विभिन्न कृषि यन्त्रों का परिचय दीजिये ।
कृषि का प्रमुख यन्त्र हल है, जो कि जुताई तथा बुवाई के लिये प्रयुक्त किया जाता है। कृषि यन्त्र अनेक प्रकार के होते हैं- (1) पटेला, (2) बखर, (3) फावड़ा, (4) ट्रैक्टर, (5) कल्टीवेटर, (6) डिबलर, (7) देशी हल, (8) मेस्टन हल, (9) विक्ट्री हल, (10) टर्नेस्ट हल तथा (11) पंजाब हल ।
1. पटेला – यह लकड़ी के समतल तख्ते का बना होता है, जिसके दोनों किनारों के पास एक-एक कुण्डा लगा रहता है। पटेला का उपयोग खेत की मिट्टी को भुर-भुरी करने में, भूमि को समतल करने में और छिटकवां बीजों को ढँकने में किया जाता है। यह खेत की नमी को रोकने में भी सहायता करता है।
2. बखर – यह ऊँची-नीची भूमि को बराबर करने में, मिट्टी को भुरभुरी करने में, कड़ी मिट्टी को पलटने में तथा घास काटने में सहायता करता है।
3. फावड़ा – यह लोहे का बना होता है, इसके एक किनारा पतला तथा धारदार होता है। जिससे मिट्टी को आसानी से काटा जा सकता है। इसके दूसरी साइड में लकड़ी का डण्डा लगाने के लिये लोहे का कुण्डा लगा होता है। इसमें डण्डा लगाकर खेती के विभिन्न कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है।
4. ट्रैक्टर – इससे खेत की जुताई, बुवाई, खाद देना, बोझा ढोना और जंगल साफ करना आदि कार्य किये जाते हैं।
5. कल्टीवेटर – खेत की मिट्टी को भुरभुरी करने, खेत में खाद को अच्छी तरह से मिलाने और छिटकवां विधि से बोने वाली फसल के बीज को भूमि में अच्छी तरह मिलाने के लिये कल्टीवेटर का उपयोग किया जाता है।
6. डिबलर – यह रबी फसल के बीजों को बोने का साधारण यन्त्र है। इसके द्वारा छिद्रों के माध्यम से बीज बोया जाता है जिससे फसल का औसत उत्पादन अधिक होता है।
7. देशी हल- इसका उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर प्रयोग किया जाता है। इसमें लोहे की फार लगी होती है, जो भूमि को फाड़ती है परन्तु ऊपर-नीचे नहीं करती, यही कारण है कि इसे लोग ‘हल’ न कहकर ‘हो’ कहना उपयुक्त समझते हैं। इस हल में एक मुठिया भी लगी होती है।
8. मेस्टन हल- इसमें भी लोहे की चौड़ी फार होती है, मुठिया एक ही होती है, इसे एक ही व्यक्ति चला सकता है।
9. विक्ट्री हल – इसमें जुताई के लिये बड़ी फार लगी होती है। इसमें धरती को अधिक चीरने की क्षमता होती है। यह हल मटियार भूमि के लिये उपयोगी होता है। भूमि को जोतते समय बड़े-बड़े ढेले पड़ जाते हैं, उन ढेलों को तोड़ने के लिये एक चाकू भी इस हल में लगा रहता है। विक्ट्री हल 12 सेमी. गहरा और 15 सेमी. चौड़ा कड़ बनाता है। इससे देशी हल की अपेक्षा समय और श्रम की बचत होती है। विक्ट्री हल में दो मुठिया होती हैं। इसे चलाने के लिये दो आदमियों की आवश्यकता पड़ती है। एक व्यक्ति बैल हाँकने के लिये तथा दूसरा व्यक्ति मुठिया पकड़ने के लिये।
10. टस्ट हल – इसमें मेस्टन की भाँति मिट्टी पलटने वाला फार होता है तथा दो मुठिया होती हैं, आगे एक पहिया लगा रहता है। हल के आगे के सिरे को निश्चित ऊँचाई पर कस दिया जाता है। यह भी महँगा होता है तथा वजन में भारी होता है।
11. पंजाब हल- इसमें जुताई के लिये फार लगी होती है। यह विक्ट्री से कम मजबूत होता है और काम भी अपेक्षाकृत कम करता है। यह हल मटियार भूमि के लिये उपयोगी होता है।
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