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जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के अधीन कार्य | जिला प्राथमिक शिक्षा परियोजना के अधिकार

जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के अधीन कार्य
जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के अधीन कार्य

जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के अधीन कार्य

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अनुभवों तथा उपलब्धियों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विश्व बैंक की सहायता से छात्र साक्षरता के सन्दर्भ में पिछड़े हुए 18 अन्य जनपद हैं, जैसे- महाराजगंज, गोण्डा, सिद्धार्थ नगर, बदायूँ, खीरी, ललितपुर, बस्ती, मुरादाबाद, शाहजहाँपुर, सोनभद्र, देवरिया, बरेली, रायबरेली, हमीरपुर, सुल्तानपुर, बहराइच, बाराबंकी तथा रामपुर। इन जनपदों में जिला प्राथमिक शिक्षा परियोजना (D. P.E. P.) वित्तीय. वर्ष 1997-98 से प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया।

इस कार्यक्रम के अन्तर्गत मात्र 9 – 11 वर्ष के बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन, धारण एवं ‘गुणवत्ता का लक्ष्य रखा गया। कार्यक्रम को अधिक सफल बनाने के उद्देश्य से विकेन्द्रीकरण की नीति पर अधिक बल दिया गया और लक्ष्य की प्राप्ति हेतु रणनीति, प्राथमिकता एवं मध्यस्थताएँ जनपद स्तर पर तैयार की गयीं। परियोजना कार्यान्वयन के पूर्व जनपदों में शैक्षिक स्तर पर आधार लाइन सर्वेक्षण किया गया। तदनुरूप शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तथा पाठ्य-पुस्तक निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना के अन्तर्गत ग्राम स्तरीय चेतना एवं सामुदायिक सहभागिता पर अधिक बल दिया गया है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा एवं लैंगिक समानता के आयाम पर विशेष बल दिया गया है।

जिला प्राथमिक शिक्षा परियोजना के अधिकार

जिला प्राथमिक शिक्षा परियोजना के अधिकार निम्नलिखित हैं-

(1) प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की प्रोन्नति, दक्षता वृद्धि, स्थानान्तरण, दक्षता रोपड़ तथा कर्त्तव्य पालन में उदासी दिखाने के प्रति शिक्षा विभाग से सम्बन्धित अधिकारियों को अपनी टिप्पणी के साथ संस्तुति एवं प्रेषण करना।

(2) संविधान में शिक्षा के सार्वजनीकरण के अन्तर्गत 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को कक्षा 1-8 तक की शिक्षा को अनिवार्य करने का उल्लेख किया गया है। इसलिये परियोजना द्वारा शिक्षण सुविधाओं को एकत्र करना, विद्यालय को सामुदायिक क्रियाकलाप केन्द्रों के रूप में प्रतिष्ठित करना तथा बच्चों के सम्प्राप्ति के स्तर को सुधारने के लिये शिक्षा को रुचिपूर्ण एवं आनन्दमयी बनाना आदि महत्त्वपूर्ण दायित्त्व ग्राम पंचायतों को सौंपे गये हैं।

(3) पिछड़े हुए क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने एवं उन्हें आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने का दायित्त्व भी ग्राम पंचायत को दिया गया है।

(4) शैक्षिक दायित्त्वों का यह क्रम ग्राम पंचायतों से लेकर न्याय पंचायत, सेवा क्षेत्र, जिला पंचायत तक एक निश्चित रूपरेखा में परिभाषित है। शिक्षा की आवश्यकता के प्रति जन चेतना, जागृत करना विशेष रूप से छात्रा शिक्षा, S/C, S/T सुविधा वंचित वर्ग आदि की शिक्षा के महत्त्व को जन जन तक पहुँचाने के लिये प्रत्येक स्तर पर सबको सक्रिय करना होगा।

(5) बेसिक शिक्षा के सन्दर्भ में हमारी संकल्पना यह है कि समाज का प्रत्येक वर्ग यह समझने लगे कि देश के सभी बालक हमारे हैं, समस्त विद्यालय हमारे हैं और हम भी विद्यालय के लिये ही हैं। इस भावना से प्रेरित होकर क्षेत्र के बालकों की शैक्षिक गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि करके हम अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगे।

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