फसल चक्र से आप क्या समझते हैं?
फसल चक्र का अर्थ है, भूमि के किसी निश्चित भाग पर नियत समय में फसलों का इस क्रम से बोया जाना कि भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम न होने पाये और उपज भी अच्छी मिले। इस प्रकार फसलों का हेर-फेर कर बोया जाना ही फसल चक्र कहलाता है।
फसल चक्र का महत्त्व (Importance of crops rotation)
फसल चक्र का निम्नलिखित प्रकार से महत्त्व है-
(1) इससे भूमि की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा ठीक रहती है, क्योंकि फसल चक्र में दाल वाली फसलों का विशेष स्थान होता है।
(2) फसल चक्र द्वारा फसलों में लगने वाले कीड़े एवं रोग नियन्त्रित हो जाते हैं। अत: कीड़े जिस फसल के लिये हानिकारक होते हैं, उसी पर लगते हैं। इस प्रकार हेर-फेर से बोने पर ये कीट नष्ट हो जाते हैं।
(3) फसल चक्र से भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास नहीं होने पाता।
(4) फसल चक्र से खरपतवारों (Weeds) की वृद्धि में कमी आ जाती है।
(5) इससे फसलों की पैदावार अधिक मिलती है।
(6) फसल चक्र अपनाने से कृषक को अधिक सिंचाई, निराई-गुड़ाई सभी फसलों में नहीं करनी पड़ती और न प्रत्येक खेत में प्रतिवर्ष खाद ही देना पड़ता है। अतः उत्पादन व्यय कम हो जाता है।
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