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प्रतिभाशाली बालकों की पहचान (Identification of Gifted Children)

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान का वर्णन कीजिए।

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान (Identification of Gifted Children) – बालकों में व्यक्तिगत भिन्नताएँ होती हैं। विद्यालय में व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर प्रतिभाशाली बालकों का चयन करना अध्यापकों हेतु एक कठिनाई का विषय है। इनकी पहचान करने के लिए कई प्रविधियों का प्रयोग करना पड़ता है, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि बालक एक ही प्राविधि के प्रयोग के पश्चात् पहचाना जा सके। अतः बालकों की पहचान हेतु निम्नलिखित प्राविधियों का प्रयोग किया जाता है-

बुद्धि-परीक्षण (Intelligence Test) –

प्रतिभाशाली बालकों की पहचान हेतू अध्यापकों के द्वारा कई बुद्धि परीक्षण किये जाते हैं। यह परीक्षण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

(1) शाब्दिक तथा अशाब्दिक परीक्षण,
(2) व्यक्तिगत तथा सामूहिक परीक्षण।

इन बुद्धि परीक्षणों का वर्गीकरण भाषा के प्रयोग के आधारों पर किया जाता है तथा शाब्दिक परीक्षणों के अन्तर्गत पेन तथा पेंसिल का प्रयोग किया जाता है, जबकि अशाब्दिक परीक्षणों के अन्तर्गत कोई क्रिया करवा कर परीक्षण किया जाता है। टरमन के शब्दों में, वह बालक जो कि 140 से अधिक बुद्धि-लब्धि का है, वह प्रतिभाशाली बालकों की श्रेणी में आता है। अतः यह उत्तम प्राविधि होती है।

उपलब्धि परीक्षण (Achievement Tests)-

प्रतिभाशाली बालकों की खोज तथा पहचान हेतु शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक द्वारा उपलब्धि परीक्षणों की सहायता ली जाती है। इन परीक्षणों के माध्यम से बालकों की शैक्षिक उपलब्धियों का ज्ञान आसानी से प्राप्त हो सकता है।

अभिरुचि परीक्षण (Achievement Tests)-

अभिरुचि परीक्षण के अन्तर्गत बालकों की अभिरुचि के आधार पर उन्हें पहचाना जाता है। यह परीक्षण यह भी बता सकता है कि बालक भविष्य में क्या बनना चाहता है तथा उनकी रुचि किन-किन कार्यों में है, परन्तु इन परीक्षणों में शिक्षकों का प्रशिक्षित होना भी अति अनिवार्य होता है, क्योंकि इस प्रकार के परीक्षणों से प्राप्त अंकों का अर्थापन भी प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही किया जा सकता है।

अवलोकन विधियाँ (Observation Methods)-

अवलोकन विधियों के अन्तर्गत बालकों की क्रियाओं को लगातार देखा जाता है। तत्पश्चात् मूल्यांकन के बाद यह पता चलता है कि बालक वास्तव में प्रतिभाशाली है अथवा नहीं। यह भी उत्तम विधि कहलाती है।

बालकों के गुणों के आधार पर पहचान (On the basis of Quality)-

प्रतिभावान बालकों को उनके गुणों के आधार पर भी पहचाना जाता है, चूँकि इन बालकों में कुछ विशिष्ट गुण विद्यमान रहते हैं। यह गुण निम्नलिखित हैं-

(1) यह कठिन कार्यों को भी सुगमता से कर लेते हैं।
(2) यह बालक दिये गये कार्य को पहले समझने का प्रयास करते हैं।
(3) यह सामान्य बुद्धि का प्रयोग करते हैं।
(4) यह बालक किये गये कार्यों को सुगमता से याद करते हैं।
(5) इन बालकों का चिन्तन सदैव मौलिक होता है।
(6) यह सोचने, समझने अर्थों को समझने तथा सम्बन्धों को पहचानने में दक्ष हेते हैं।

सम्बन्धित व्यक्तियों की सूचनाएँ (Information from related persons)-

प्रतिभाली बालकों की पहचान करने के लिए सम्बन्धित व्यक्तियों से सम्पर्क करना आवश्यक होता है। सम्पर्क के बाद उनसे रिपोर्ट मांगी जाती है। इन सभी व्यक्तियों में बालकों के माता- पिता, अध्यापक, आस-पड़ोस के लोग व उनके मित्रगण सम्मिलित हैं। इन सभी व्यक्तियों से आवश्यक सूचनाएँ लेकर शिक्षक प्रतिभाशाली बालकों की प्रतिभा तथा उसके स्तर को भली- भाति जान सकता है। इसके अतिरिक्त प्रतिभा खोज प्रतियोगिताएं आयोजित करके अपनी प्रतिभा की खोज का प्रयत्न करते हैं। यह प्रतियोगिताएँ अत्यन्त ही लाभदायक होती हैं।

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