एकीकृत व समावेशी शिक्षा में अन्तर
एकीकृत व समावेशी शिक्षा में अन्तर स्पष्ट करते हुए उनकी प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
एकीकृत शिक्षा की प्रक्रियाएँ-
असमर्थ बालकों के लिए पहले विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता महसूस की गयी, क्योंकि विशिष्ट बालक सामान्य बालकों से अलग होते हैं। लेकिन विशिष्ट व सामान्य बच्चों के लिए एक शिक्षा अर्थात् समाकलित शिक्षा को अपनाया गया। मनोवैज्ञानिकों ने महसूस किया कि इससे बच्चों में हीन भावना का विकास हो रहा है। इसलिए समाकलित शिक्षा सामान्य व विशिष्ट बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करती है।समन्वित शिक्षा की प्रक्रिया को अग्र प्रकार व्यक्त किया गया है-
1. सामाजिक मूल्यों का विकास-
समाज में सभी प्रकार की (समर्थ असमर्थ) बच्चे होते है, इससे उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न होता है। व बच्चे होते हैं। समन्वित शिक्षा द्वारा समर्थ व असमर्थ दोनों प्रकार के बच्चों को समान शिक्षित की भावना का विकास होता है। उनमें सहयोग, सहायता, समायोजन आदि विभिन्न प्रकार के सामाजिक मूल्यों का विकास होता है।
2. प्राकृतिक वातावरण-
सामान्य विद्यालयों में असमर्थ बच्चों को प्राकृतिक वातावरण प्राप्त होता है। असमर्थ बच्चे समर्थ बच्चों के साथ रहते-रहते अपने आपको सहजता से उनके साथ समायोजित कर लेते हैं।
3. मानसिक विकास-
विशिष्ट बच्चों को विशेष विद्यालयों व प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है। इससे उनमें हीन भावना पैदा होती है कि हमें सामान्य बच्चों के समन्वित शिक्षा विशिष्ट बच्चों साथ क्यों नहीं पढ़ाया जा रहा है। इस बात का उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन को सामान्य बच्चों के साथ सामान्य विद्यालयों में प्रदान की जाती
4. समानता का सिद्धान्त-
हमारे संविधान में प्रत्येक बालक के लिए समान शिक्षा देने की बात कही गयी है, बिना किसी भेदभाव के। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए समन्वित शिक्षा की आवश्यकता है।
5. कम खर्चील-
विशिष्ट शिक्षा देने के लिए विशेष अध्यापक, विशेष प्रकार की शिक्षण विधियाँ विशेष पाठ्यक्रम व विशेष शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता होती है जो काफी खर्चीली होती है। इसके अतिरिक्त समाकलित शिक्षा सामान्य विद्यालयों में प्रदान की जाती है, जो कम खर्चीली है। इस प्रकार विशिष्ट शिक्षा की अपेक्षा समाकलित या समन्वित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
एकीकृत व समावेशी शिक्षा में अन्तर
समन्वित शिक्षा | समावेशी शिक्षा |
समन्वित शिक्षा विशिष्ट व सामान्य बालकों को साथ-साथ व समान रूप से शिक्षा प्रदान करती है। | समावेशी शिक्षा प्रतिभाशाली व सामान्य बालकों को एक साथ पूर्ण समय में शिक्षा प्रदान करती है। |
समन्वित शिक्षा समानता के सिद्धान्त पर आधारित है। | पूर्ण समय में शिक्षा प्रदान करती है। |
समन्वित शिक्षा विशिष्ट शिक्षा का नवीन व प्रगतिशील रूप है। | समावेशी शिक्षा समानता के आधार पर है। |
समन्वित शिक्षा कम खर्चीली होती है। | समावेशी शिक्षा नये एवं पुराने विचारों दोनों के रूप में है। |
