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अश्वत्थामा के मामा कृपाचार्य का जीवन परिचय | Biography of Kripacharya in Hindi

अश्वत्थामा के मामा कृपाचार्य का जीवन परिचय
अश्वत्थामा के मामा कृपाचार्य का जीवन परिचय

अश्वत्थामा के मामा कृपाचार्य का जीवन परिचय- आज का रुहेलखंड, जो उत्तर पांचाल कहा जाता था, वहां के गौतम मुनि के पुत्र का नाम शारद्वत था, जो बहुत तपस्वी भी थे। इनकी तपस्या से भय खाकर इंद्र ने तपोभंग करने के लिए चालवती दूसरे प्रसंग के तहत उर्वशी नाम की अप्सरा भेजी। ऋषि पर तो इनकी एक न चली, किंतु उसकी उपस्थिति के कारण अनजाने ही इनका वीर्य एक सरकंडे पर गिरकर दो भागों में बंट गया। इससे एक पुत्र व एक पुत्री का जन्म हुआ। ऋषि तो वहां से जा चुके थे, किंतु आखेट के लिए राजा शांतनु ने इन्हें देखा और अपने साथ लिवा ले गए। इन्होंने कृपापूर्वक इनका पालन-पोषण किया। इसी से पुत्र तो कृप व पुत्री कृपा या कृपी कहलाई। यही कृप बाद में कृपाचार्य के नाम से विख्यात हुए।

कृपाचार्य धनुर्विद्या के ज्ञाता थे। धृतराष्ट्र ने अपने पुत्रों को धनुर्विद्या प्राप्त करने के लिए द्रोणाचार्य से पूर्व इन्हें ही नियुक्त किया था। कर्ण से इनकी शत्रुता हो गई थी। महाभारत युद्ध में इन्होंने कौरवों की ओर से भाग लिया और पांडवों के कई योद्धाओं का वध किया। जब कौरव पक्ष के ज्यादातर योद्धा मारे जा चुके थे तो कृपाचार्य ने दुर्योधन को पांडवों से समझौता कर लेने की राय दी थी। इस पर दुर्योधन ने कहा कि पांडव मेरे पूर्व कृत्यों को न तो क्षमा करेंगे और न विस्मृत करेंगे। युद्ध के बाद कौरव पक्ष के जो तीन वीर जीवित बचे थे, इनमें एक कृपाचार्य भी थे। तदंतर ये पांडवों के साथ आ गए और इन्होंने परीक्षित को अस्त्र विद्या का ज्ञान भी करवाया।

कृपाचार्य कहानी हिंदी में | Kripacharya story in hindi

कृपाचार्य (Kripacharya) कौरवों और पांडवों के गुरू थे। इनको सात चिरंजीवियों में वे भी एक माना जाता हैं। कृपाचार्य महर्षि गौतम शरद्वान् के पुत्र थे। एक समय जब शरद्वान तप कर रहे थे तब इंद्र ने उनका तप भंग करने के लिए जानपदी नाम की देवकन्या को भेजा था, कृपाचार्य उस कन्या पर मोहित हो गए और जानपदी के गर्भ से दो भाई-बहन हुए।

कृपाचार्य की मृत्यु कैसे हुई | Kripacharya ki mrityu kaise hui

महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य (Kripacharya) ने कौरवों का साथ दिया था। जब युद्ध में कौरवों का वध हो गया और पांडव विजयी हुए तो वे उनके साथ चले गए। कृपाचार्य (Kripacharya) सात चिरंजीवी में से एक हैं। वे आज भी जीवित हैं

कृपाचार्य कौन थे? | Kripacharya kaun the – kripacharya kon the- guru kripacharya kaun the

Kripacharya महर्षि गौतम शरद्वान्‌ के पुत्र। शरद्वान की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने जानपदी नामक एक देवकन्या भेजी थी, जिसके गर्भ से दो यमज भाई-बहन हुए। पिता-माता दोनों ने इन्हें जंगल में छोड़ दिया जहाँ महाराज शांतनु ने इनको देखा। इनपर कृपा करके दोनों को पाला पोसा जिससे इनके नाम कृप तथा कृपी पड़ गए।

कृपाचार्य के पुत्र का नाम | Kripacharya ke putra ka naam

कौन हैं कृपाचार्य (Kripacharya) उनके अनुसार महर्षि गौतम और अहल्या ने एक पुत्र को जन्म दिया था, जिसका नाम शरद्वान रखा गया। शरद्वान शास्त्र और धनुर्विद्या दोनों में पारंगत थे। एक बार वे अपने आश्रम में कठोर तपस्या कर रहे थे। इससे देवलोक में देवताओं के सिंहासन डोलने लगे।

कृपाचार्य के गुरु का नाम | Kripacharya ke guru ka naam

कृपाचार्य महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। महाभारत युद्ध के कृपाचार्य, गुरु द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह की जोड़ी थी। युद्ध में द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और अश्वत्थामा तीनों ही भयंकर योद्धा था।

कृपाचार्य को अमरता का वरदान किसने दिया | Kripacharya ko amarata ka vardaan kisne diya

कृपाचार्य उन तीन तपस्वियों में से एक थे, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन हुए थे. उन्हों सप्तऋषियों में से एक माना जाता है. कृपाचार्य (Kripacharya) ने दुर्योधन को पांडवों से सन्धि करने के लिए बहुत समझाया था, लेकिन दुर्योधन ने उनकी एक नहीं सुनी. कृपाचार्य को ऐसे ही सुकर्मों की वजह से अमरत्व का वरदान प्राप्त था.

कृपाचार्य अमर कैसे हुए | Kripacharya Amar kaise hue

कृपाचार्य ने महाभारत का युद्ध कौरवों की तरफ से लड़ा, लेकिन निष्पक्षता के साथ लड़ा, इसलिए उन्हें अमरता का वरदान मिला। 

महाभारत युद्ध में कृपाचार्य का क्या हुआ? | Mahabharat yudh me Kripacharya ka kya hua

महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य ने कौरवों का साथ दिया था। जब युद्ध में कौरवों का वध हो गया और पांडव विजयी हुए तो वे उनके साथ चले गए। कृपाचार्य सात चिरंजीवी में से एक हैं। वे आज भी जीवित हैं

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