ऊर्जा के विभिन्न वैकल्पिक स्रोत
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) फ़ासिल ऊर्जा। (2) जल ऊर्जा। (3) पवन ऊर्जा । (4) सौर ऊर्जा ।
1. फासिल ऊर्जा – यह जैव ऊर्जा होती है। समुद्र में अनेक ऐसे पेड़-पौधे हैं जिनसे जैव गैस बनायी जा सकती है और इसका उपयोग ईंधन के रूप में सरलता से किया जा सकता है। समुद्री ऊर्जा के दोहन से अत्यधिक उपयोगी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
2. जल ऊर्जा- पानी को ऊपर से गिराने पर उसमें गतिज ऊर्जा उत्पन्न होती है। वर्तमान में बहुत बड़े स्तर पर जल ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। इसके लिये बड़े-बड़े बाँध बनाये जाते हैं। बाँध से पानी निकालकर टरबाइन को घुमाया जाता है जिससे विद्युत जनित्र के आर्मेचर को घुमाया जाता है। फलस्वरूप विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। भारत में इसकी क्षमता 1,00,000 मेगावाट है। भारत में भाखड़ा नागल, कोसी एवं दामोदर घाटी आदि जल विद्युत परियोजनाएँ हैं। राजस्थान में कोटा के समीप चम्बल नदी पर राणा प्रताप सागर और जवाहर सागर बाँध बाँधकर जल-विद्युत स्टेशन बनाये गये हैं।
3. पवन ऊर्जा – जिन स्थानों पर तेज हवाएँ चलती हैं, वहाँ पर वायु शक्ति का प्रयोग हवा मिलें (Wind mills) लगाकर किया जा सकता है। पवन चक्कियाँ बहुत समय से प्रचलित हैं। तेज हवाओं के कारण पवन चक्की का पहिया तेजी से घूमता है। इस घूर्णन शक्ति का उपयोग पानी निकालने के लिये पम्प को चलाने तथा विद्युत उत्पादन में किया जाने लगा है। गुजरात एवं राजस्थान में डब्ल्यू. पी-2 हवा मिलें (Wind mills) बहुत से स्थानों पर पानी के पम्प चलाने के लिये लगायी गयी हैं।
4. सौर ऊर्जा – सौर ऊर्जा के प्रत्यक्ष रूप ऊष्मा तथा प्रकाश हैं। पृथ्वी के लिये सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। सूर्य से प्रतिवर्ष लगभग 3 x 1021 जूल ऊर्जा प्राप्त होती है।
5. महासागरीय ऊर्जा (Seaenergy) – महासागरीय ऊर्जा निम्नलिखित प्रकार की होती है-
(1) लहरों की ऊर्जा (Energy of waves) – इस प्रकार की ऊर्जा को समुद्री लहरों से प्राप्त किया जाता है। समुद्र में चलने वाली लहरों से सामान्य व्यय करके ही ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। 150 मेगावाट शक्ति की इस परियोजना के कार्य को स्टेट हार्वर इन्जीनियरिंग विभाग त्रिवेन्द्रम में सम्पन्न किया गया। इसकी प्रमुख समस्या यह है कि यह जल के विशाल संग्रह क्षेत्र में ही प्रभावी है।
(2) ज्वारीय ऊर्जा (Tidal energy ) – ज्वारीय ऊर्जा का सम्बन्ध समुद्र के ज्वार से होता है। यह ज्वार के चढ़ने एवं उतरने के समय प्राप्त की जाती है। इस प्रकार की ऊर्जा के उत्पादन में चीन एवं रूस का प्रमुख स्थान है।
(3) समुद्री ताप ऊर्जा (Ocean thermal energy) – इस प्रकार की ऊर्जा को समुद्री जल के ताप में अन्तर पाये जाने के परिणामस्वरूप प्राप्त किया जा सकता है। समुद्री जल की ऊपरी सतह का तापमान 27°C से 31°C होता है, जबकि गहराई पर तापमान 5°C से 8°C तक होता है। इस अन्तर के कारण ही इस ऊर्जा का उत्पादन सम्भव होता है।
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