समन्वित शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है। | समावेशी शिक्षा कम खर्चीली होती है। |
इस व्यवस्था में शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में अपंग तथा सामान्य बालकों के साथ-साथ समान रूप से रखा जाता है। | समावेशी शिक्षा वैज्ञानिक आधार पर है। |
समावेशी शिक्षा सभी नागरिकों का समान अधिकार को पहचानने और सभी बालकों को समावेशी आवश्यकताओं के साथ-साथ समान रूप से शिक्षा के समान अवसर देने को कहता है तथा उन्हें कम नियंत्रित तथा अधिक प्रभावशाली वातावरण में शिक्षा देनी चाहिये। कम प्रतिबन्धित वातावरण जो बाधित बालकों को चाहिये केवल सामान्य शिक्षण संस्थाओं में दिया जाना चाहिए। समावेशी शिक्षा शारीरिक तथा मानसिक रूप से बाधित बालकों को सामान्य बालकों के साथ सामान्य कक्षा में शिक्षा प्राप्त करना विशिष्ट सेवाएं देकर विशिष्ट आवश्कयताओं को प्राप्त करने में सहायता करती है।
समावेशी शिक्षा में निम्न प्रक्रियाएँ हैं-
1. सामान्यीकरण (Normalization)
2. संस्थारहित शिक्षा (De-Institutionalzation)
3. न्यूनतम प्रतिबन्धित पर्यावरण एकीकृत (Least Restrictive Enviornment Integration)
1. सामान्यीकरण (Normalization)-
सामान्यीकरण से अभिप्राय ऐसी प्रक्रिया और प्रयत्नों से है जिनके द्वारा विशेष तथा अपंग बच्चों की शिक्षा और जीवन जीने के लिये प्रयोग में आने वाले पर्यावरण को सामान्य शिक्षा एवं सामान्य पर्यावरण तुल्य बनाना है। चाहे बालक की अपंगता का रूप और स्तर किसी भी प्रकार का हो, सामान्यीकरण का उद्देश्य यह है कि बालक अपनी शिक्षा और जीवन के पर्यावरण में जहाँ तक सम्भव हो सके सामान्य बच्चे जैसा न्यूनतमम करे। सामान्यीकरण की विचारधारा ने ही शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिबंधित पर्यावरण अनुभव (Least Restrictive Enviornment) एवं मुख्यधारा (Main Streaming) के प्रत्ययों को जन्म दिया।
2.संस्थारहित शिक्षा (De-Institutionalzation)-
अपंग और विकलांग बच्चों की अपंगता को अतिरंजित रूप में प्रदर्शित करते हुए, उन क्षतियुक्त बच्चों की देख-रेख करने और उन्हें शिक्षित करने के नाम पर चलने वाली संस्थाओं की विचारधारा के दिखावे में ढोंग पर रोक लगाने के लिये यह शब्द प्रयोग में आया। एक तरह से यह शब्द संस्थागत विचारधारा के विरोध को प्रकट करने वाला संकेतक शब्द है। इस पारिभाषिक शब्द का अभिप्राय अपंग बालकों को संस्थाओं से बाहर निकलकर दूसरे पर्यावरणों में उपस्थित करना है। संस्थान रहित शिक्षा की विचारधारा ने ही शिक्षा के क्षेत्र में सामान्यीकरण आन्दोलन को जन्म दिया।
3. न्यूनतम प्रतिबन्धित पर्यावरण एकीकृत (Least Restrictive Enviornment Integration)-
इस प्रत्यय से अभिप्राय ऐसे पर्यावरण से है जिसके माध्यम से विशिष्ट तथा अपंग बच्चों के सीखने और जीवन जीने में आये अवरोधों को कम से कम किया कि वह सामान्य पर्यावरण के समान निर्मित लगे। जा सके। ऐसा करने के लिए हमें न्यूनतम प्रतिबन्धित पर्यावरण को इस प्रकार से ढालना होगा कि वह सामान्य पर्यावरण के सामान निर्मित लगे ।
समावेशी शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ और महत्व
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