राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के क्रियान्वयन कार्यक्रम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर संसद में सन् 1986 के बजट सत्र में चर्चा की गयी तथा इसे स्वीकार किया गया था। चर्चा के समय मानव संसाधन मंत्री ने शिक्षा नीति लागू करने के लिये क्रियान्वयन कार्यक्रम तैयार करने का आश्वासन दिया था। इस आश्वासन की पूर्ति हेतु मानव संसाधन मन्त्रालय ने क्रियान्वयन कार्यक्रम तैयार करने की दिशा में प्रयास करने आरम्भ कर दिये। सर्वप्रथम 23 कार्यदल गठित किये गये जिसमें प्रख्यात शिक्षाशास्त्री, विशेषज्ञ एवं केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों को संयुक्त किया गया। प्रत्येक कार्यदल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में समाहित होने वाला एक-एक विशिष्ट विषय दिया गया। कार्यदलों से अनुबद्ध किया गया कि वे उन्हें दिये गये विषय से सम्बन्धित वर्तमान स्थिति का अवलोकन को तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में किये गये संकल्पों के अनुरूप विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करें। विभिन्न कार्यदलों को दिये गये विषय निम्नवत् हैं-
(1) शिक्षा प्रणाली को क्रियाशील बनाना।
(2) स्कूल शिक्षा की पाठ्यवस्तु तथा प्रक्रियाएँ।
(3) नारी समानता के लिये शिक्षा।
(4) अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों की शिक्षा ।
(5) अल्पसंख्यकों की शिक्षा।
(6) विकलांगों की शिक्षा।
(7) प्रौढ़ एवं सतत् शिक्षा।
(8) पूर्व बाल्यकाल परिचर्या तथा शिक्षा।
(9) अनौपचारी शिक्षा एवं ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड सहित प्रारम्भिक शिक्षा।
(10) माध्यमिक शिक्षा तथा नवोदय विद्यालय।
(11) व्यावसायीकरण।
(12) उच्च शिक्षा।
(13) मुक्त विश्वविद्यालय एवं दूरस्थ अधिगम।
(14) तकनीकी तथा प्रबन्ध शिक्षा ।
(15) अनुसन्धान एवं विकास।
(16) शिक्षा में कम्प्यूटरों के उपयोग सहित संचार-साधन तथा शैक्षिक तकनीकी।
(17) उपाधियों को रोजगार से विलग करना तथा मानव शक्ति नियोजन।
(18) सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य तथा भाषा नीति को लागू करना।
(19) खेल एवं शारीरिक शिक्षा।
(20) मूल्यांकन प्रक्रिया तथा परीक्षा सुधार।
(21) अध्यापक तथा उनका प्रशिक्षण।
(22) शिक्षा का प्रबन्ध।
(23) ग्रामीण विश्वविद्यालय संस्थान।
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