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बिहार राज्य की भाषा नीति | language policy of Bihar state in hindi

बिहार राज्य की भाषा नीति
बिहार राज्य की भाषा नीति

बिहार राज्य की भाषा नीति की व्याख्या करें। (Discuss the language policy of Bihar state?)

शिक्षा में भाषा पर बिहार राज्य की नीतियों का समीक्षात्मक अध्ययन करने तथा उसमें आवश्यक सुधार प्रस्तुत करने के लिए ब्रिटिश परिषद राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA), बिहार तथा यू.के. डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने भाषा के विकास पर राज्य की नातियों का अध्ययन प्रारम्भ किया। बिहार में शिक्षा में भाषा के विकास के लिए Bihar Language Initiative for Secondary School (BLISS) प्रोजक्ट को प्रारम्भ किया गया। BLISS का उद्देश्य भाषा में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण तथा शिक्षण सामग्री के साथ भाषाई मूल्यों के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए शिक्षकों तथा शिक्षार्थियों को प्रोत्साहित करना था।

BLISS का दृष्टिकोण (Vision of BLISS)

BLISS का उद्देश्य राज्य के भाषा के विकास के लिए भाषा शिक्षण का एक सुसंगत, उच्च गुणवत्ता वाला स्थाई प्रतिमान को स्थापित करना है जिससे भाषा की गुणवत्ता में सुधार हो सके और राज्य के शिक्षकों तथा शिक्षार्थियों में भाषाई दक्षता का स्तर बढ़ सके तथा जिससे बिहार सरकार भाषाई विकास के अपने उददेश्य को प्राप्त कर सके।

बिहार राज्य की भाषा शिक्षा की नीतियों की समीक्षा के लिए BLISS ने लगभग 200 शिक्षक एवं शिक्षार्थियों के समूह के साथ काम किया। इस दौरान BLISS ने पाया कि बिहार में भाषा शिक्षकों के पास राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF 2005) और बिहार पाठ्यचर्या की रूपरेखा (BCF 2008) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल है वर्ष 2000 तक भाषा शिक्षकों को भाषा शिक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया तथा भाषा शिक्षकों और शिक्षकों एवं छात्रों के बीच विभिन्न संवादात्मक एवं सार्थक तरीकों से भाषाई कौशलों का उपयोग करने का अवसर प्रदान किया गया है। इसके साथ ही राज्य के प्रमुख जिला शिक्षा और परियोजना अधिकारियों के लिए कार्यशालाएं आयोजित किया गया ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि वे भाषा के सन्दर्भ में राज्य की नीतियों से अवगत है।

बिहार राज्य की भाषा नीति (Language Policy of Bihar State)

बिहार राज्य की भाषा नीति को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-

(1) बिहार एक बहुभाषी राज्य है। बिहार के बच्चे हिन्दी के अतिरिक्त भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, उर्दू और बंगाली जैसी कई भाषाओं में निपुण हैं।

(2) बिहार राज्य के विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों में मातृभाषा के साथ-साथ कम से कम दो भाषाओं के विकास के त्रिभाषा सूत्र को अपनाया गया है।

(3) भाषा शिक्षकों में भाषागत कौशलों के विकास के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

(4) बिहार में छात्रों का पाठ्यक्रम सुनियोजित किया गया जो बालकों में भाषाई कौशलों के विकास में सहायक है।

(5) बिहार के जनजातीय और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों में राज्य की प्रमुख भाषाओं का विकास सुनिश्चित किया गया है।

(6) छात्रों में समृद्ध भाषागत समझ को विकसित करने के लिए बाल-मनोवैज्ञानिक के विचार-विमर्श के उपरांत पाठ्यक्रम को निर्धारित किया गया है।

(7) प्रारम्भिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने का प्रावधान किया गया है। जिससे छात्रों में भलीभांति अवधारणात्मक समझ विकसित हो सके।

(8) शिक्षा के अधिकार अधिनियम में तहत् छात्रों में भाषा कौशलों के विकास पर बल दिया गया।

(9) राष्ट्रीय शिक्षानीति में उपबन्धित भाषा के विकास के कार्यक्रमों को राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया है।

(10)पाठ्यक्रम को इस ढंग से तैयार किया गया है। जिससे छात्रों में भाषाई विविधता की बेहतर समझ विकसित की जा सके।

बिहार राज्य में भाषा नीति की कमियाँ (Draw back of Language Policy in Bihar State)

यद्यपि बिहार में राज्य की शिक्षा नीति में छात्रों में आवश्यक भाषागत कौशलों के विकास हेतु सराहनीय प्रयास किए गए है। फिर भी उनमें कुछ कमियाँ विद्यमान है जिन्हें निम्नलिखित के माध्यम से समझा जा सकता है-

(1) राज्य ने विद्यालयों में प्रचलित पाठ्यक्रम छात्रों में बहुभाषिकता के कौशलों के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका है।

(2) पाठ्यक्रम नियोजकों ने नवीन भाषा के अधिगम में बहुभाषिकता की भूमिका को कम करके आंका है जिससे बालक किसी नवीन भाषा, जैसे-अंग्रेजी को सीखने में कठिनाई का अनुभव करता है।

(3) मातृभाषा में शिक्षा देने पर बल देने वाले नीति निर्माताओं की दृष्टि इस तथ्य पर नहीं गया कि घर की भाषा और स्कूल की भाषा के बीच अंतर होता है।

(4) वर्तमान शिक्षा नीति बच्चों में समृद्ध भाषाई विविधता का विकास कर पाने में सफल नहीं हो पाई है।

(5) शैक्षणिक और मनोवैज्ञानिक बाधाएँ बच्चों में भाषा के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

(6) राज्य के जनजातीय एवं अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के सामाजिक हाशिएकरण के कारण उनमें भाषाई कौशलों का अभाव देखा जाता है।

(7) मातृभाषा के साथ-साथ छात्रों में बहुभाषिकता के कौशलों के विकास का अभाव पाया गया है।

(8)  राज्य के शैक्षिक पिछड़ेपन दूरस्थ इलाकों के बच्चों में भाषा के कौशलों के विकास में भाषा नीति विफल रही है।

(9) राज्य में त्रिभाषा सूत्र लागू होने के बावजूद भी मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य दो भाषाओं की छात्राओं में प्रभावपूर्ण तरीके स्थाई भाषाई दक्षता का अभाव देखा जाता है विशेषकर अंग्रेजी भाषा के सन्दर्भ में ।

(10) भाषा मदों के चयन उन्नयन और प्रस्तुति में छात्रों की उम्र एवं संज्ञानात्मक स्तर का ध्यान नहीं रखा गया है जिससे छात्र भाषागत दक्षता प्राप्त करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।

(11) राज्य की भाषा नीति में स्थानीय भाषा और संस्कृति को उचित प्रतिनिधित्व दर नहीं मिलने के कारण विद्यालय के बीच में ही छोड़ने की प्रवृत्ति देखी।

निष्कर्ष (Conclusion ) – बिहार राज्य की शिक्षा में छात्रों में प्रभावी एवं स्थाई रूप भाषाई कौशलों के विकास में प्रशंसनीय प्रयास किए गए हैं, किन्तु साथ ही उनमें कुछ खामियां भी व्याप्त है विशेष रूप से समाज के हाशियों पर खड़े समुदायों के बच्चों की शिक्षा तक अधिगम के साथ उनमें भाषाई कौशलों के विकास तथा छात्रों में बहुभाषिकता की भाषाई दक्षता प्राप्त करने के क्रम में अभी और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

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