हिन्दी / Hindi हिन्दी व्याकरण

हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विराम चिह्न

हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विराम चिह्न
हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विराम चिह्न

हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विराम चिह्न

हिन्दी भाषा में निम्नलिखित विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाता है-

1. पूर्ण विराम – पूर्ण विराम का अर्थ है, भली-भाँति ठहर जाना। इसका चिह्न ( । ) होता है। प्रश्नवाचक तथा विस्मयबोधक वाक्यों को छोड़कर शेष सभी वाक्यों के अन्त में पूर्ण विराम का प्रयोग होता है; जैसे- गाँधीजी अहिंसा के पुजारी थे।

2. अर्द्ध विराम – पूर्ण विराम की तुलना में कम समय रुकने के लिये अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है। इसका चिह्न (;) है। इसका प्रयोग निम्नलिखित तीन स्थितियों में होता है-

(अ) संयुक्त वाक्यों में मुख्य उपवाक्य से उन अन्य वाक्यों को अलग करने के लिये, जिनका मुख्य उपवाक्य से कोई सम्बन्ध हो; जैसे-उसने परीक्षा में पास होने के लिये अनेक उपाय किये; किन्तु सभी निष्फल सिद्ध हुए।

(ब) मिश्रित वाक्यों में प्रधान उपवाक्य से अन्य वाक्यों को अलग करने के लिये भी (;) का प्रयोग होता है; जैसे- मैं जब आपको पास आऊँगा; तब मैं अपेक्षा करूँगा।

(स) अनेक उपाधियों को एक साथ लिखते समय उपाधियों को अलग करने के लिये (;) का प्रयोग होता है; जैसे-

डॉ. अनीता बरौलिया, एम.ए., पी-एच.डी.

3. अल्प विराम का प्रयोग- अल्प विराम का अर्थ है कम ठहरना। वाक्य में जहाँ बहुत ही कम ठहरना होता है- अल्प विराम का प्रयोग होता है; जैसे-

(अ) मोहन, श्याम, आनन्द और हरी चलेगा।

4. प्रश्नवाचक चिह्न (?) – प्रत्यक्ष रूप से पूछे गये प्रश्नवाचक वाक्यों में प्रश्नसूचक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे- तुम कब आये ?

5. उद्धरण चिह्न (“”) – उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं- इकहरे और दोहरे । इकहरे चिह्नों का प्रयोग किसी लेख, पुस्तक, कविता आदि के शीर्षक लिखने में होता है; जैसे-

मैंने प्रसादजी की “ममता” कहानी पढ़ी है।

6. विवरण चिह्न – (:-) किसी कथन का विस्तार देने वाले, किसी विवरण को प्रारम्भ करने के लिये विवरण चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे-

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर निबन्ध लिखिये :-

7. निर्देशक चिह्न – (-) निर्देशक चिह्न (डैश) का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में होता है-

(1) तुलसी ने कहा था- “परहित सरिस धरम नहिं भाई।”

8. विस्मयादि बोधक चिह्न (!)

(1) हर्ष, घृणा, आश्चर्य आदि भावों को व्यक्त करने के लिये; जैसे

अरे! वह रेल से कट गया।

वाह! तुमने अच्छा किया।

9. अपूर्ण विराम (:) – किसी शीर्ष को उसी के आगे स्पष्ट करने के लिये; जैसे

कामायनी : एक अध्ययन ।

10. योजक चिह्न (-) -दो विलोम शब्दों के बीच; जैसे-

सुख-दुःख ।

11. कोष्ठक – कोष्टक तीन प्रकार के होते हैं- () छोटा कोष्टक, {} मझला कोष्ठक एवं [] बड़ा कोष्ठक। इनका प्रयोग गणित की भिन्नों में होता है लेकिन इनका भाषा में भी प्रयोग होता है।

12. समानता सूचक चिह्न (-) – किसी शब्द के अर्थ अथवा व्याकरण के विश्लेषण के लिये; जैसे-

तपः + वन तपोवन

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