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भारत में नगरपालिका एवं जिला परिषद का शिक्षा में योगदान

भारत में नगरपालिका एवं जिला परिषद का शिक्षा में योगदान | शैक्षिक प्रशासन में नगरपालिका एवं जिला परिषद् का योगदान

नगरपालिकाएँ एवं शिक्षा-

भारत में नगरपालिका एवं जिला परिषद का शिक्षा में योगदान– भारत में दो प्रकार की नगरपालिकाएँ पाई जाती हैं- अधिकृत एवं अनाधिकृत। अधिकृत नगरपालिकाएँ वे हैं जो प्राथमिक शिक्षा पर एक लाख रुपए की वार्षिक धनराशि से कम व्यय नहीं करती हैं। अनाधिकृत नगरपालिकाओं की कोटि में वे सब आती हैं जो इस धनराशि से कम व्यय करती हैं। अधिकृत नगरपालिकाओं को अपनी शिक्षा- समिति अथवा विद्यालय बोर्ड बनाने का अधिकार है। शिक्षा के प्रशासन में उनको बहुत से अधिकार प्राप्त हैं। वे अपने विद्यालयों का निरीक्षण स्वयं के द्वारा नियुक्त अधिकारियों द्वारा करती हैं। अनाधिकृत नगरपालिकाएँ प्राथमिक शिक्षा के लिए अपना योगदान तो देती हैं, परन्तु उनको इनके प्रशासन में काई अधिकार प्राप्त नहीं होते। उनके क्षेत्र की शिक्षा का प्रबन्ध या तो अधिकृत-नगरपालिका में स्थित है या जिला परिषद् की शिक्षा समिति करती है।

जिला परिषद एवं शिक्षा-

ग्रामीण क्षेत्र की प्राथमिक शिक्षा के लिए जिला-बोर्डो को उत्तरदायी ठहराया गया है। किसी-किसी राज्य में जिला-बोडों के स्थान पर इसका नाम जिला- परिषद् कर दिया गया था, जैसे- उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश आदि। अब जिला-बोर्डों को जिला पंचायत के नाम से पुकारा जाने लगा है। कुछ जिला-बोर्ड माध्यमिक विद्यालयों का भी संचालन कर रहे थे। पंजाब, मद्रास, उत्तर प्रदेश आदि में 30 प्रतिशत से अधिक माध्यमिक विद्यालयों का संचालन इनके द्वारा किया जा रहा था। राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा के प्रशासन के लिए दो प्रणालियाँ अपनाई जा रही हैं। कुछ राज्यों में जिला-बोर्ड एवं ग्राम पंचायत इसका प्रबन्ध कर रही हैं, उदाहरणार्थ- गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मद्रास आदि। कुछ राज्यों मे जिला-परिषद् पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायतों के द्वारा शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है, उदाहरणार्थ- मध्य प्रदेश, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश आदि। अब जिला-बोर्डों को जिला पंचायत के नाम से पुकारा जाने लगा है। कुछ जिला-बोर्ड माध्यमिक विद्यालयों का भी संचालन कर रहे थे। पंजाब, मद्रास, उत्तर प्रदेश आदि में 30 प्रतिशत से अधिक माध्यमिक विद्यालयों का संचालन इनके द्वारा किया जा रहा था। राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा के प्रशासन के लिए दो प्रणालियाँ अपनाई जा रही हैं। कुछ राज्यों में जिला-बोर्ड एवं ग्राम पंचायत इसका प्रबन्ध कर रही हैं, उदाहरणार्थ- गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मद्रास आदि। कुछ राज्यों मे जिला-परिषद् पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायतों के द्वारा शिक्षा का प्रबन्ध किया जाता है, उदाहरणार्थ- मध्य प्रदेश, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश आदि।

जिला परिषद् अपनी एक शिक्षा-समिति बनाती थी जो प्राथमिक बेसिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की व्यवस्था तथा उनका संचालन करती है। उत्तर प्रदेश में उप-विद्यालय निरीक्षक, शिक्षा-समिति का मुख्य अधिकारी होना चाहिए। साथ ही जिला परिषदों को क्षेत्रों की पंचायत समितियों की माँगों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने एवं सरकार से प्राप्त धनराशि को क्षेत्रों में वितरित करने का अधिकार होना चाहिए।

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