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मनोवृत्ति या अभिवृत्ति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, मनोवृत्तियों एवं मत या राय में अन्तर

मनोवृत्ति या अभिवृत्ति का अर्थ
मनोवृत्ति या अभिवृत्ति का अर्थ

मनोवृत्ति या अभिवृत्ति का अर्थ (Meaning of Attitude)

मनोवृत्तियाँ व्यक्ति के उस दृष्टिकोण की ओर संकेत करती हैं, जिनके कारण वह किसी वस्तु परिस्थिति, संस्था या व्यक्ति के प्रति किसी विशिष्ट भाँति व्यवहार करता है किन्तु ‘मनोवृत्ति’ शब्द इतना सरल नहीं है। विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग शब्दों से इसे परिभाषित किया है। थर्स्टन के अनुसार, यह किसी विशिष्ट विषय के प्रति व्यक्ति की प्रवृत्तियों, पूर्वाग्रहों, पूर्व-निर्धारित विचारों एवं आतंकों का योग है । इस प्रकार धर्म, युद्ध एवं शांति, राजनीतिक दलों, संस्थाओं आदि के प्रति व्यक्ति की कोई निश्चित मनोवृत्ति होती है।

व्यक्ति किसी निश्चित समाज में रहता है और शिक्षालय में शिक्षा प्राप्त करता है अतः. इनका उसकी मनोवृत्तियों पर प्रभाव पड़ता है । बहुत-सी मनोवृत्तियाँ उसे अपने माता-पिता से प्राप्त होती हैं यों तो जन्म से ही हमारी मनोवृत्तियों का विकास होता रहता है। भोजन, वस्त्र, माता-पिता, संगी-साथियों के बारे में बचपन में ही हम एक निश्चित अभिवृत्ति बना लेते हैं।

मनोवृत्तियाँ नकारात्मक तथा सकारात्मक- दोनों प्रकार की हो सकती हैं। यदि हम किसी व्यक्ति से घृणा करते हैं, उससे निराश हैं, उसने हमें हानि पहुँचाई है। या किसी राजनीतिक दल या धर्म में हमारा विश्वास नहीं है तो उसके प्रति हमारी मनोवृत्ति ‘नकारात्मक’ होगी। अनेक हिन्दू, मुसलमानों के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति रखते हैं और मुसलमान, हिन्दुओं के प्रति । यदि हम किसी व्यक्ति या वस्तु को चाहते हैं या किसी संस्था, धर्म, दल आदि में हमारा विश्वास है तो उसके प्रति हमारी मनोवृत्ति ‘धनात्मक’ होगी।

मनोवृत्तियों एवं मत या राय में अन्तर

मनोवृत्तियों एवं मत या राय में अन्तर है- ‘मत’ वास्तव में मनोवृत्ति की शाब्दिक अभिव्यक्ति है यदि कोई व्यक्ति यह कहे कि हमने संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता ग्रहण करके भूल की तो यह उसका ‘मत’ हुआ किन्तु इससे यह भी ज्ञात होता है कि उसकी मनोवृत्ति संयुक्त राष्ट्र संघ विरोधी है।

मनोवृत्तियों की परिभाषाएँ (Definition of Attitude)

किम्बल यंग के अनुसार- “मनोवृत्ति अनिवार्य रूप एक पूर्वज्ञापी प्रतिक्रिया का कारण है, क्रिया का एक आरम्भ है, जो अनिवार्य नहीं कि पूरी हुई हो। “

ब्रिट के अनुसार- “मनोवृत्ति नाड़ी सम्बन्धी तथा मानसिक तत्परता की अवस्था है, जो व्यक्ति से सम्बन्धित सभी वस्तुओं तथा परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया पर निर्देशात्मक अथवा गत्यात्मक प्रभाव डालती है।”

कैच एवं क्रचफील्ड के अनुसार—“मनोवृत्ति को व्यक्ति के संसार के किसी अंग के प्रति प्रेरणात्मक, संवेगात्मक, प्रत्यक्षात्मक एवं ज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के स्थायी संगठन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”

वुडवर्थ के अनुसार—“मनोवृत्तियाँ मत, रुचि या उद्देश्य की थोड़ी-बहुत स्थायी प्रवृत्तियाँ हैं, जिनमें किसी प्रकार के पूर्व-ज्ञान की प्रत्याशा और उचित प्रक्रिया की तत्परता निहित है।”

मनोवृत्ति के लक्षण या विशेषताएँ (Characteristics of Attitude)

मनोवृत्ति के लक्षण या विशेषताएँ निम्नलिखित है-

1. मनोवृत्तियों का प्रसार असीमित है। हमारी पसन्द, नापसन्द, आराध्यदेव आदि सभी की बातें मनोवृत्ति के अन्तर्गत आती हैं।

2. यह बाह्य वस्तुओं के प्रति हमारी स्थिति है- पक्ष में या विपक्ष में।

3. मनोवृत्तियों में व्यक्तिगत विभेद होते है।

4. मनोवृत्तियाँ हमारे व्यवहार का आधार हैं।

5. ये अव्यक्त भी हो सकती हैं और व्यक्त भी।

6. मनोवृत्तियाँ हमारे सम्पूर्ण व्यवहार संगठन में समन्वित होती हैं।

7. ये वातावरणजन्य हैं, न कि जन्मजात। हिन्दू, मुसलमान, पारसी, जनसंघ, कांग्रेस आदि के प्रति जन्म से ही किसी की पक्ष या विपक्ष में मनोवृत्ति नहीं होती है।

8. किसी वस्तु या परिस्थिति के प्रति मनोवृत्ति आवश्यक रूप से उसकी उपयोगिता पर आधारित नहीं है।

9. विभिन्न संस्कृतियों में व्यक्ति की मनोवृत्तियाँ अलग-अलग होती हैं। विभिन्न समुदायों की मनोवृत्तियाँ भी अलग-अलग होती हैं।

10. मनोवृत्तियाँ पर्याप्त रूप से स्थायी होती हैं। पर इनमें परिवर्तन या संशोधन सम्भव है।

11. मनोवृत्तियाँ एक व्यक्ति या वस्तु के प्रति हो सकती हैं या अनेक के प्रति। उदाहरणार्थ, एक राष्ट्र से लड़ते समय उसके अधिकांश व्यक्तियों को हम शत्रु समझते हैं।

12. इनके दो पक्ष हैं— जिसकी मनोवृत्ति है और जिसके प्रति है।

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