1857 के स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता के कारण तथा परिणाम
स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता के कारण
1857 स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता के कारण यद्यपि स्वाधीनता प्राप्ति की दिशा में भारतीय स्वाधीनता संग्राम एक महान प्रयास था, तथापि यह सफल न हो सका । इसकी असफलता के कारणों का विवेचन हम इस प्रकार कर सकते हैं –
1. समय से पूर्व विद्रोह होना-
विद्रोह अपनी निश्चित तिथि 31 मई, 1857 ई. से पूर्व ही प्रस्फुटित हो गया । यह बात विद्रोह की असफलता का एक सबल कारण बनी । यदि यह विद्रोह समस्त देश में एक ही बार होता, तो अंग्रेजों के लिए इसका दमन करना असम्भव हो जाता, परन्तु चर्बीयुक्त कारतूसों की घटना ने इसे निश्चित तिथि से पूर्व ही प्रारम्भ कर दिया तथा इसकी योजना और व्यवस्था में कई दोष रह गए ।
2. सैनिक सामग्री का अभाव –
विद्रोहियों के पास सैनिक सामग्री का अभाव था, जबकि अंग्रेजों के पास पर्याप्त युद्ध सामग्री थी । इसके अतिरिक्त विद्रोहियों में अनुशासन का अभाव था तथा वे एक अनुशासनहीन अनियन्त्रित विद्रोहियों की भीड़ के समान थे जबकि अंग्रेज सैनिक पूर्णतः अनुशासित थे । अनुशासन तथा सैन्य सामग्री का यह अभाव, विद्रोह की असफलता का एक मुख्य कारण बना।
3. कुशल नेतृत्व का अभाव –
यद्यपि भारतीय लोग अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए अधीर हो रहे थे तथापि उनका नेतृत्व करने के लिए अच्छे सेनापतियों का अभाव था । विद्रोही सामान्यतः सिपाही थे । रानी लक्ष्मीबाई और नाना साहब सरीखे विद्रोह के नेता निःसन्देह वीर थे, परन्तु उनमें उस सैनिक प्रतिभा तथा दक्षता का अभाव था ।
4. अंग्रेजों की विकसित संचार व्यवस्था-
अंग्रेजों के नियन्त्रण में एक सफल डाक तथा तार द्वारा होने वाली संचार प्रणाली थी । विद्रोहियों को चाहिए था कि वे इस प्रणाली को हानि पहुँचाकर अंग्रेजों की संचार व्यवस्था को भंग कर देते, परन्तु यह प्रणाली उसी प्रकार बनी रही तथा अंग्रेज भारतीय विद्रोहियों के विरुद्ध एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना तथा आदेश भेजने में समर्थ रहे।
5. सामान्य आदर्श का अभाव –
पहले विद्रोहियों के सामने एक सामान्य आदर्श था कि मुगल सम्राट बहादुरशाह को उनके पूर्वजों का सिंहासन दिलाया जाये, परन्तु दिल्ली के पतन तथा सम्राट के पकड़े जाने के पश्चात् यह आदर्श विलुप्त हो गया । सामान्य आदर्श की इस अनुपस्थिति ने विद्रोह पर घातक प्रहार किया । अब विद्रोहियों का एकमात्र उद्देश्य ईस्ट इण्डिया कम्पनी का विनाश करना हो गया ।
6. अंग्रेजों को भारतीयों का सहयोग-
देश के दक्षिणी भाग, पंजाब, सतलज के इस पार के सिक्ख राज्य, राजपूताना तथा अनेक जमींदारों व सामन्तों ने विद्रोहियों का साथ नहीं दिया । उनमें से कुछ तो शान्तिपूर्वक तमाशा ही देखते रहे और कुछ ने विद्रोहियों के विरुद्ध अंग्रेजों को सहयोग भी दिया ।
7. साधनों का अभाव –
विद्रोहियों के साधन, कम्पनी की तुलना में बहुत कम थे । दक्षिण भारत, नेपाल, पंजाब आदि के राजकोष तथा सैन्य संसाधन कम्पनी के हाथ में थे, जबकि विद्रोहियों के पास अपने साधन जुटाने के लिए कोई समृद्ध प्रदेश नहीं था ।
8. समुद्री शक्ति का अभाव –
विद्रोहियों के पास कोई नौसैनिक शक्ति नहीं थी । अतः वे इंग्लैण्ड से आ रही युद्ध सामग्री तथा अंग्रेजी सेना को न रोक सके । वस्तुतः यह विद्रोहियों की बड़ी भारी दुर्बलता थी । संक्षेप में कहा जा सकता है कि आपसी फूट तथा साधनों का अभाव 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता के मुख्य कारण थे ।
सन् 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम के परिणाम
क्रान्ति के परिणामों का उल्लेख निम्नांकित रूप में किया जा सकता है –
1. कम्पनी के शासन का अन्त –
ब्रिटिश साम्राज्ञी ने एक कानून (सत्ता हस्तान्तरण कानून) पारित करके भारत का शासन ईस्ट इण्डिया कम्पनी से अपने हाथों में ले लिया । अब भारत सीधे ब्रिटिश ताज के अन्तर्गत शासित होने लगा । ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी कहा जाने लगा।
