आदर्शवाद के गुण और दोष पर प्रकाश डालिये।
आदर्शवाद के गुण (Merits of idealism)
विभिन्न विचारधाराओं को दृष्टिगत रखते हुए दार्शनिकों ने आदर्शवाद के निम्नलिखित गुणों पर प्रकाश डाला है-
(1) काण्ट के मतानुसार शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति को आत्म-नियन्त्रण एवं स्वतन्त्रता में सामंजस्य स्थापित करना सिखाना है। अतः बालक स्वतन्त्र रूप से अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सके।
(2) आदर्शवाद का शिक्षा के उद्देश्य एवं जीवन के उद्देश्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
(3) आदर्शवाद में अध्यापक कुशल मार्गदर्शक होता है, जिससे बालक तथा समाज का विकास होता है।
(4) आदर्शवाद बालक में चरित्र-निर्माण तथा सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् जैसे आध्यात्मिक मूल्यों का सृजन करता है।
(5) आत्मानुभूति आदर्श व्यक्ति निर्माण का प्रेरक तत्त्व है।
आदर्शवाद के दोष (Demerits of idealism)
आदर्शवाद के निम्नलिखित दोष हैं-
(1) आदर्शवाद में बालक को गौण स्थान दिया गया है तथा अध्यापक को प्रमुख स्थान, जबकि शिक्षा बाल-केन्द्रित है।
(2) आज के औद्योगिक युग में जहाँ बेरोजगारी एवं जनसंख्या जैसी समस्याएँ हों वहाँ आध्यात्मिक विकास ही, शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य हो यह अपूर्ण है।
(3) आदर्शवादी शिक्षण में शिक्षक तो सक्रिय रहता है परन्तु छात्र निष्क्रिय । आजकल बिना करके’ सीखना असम्भव है, इसमें सिद्धान्त का अधिक सहारा लिया जाता है, प्रयोग अपेक्षाकृत गौण है।
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