निबंध / Essay

महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Women empowerment essay in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध
महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला सशक्तिकरण पर निबंध

विकास पथ पर पुरुष का साथ देकर उसकी जीवन-यात्रा को सरल बनाकर, उसके अभिशापों को स्वयं झेलकर और अपने वरदानों से जीवन में अक्षय शक्ति भरकर मानव ने जिस व्यक्तित्व चेतना और हृदय का विकास किया है, उसी का पर्याय नारी है। संसार में सृष्टि की रचना, गृहस्थ धर्म के पालन आदि विभिन्न दृष्टियों से पुरुष के साथ नारी का भी विशिष्ट महत्त्व है। प्राचीन काल से नारियों को पुरुष के समान अधिकार प्राप्त थे। घर से लेकर युद्ध क्षेत्र तक नारियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन समय परिवर्तन के साथ-साथ स्त्रियों की स्थिति में भी परिवर्तन होता गया और उनके क्षेत्र को केवल चहारदीवारी तक सीमित कर दिया गया।

आरक्षण की आवश्यकता

कमजोर वर्ग के लिए भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है, जिसका लाभ पुरुष वर्ग ही उठा रहा है। नारी को उसका विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोकसभा, राज्यसभा या राज्य विधान सभाओं में महिलाओं की भागीदारी दस फीसदी से भी कम है। इस विषय में अभी तक एकमत नहीं हो पाए हैं कि महिलाओं को विधायिका में 33 फीसदी आरक्षण मिले। महिलाओं को लेकर राजनीतिक दल कितने संवेदनशील हैं कि 1952 से लेकर अब तक लोकसभा में महिलाओं की संख्या कभी भी 60 पार नहीं कर पाई।

आरक्षण में बाधाएँ

संसद का सत्र शुरू होते ही विधानमण्डलों और संसद में महिलाओं के लिए तैंतीस प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा उठ जाता लेकिन विभिन्न दलों के बीच आम राय नहीं बन पाती। पहले यह सुझाव सामने आया कि महिलाओं के लिए कानून के जरिए विधानमण्डलों और संसद की सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने की बजाय पार्टियों को इस बात के लिए बाध्य किया जाय कि वे अपने कुल प्रत्याशियों में तैंतीस प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए सुनिश्चित करें। इसके लिए जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। सम्भवतः इन दलों के नेताओं को लगता है कि महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने से उनकी राजनीति प्रभावित हो सकती है।

चुनाव आयोग की भूमिका

महिला आरक्षण के इस महत्त्वपूर्ण विषय में चुनाव आयोग की भी विशेष भूमिका है। चुनाव आयोग ने यह सुझाव दिया है कि सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने कुल प्रत्याशियों में तैंतीस प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करें, इसके लिए कानूनी व्यवस्था की जाए। हो सकता है कि विधानमण्डलों के स्वरूप में इससे परिवर्तन भी दिखाई दे, लेकिन संसद में महिलाओं का प्रतिशत अधिक हो सकेगा, इस पर संदेह ही है, क्योंकि इस समय भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों के उभार का दौर है। चुनाव आयोग द्वारा यह खुलासा नहीं किया गया है कि जिन पार्टियों ने पिछले लोकसभा के चुनाव में जिन राज्यों से सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हों, उन्हें इस राज्य में एक निश्चित प्रतिशत महिला प्रत्याशी बनाना अनिवार्य होगा।

आरक्षण से सुधार आरक्षण के माध्यम से नारी चहारदीवारी से बाहर निकल कर सामाजिक और आर्थिक परिवेश में स्थान लेंगी। अपनी योग्यता का प्रदर्शन करने का भी उसे अवसर मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप समाज में उसे सम्मान मिलेगा, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होने पर उसे पुरुष पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी। वह भी पुरुष की तरह स्वतंत्र जीवन यापन कर सकेंगी।

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