समाजशास्‍त्र / Sociology

पर-संस्कृतिग्रहण क्या है? इसके स्वरूप को स्पष्ट कीजिए। Acculturation meaning & its Form

पर-संस्कृतिग्रहण

पर-संस्कृतिग्रहण

पर-संस्कृतिग्रहण क्या है? इसके स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।

पर- संस्कृतिग्रहण क्या है? – जब दो संस्कृतियां एक दूसरे के सम्पर्क में आती हैं तो एक दूसरे को प्रभावित करती हैं, किन्तु जब कुछ सांस्कृतिक तत्वों के स्थान पर बहुत सारे सांस्कृतिक तत्व अपना लिये जाते हैं, तो उसे हम पर-संस्कृतिग्रहण कहते हैं। पर संस्कृतिग्रहण करने वाले समूह की जीवन-विधि ही बदल जाती है।

डॉ. दुबे के अनुसार, “दो संस्कृतियों के सम्पर्क की स्थिति में यदि एक संस्कृति दूसरी संस्कृति के तत्वों को अपनी इच्छा से या किसी दबाव से ग्रहण करे तो इस प्रक्रिया को हम संस्कृति-संक्रमण (संस्कृतिग्रहण) कहेंगे।”

गिलिन एवं गिलिन लिखते हैं, “पर-संस्कृतिग्रहण से हमारा तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों वाले समाज निकट एवं लम्बे सम्पर्क के कारण परिवर्तित होते हैं, किन्तु इसमें दोनों संस्कृतियों का पूर्ण मिश्रण नहीं होता।”

पर-संस्कृतिग्रहण का स्वरूप

हर्सकोविट्स ने पर संस्कृतिग्रहण के निम्न स्वरूपों का उल्लेख किया है-

(1) विरोधात्मक पर-संस्कृतिग्रहण (Antagonistic Acculturation) –

जब कोई संस्कृति किसी अन्य संस्कृति को पास आने से रोकने के लिए हथियार या अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग करने लगती है तो इसे विरोधात्मक पर-संस्कृतिग्रहण कहते हैं। जैसे-अश्वेत अमेरिकन-इंडियन द्वारा श्वेत अमेरिकन को रोकने के लिए किया गया बल प्रयोग इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।

(ii) प्रति पर-संस्कृतिग्रहण (Contra Acculturation)-

जब दो असमान संस्कृतियां, सबल तथा दुर्बल एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं, तो निर्बल संस्कृति का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है या कभी-कभी समाप्त भी हो जाती है। पुनः उस दुर्बल संस्कृति के द्वारा अपना सांस्कृतिक गौरव प्राप्त करना, प्रति पर-संस्कृतिग्रहण कहलाता है। जब कोई जनजाति पुनः अपने गौरव को प्राप्त करने की कोशिश करती है तो लिण्टन उसे देशीयता (Nativism)और इस प्रकार के आन्दोलन को देशीयता आन्दोलन कहते हैं जैसे- नागा आंदोलन, झारखण्ड आन्दोलन आदि।

(iii) पर-संस्कृतिग्रहण (Cross Acculturation) –

जब दो भित्र सांस्कृतियों के सांस्कृतिक तत्वों का आदान-प्रदान होता है या आदान-प्रदान की प्रक्रिया छोटे स्तर पर होती है, तो उसे पर-संस्कृतिग्रहण कहते हैं।

(iv) ऐच्छिक पर-संस्कृतिग्रहण (Voluntary Acculturation)-

जब किसी के द्वारा इच्छानुसार या स्वेच्छा से दूसरे की संस्कृति ग्रहण की जाती है तो उसे ऐच्छिक पर-संस्कृतिग्रहण कहते हैं। (सीमांत पर-संस्कृतिग्रहण (Marginal Acculturation)-जब पर-संस्कृतिग्रहण की प्रक्रिया दोनों संस्कृतियों की सीमाओं तक ही सीमित हो तो उसे सीमांत पर-संस्कृतिग्रहण कहते हैं।

(vi) सुदूरवर्ती पर-संस्कृतिग्रहण (Plaintational Acculturation)-

जब दो दूर देश की संस्कृतियां आपस में मिलती हैं तो उनमें होने वाली सांस्कृतिक अंतःक्रिया को ही सुदूरवर्ती पर-संस्कृतिग्रहण कहते हैं। इस प्रकार के पर संस्कृति ग्रहण में सात्मीकरण संभव हो जाता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment