशीन वह साधन है, जिसके द्वारा एक बिन्दु पर लगा हुआ वल दूसरे बिन्दु पर परिवर्तित दिशा का मान अथवा दोनों में संचरित होकर कार्य करता है।
मशीन के प्रकार
मशीनों को दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है- (1) उत्तोलक या लीवर के सिद्धान्त पर आधारित मशीन। (2) नत तल के सिद्धान्त पर बनी मशीनें ।
मशीन का सबसे सरल रूप उत्तोलक है। उत्तोलक एक दृढ़ आधार की छड़ है, जो एक निश्चित बिन्दु के चारों ओर घूम सकती है। इस बिन्दु को आलम्ब कहते हैं। इस छड़ के एक सिरे पर भार रखा जाता है जिसे भार कहते हैं तथा दूसरे सिरे पर बल लगाया जाता है, जिसे आयास कहते हैं।
उत्तोलक में आलम्ब से भार की दूरी को भार भुजा तथा आलम्ब से आयास की दूरी को आयास भुजा कहते हैं। यदि उत्तोलक सन्तुलित अवस्था में है तो –
अतः आयास x आयास भुजा = भार x भार भुजा
उत्तोलक का यान्त्रिक लाभ इस बात पर निर्भर करता है कि निश्चित आयास से कितना अधिक से अधिक भार उठाया जा सकता है ?
अतः यान्त्रिक लाभ = भार/आयास
मशीन के रूप में उत्तोलक
उत्तोलक आलम्ब, आयास और भार की स्थिति के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं-
1. प्रथम प्रकार के उत्तोलक-वे उत्तोलक जिनमें आलम्ब बीच में तथा एक ओर आयास दूसरी ओर भार होता है; जैसे- प्लास, कैंची, वजन उठाने की छड़ तथा तुला आदि
2. द्वितीय प्रकार के उत्तोलक- वे उत्तोलक जिसमें भार बीच में तथा एक ओर आलम्ब एवं दूसरी ओर आयास होता है; जैसे- कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोलने की चाबी, सुपारी काटने का सरौंता तथा ढकेल गाड़ी आदि ।
3. तृतीय प्रकार के उत्तोलक-वे उत्तोलक जिनमें आयास बीच में तथा एक ओर आलम्ब, दूसरी ओर भार होता है; जैसे-मछली पकड़ने की बन्शी, चिपटा तथा भुजा आदि।
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