2. मुगल वंश का अन्त –
ब्रिटिश शासन के फलस्वरूप भारत में मुगल शासन का अन्त हो गया । मुगल बादशाह बहादुरशाह को बन्दी बनाकर रंगून भेज दिया, जहाँ उसको बहुत दर्दनाक मृत्यु हुई ।
3. अंग्रेजों की कपटनीति-
अंग्रेज भलीभाँति समझ गए कि भारतीयों को जब तक किसी गहरे संकट में नहीं फाँसा जाएगा तब तक भारत में शासन नहीं किया जा सकता । अतः उन्होंने हिन्दू-मुसलमान दोनों को आपस में लड़ाने की नीति का पालन करना शुरू कर दिया । वे ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का पालन करने लगे । यह हालात अधिक समय तक नहीं रह सके क्योंकि हिन्दू-मुसलमान दोनों जान गए थे कि अंग्रेज क्या चाहते हैं । अतः दोनों में पारस्परिक प्रेम किसी-न-किसी रूप से बना रहा ।
4. सेना का पुनर्गठन –
अंग्रेजों ने भारतीय सेना का भी पुनर्गठन किया । अब तोपखाने की शक्ति को बढ़ाया जाने लगा तथा उसमें केवल अंग्रेजों को ही नियुक्त किया जाने लगा । इसके अलावा भारतीय सेना रेजीमेण्ट जाति तथा धर्म के नाम पर बनाई गई, जैसे- राजपूत रेजीमेण्ट राइफल सेल, जाट रेजीमेण्ट, सिक्ख रेजीमेण्ट आदि ।
5. पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार –
भारत पर निरन्तर अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए ब्रिटिश शासकों ने भारतीयों पर मानसिक विजय प्राप्त करने के लिए तीन साधन अपनाए, जिसमें पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार सबसे प्रमुख था । इसके लिए 1858 में भारत में विश्वविद्यालय स्थापित किये गए । अंग्रेजी न्याय व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिए 1861 में हाईकोर्ट’ एक्ट पास किया गया ।
6. जातीय दुर्भावना –
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्व अंग्रेज शासक भारतीयों से मिलते-जुलते थे, लेकिन 1857 के बाद अंग्रेजों ने भारतीयों से सारे सम्बन्ध समाप्त कर लिए । देश में जातीय कटुता की भावना को बढ़ावा दिया गया । अंग्रेज शासक भारतीयों को अपना शत्रु समझने लगे । ये शासक घृणा व्यक्त करते हुए भारतीयों को ‘काले भारतीय’ (Black Indian) कहकर पुकारने लगे।
7. देशी नरेशों से मैत्रीभाव –
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के बाद अंग्रेजी शासन ने यह अनुभव किया कि भारतीय नरेशों से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध न रखकर उन्होंने मूर्खता की है । उनको यह अच्छी तरह पता चल गया कि भविष्य में भारतीय जनता में से उनको मित्र नहीं मिल सकते, केवल देशी रियासतों के नरेशों को सन्तुष्ट करके उनको मित्र बनाया जा सकता है । अतः अब देशी रियासतों के नरेशों के प्रति मित्रतापूर्ण नीति अपनाई गई । इसीलिए इंग्लैण्ड की रानी विक्टोरिया ने घोषणा की, कि राजाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
8. भारतीयों के सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप करने की नीति-
ब्रिटिश शासन द्वारा यह अनुभव किया गया कि विद्रोह का कारण लॉर्ड डलहौजी द्वारा सामाजिक सुधार की नीति अपनाते हुए हिन्दुओं के सामाजिक जीवन पर प्रभाव डालने वाले कानूनों का निर्माण करना था । इसलिए अब धार्मिक जीवन में हस्तक्षेप न करने की घोषणा की गई । इस प्रकार ब्रिटिश सरकार ने अपनी शक्ति तथा कूटनीति के बल पर भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को कुचल दिया । परन्तु राष्ट्रीयता की भावना कुचलने में वह सफल नहीं हो सकी।
Important Links
प्रथम विश्व युद्ध (first world war) कब और क्यों हुआ था?
भारत में अंग्रेजों की सफलता तथा फ्रांसीसियों की असफलता के कारण
1917 की रूसी क्रान्ति – के कारण, परिणाम, उद्देश्य तथा खूनी क्रान्ति व खूनी रविवार
फ्रांस की क्रान्ति के कारण- राजनीतिक, सामाजिक, तथा आर्थिक
द्वितीय विश्व युद्ध 1939-1945 (2nd world war)- के कारण और परिणाम
अमेरिकी क्रान्ति क्या है? तथा उसके कारण ,परिणाम अथवा उपलब्धियाँ
औद्योगिक क्रांति का अर्थ, कारण एवं आविष्कार तथा उसके लाभ
धर्म-सुधार आन्दोलन का अर्थ- तथा इसके प्रमुख कारण एवं परिणाम :