अपकृत्य विधि (Law of Tort)

बच्चों की योगदायी उपेक्षा Contributory Negligence of Children in hindi

बच्चों की योगदायी उपेक्षा
बच्चों की योगदायी उपेक्षा

बच्चों की योगदायी उपेक्षा Contributory Negligence of Children in hindi

किसी वयस्क व्यक्ति के मामले में जो बात योगदायी उपेक्षा हो सकती है वही किसी बालक के मामले में नहीं हो सकती, क्योंकि किसी बालक से यह आशा नहीं की जा सकती है कि वह उतना ही सावधान होगा जितना कि कोई सयाना व्यक्ति होता है। अतः यह निर्णय करने के लिए कि क्या कोई व्यक्ति योगदायी उपेक्षा का दोषी है अथवा नहीं उस व्यक्ति की आयु को भी ध्यान में रखना चाहिये।

आर. श्रीनिवास बनाम के.एम. परसिवामूर्थी के वाद में एक बालक, जिसकी आयु लगभग 6 वर्ष की थी, उस समय एक लारी द्वारा आहत हो गया, जब वह फुटपाथ के समीप खड़ा था। यह धारित किया गया कि इस आयु का बालक, सड़क-बोध अथवा उस अनुभव से युक्त नहीं होता जो कि उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को होता है, अतः इस मामले में वादी को योगदायी उपेक्षा का दोषी नहीं माना जा सकता।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment