आज्ञप्तियों का निष्पादन किस प्रकार से किया जाता है? (How are the decrees executed?)
आज्ञप्तियों का निष्पादन- ( क ) वैवाहिक अधिकारों के पुनः स्थापन की आज्ञप्ति तथा किसी अभिहस्तान्तरण दस्तावेज के निष्पादन के लिए आज्ञप्ति | Decree for reinstatement of matrimonial rights and Decree for execution of any transferred document.
(ख) परक्राम्य लिखत पृष्ठांकन के लिए आज्ञप्ति । Decree for negotiable instrument endorsement.
(ग) स्थावर सम्पति की आज्ञप्ति। Decree of immovable property.
(घ) ऐसी स्थावर सम्पति की आज्ञप्ति जो कि योगी के कब्जे में है। The decree of such immovable property which is in the possession of the Yogi.
निम्न मामलों में डिक्री का निष्पादन
1. दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिए या व्यादेश के लिए आज्ञप्ति (decree)
नियम 32 में किसी बात के होते हुए भी दाम्पत्य अधिकारों के पुनः स्थापन के लिए आज्ञप्ति पारित करते समय यह आदेश दे सकेंगा कि आज्ञप्ति इस नियम में उपबन्धित रीति में निष्पादित की जायेगी। यदि न्यायलय ने अपनी आज्ञप्ति के अन्तर्गत दाम्पत्य अधिकारों के पुनः स्थापन के लिए आदेश दे दिया है वहाँ न्यायालय यह आदेश दे सकेगा कि यदि पक्षकार निर्धारित समयावधि के अन्दर आज्ञपित का पालन नहीं करता है तो वह निर्णीत ऋणी आज्ञप्तिधारी को कालावधीय भुगतान (Periodical payment) करेगा जैसा कि उचित हो।
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न्यायालय ऐसी कालावधीय भुगतान की धनराशि कोसमय-समय-समय पर परिवर्तित या बढ़ाने या घटाने का आदेश दे सकेगा या ऐसे दिये जाने के लिए आदिष्ट पूरे धन या उसके किसी भाग की बाबत उसे अस्थायी रूप से निलम्बित कर सकेगा या उसे सम्पूर्ण रूप से या भागतः ऐसे पुनर्जीवित कर सकेगा। आदेश 21. नियम 33 के अनुसार ऐसा कालावधीय भुगतान इस प्रकार वसूल किया जा सकेगा जैसे वह धन किसी आज्ञपित के अधीन देय धन हो।
2. परक्राम्य के पृष्ठांकन के लिए आज्ञप्ति (Decree for endorsement of negotiable instrument)
जहाँ आज्ञप्ति दस्तावेज के निष्पादन के लिए या परक्राम्य लिखत के पृष्ठाकन के लिए निर्णीत ऋऋणी डिक्री के अनुपालन में उपेक्षा करता है या पालन करने में इन्कार करता है वहाँ डिक्रीधारी डिक्री या आज्ञप्ति के निबन्धन शर्तों के अनुसार दस्तावेज या पृष्ठांकन के प्रारूप को तैयार करेगा तथा उसे न्यायालय को परिदत्त कर सकेगा।
न्यायालय दूसरे उपरोक्त निर्णत ऋणी से यह अपेक्षा करने वाली सूचना के साथ प्रारूप की तामील निर्णत ऋणी पर करायेगा यदि उसकी उस पर कोई आपत्तियाँ हो तो दूर करने को आमन्त्रित रहेगा। यदि निर्णीत ऋणी आपत्ति करता है तो वह आपत्ति लिखित रूप से निर्धारित समय के अन्दर की जायेगी।
आज्ञप्तिधारी प्रारूप (लिखत परक्राम्य) की एक प्रति यदि कोई परिवर्तन है तो ऐसे परिवर्तन के समय न्यायालय को परिदत्त करेगा या न्यायाधीश या ऐसा पदाधिकारी जैसा कि नियुक्त किया जाय ऐसे परिदत्त दस्तावेज या लिखत परक्राम्य को निष्पादित या लागू करेगा।
यदि ऐसे दस्तावेज या लिखत परक्राम्य का पंजीकृत होना आवश्यक है तो न्यायालय या ऐसा पदाधिकारी दस्तावेज या लिखत परक्राम्य का पंजीकरण करेगा। यदि पंजीकरण आवश्यक नहीं है तथा आज्ञप्तिधारी पंजीकरण चाहता है तो न्यायालय अपने विवेकानुसार आदेश निर्गत करेगा। न्यायालय व्यय के बारे में अपने विवेकानुसार आदेश निर्गत करेगा।
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3. स्थावर सम्पति के लिए आज्ञप्ति (Decree for immovable property)
जहाँ आज्ञप्ति किसी स्थावर (Immovable) सम्पत्ति के परिदान के लिए है वहाँ उसका कब्जा उस पक्षकार को जिसे वह न्यायनिर्णीत की गई है या ऐसे व्यक्तियों जिनहें वह अपनी ओर से पनि प्राप्त करने के लिए नियुक्त करें परिदत्त किया जा सकेगा। यदि आज्ञप्ति द्वारा वाव्य व्यक्ति सम्पत्ति को खाली करने से इन्कार करता है तो यदि आवश्यक हुआ तो उसे हटाकर कब्जा परिदत्त किया जायेगा।
यदि आज्ञप्ति स्थावर सम्पत्ति से संयुक्त रूप से करने के लिए है वहाँ सम्पत्ति का किसी दृश्य स्थान पर अधिपत्र की प्रति को चिपकाकर तथा डिक्री के बारे में किसी सुविधाजनक स्थान पर डुग्गी पिटवाकर या अन्य रूप से उद्घोषित कर ऐसे कब्जे को परिदत्त कराया जा सकेगा। यदि किसी भवन या परिसर के कब्जे का परिदान किया जाता है.
तथा आज्ञप्ति द्वारा बाध्य व्यक्ति वहाँ तक आज्ञप्तिधारी की अबाध पहुँच नहीं होगी तो वहाँ न्यायालय लोक के समक्ष न आने वाली किसी स्त्री को हटने की उचित सूचना तथा सुविधा देने के पश्चात अपने पदाधिकारियों द्वारा किसी ताले या चटखनी को हटा सकेगा या खोल सकेगा या किसी दरवाजे को खोल सकेगा या डिक्रीयारी को कब्जा देने हेतु किसी अन्य कार्य को कर सकेगा।
4. आभोगी (tenant ) के कब्जे की सम्पत्ति के परिदान के लिए आज्ञप्ति
यदि आज्ञप्ति किसी ऐसी स्थावर (Immovable) सम्पत्ति के परिदान के लिए है जो ऐसे आभोगी (occupancy of tenant) या किसी अन्य व्यक्ति के दखल में हैं जो उस समपत्ति पर दखल करने का अधिकारी है वहाँ न्यायालय सम्पत्ति पर किसी दृश्यस्थान के अधिपत्र की प्रति को चिपकाकर सम्पत्ति केसम्बन्ध में डिग्री के सार को किसी सुविधाजनक स्थान पर डुग्गी पिटवाकर या अन्य रूढ़िगत ढंग से दखलकार को उद्घोषित कर परिदान करने के लिए आदेश देगा (आदेश 21, नियम 36 )
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