आंतरिक मूल्यांकन क्या है? (What is Internal evaluation?)
आंतरिक मूल्यांकन क्या है- कक्षा आधारित आंकलन का तत्त्व यह है कि इसे महत्त्वपूर्ण अधिगम लक्ष्यों के सर्वसम होना चाहिए। आंकलन की विषय सामग्री चुनौतीपूर्ण विषय सामग्री के मानकों से मेल खानी चाहिए और आरोपण के सन्दर्भ से सम्बन्धित होनी चाहिए। इसका भाग होने के नाते आंकलन को महत्त्वपूर्ण चिन्तन और अधिगम प्रक्रिया को विशेष रूप से पूछताछ और कथन के माध्यम से प्रतिबिम्बित करना चाहिए क्योंकि, कक्षा में उसको महत्त्व दिया जाता है तथा उसका पालन किया जाता है। कक्षा में आंकलन का उद्देश्य भी परिवर्तित होना चाहिए ताकि इसका प्रयोग विद्यार्थियों को सहायता देने और शिक्षण को सुधारने के लिए किया जा सके न केवल विद्यार्थियों की श्रेणी देने या अधिगम के परिणाम के रूप में प्रमाण पत्र देने में। परीक्षणों का एक मात्र योगात्मक प्रयोग विद्यार्थियों को एक-दूसरे से तुलना करने और जीवन के अवसरों का निर्धारण करने के लिए करना कक्षा-कक्ष संस्कृति के विकास में सबसे बड़ी बाधा है; विद्यार्थी अध्यापक को प्रसन्न करने के लिए या अच्छा ग्रेड प्राप्त करने के लिए निष्पादन करते हैं न कि शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए। इसके विपरीत जहाँ अधिगम में भागीदारी उसके प्रयोग के मूल्य से अभिप्रेरित होती है वहाँ विद्यार्थी और अध्यापक, क्या सार्थक है और क्या निरर्थक है, को ज्ञात करने के लिए साँझा समझदारी रखते हैं और अधिगम के लिए अगला आवश्यक कदम क्या होगा के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए मिलकर कार्य करते हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कक्षा-कक्ष आंकलन ‘ के लिए अधिक विशेष सिद्धान्तों की आवश्यकता होती है जिसमें सुधारों को लिए आशाओं और मध्यवर्ती चरणों को विद्यार्थियों को नजर आना चाहिए तथा विद्यार्थियों को अपने कार्य का आंकलन करने में सक्रिय रूप से सन्निहित होना चाहिए।
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि आंकलन का यह दृष्टिकोण एक आदर्श है जिसका व्यवहार में कदाचित ही प्रयोग होता है। वास्तव में आंकलन के इस दृष्टिकोण को लागू करने के प्रयास को शक्तिशाली विश्वास पद्धति का वैज्ञानिक मापन के साथ होना और प्रभावी रूपावली का होना आवश्यक है। अधिक आश्वस्त होने के लिए सभी परिवर्तन जो कार्यसूची और संरचनात्मक सिद्धान्त के द्वारा वांछित हैं, के लिए नवीन ज्ञान और दृढ़ परिवर्तनों की आवश्यकता है, क्योंकि निरन्तर बाह्य मानकीकृत परीक्षणों और शिक्षकों में वस्तुगत लेखन का कम प्रशिक्षण और विद्यार्थियों का आंकलन कैसे किया जाए की कम समझ है।
आन्तरिक कक्षा-कक्ष आंकलन का बाह्य आंकलनों से सम्बन्ध (Relationship of Classroom Assessment to external Assessment)
यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि अध्यापक द्वारा प्रारम्भ किया आंतरिक आंकलन, बाह्य आंकलनों से कैसे सम्बन्धित है जो जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर वांछित है, यदि दोनों में सुधार संरचनात्मक रूपावली के अनुकूल हो प्रायः आंकलन सुधार को बढ़ाना आंकलन के विभिन्न उद्देश्यों को जाने बिना किया जाता है, तब भी यह भली-भांति ज्ञात है कि परीक्षण वैधता इस तथ्य पर निर्भर करती है कि परीक्षण का उपयोग कैसे किया गया है। कोई भी परीक्षण जिस उद्देश्य के लिए वैध किया गया है वह किसी अन्य उद्देश्य के लिए वैध नहीं होता दूसरे शब्दों में किसी परीक्षण का मानकीकरण जिस समग्र के लिए किया गया है वह उसी समग्र के लिए वैध होगा। जबकि यह सच है कि हर आंकलन से किसी के अपने अध्यापन और विद्यार्थियों की कमजोरी और विशेषताओं के सम्बन्ध में कुछ-न-कुछ सीखा जाता है, पर वाक्य आंकलनों और उसकी विरल माध्यम कदाचित ही सही समय पर सही प्रश्न पूछते हैं ताकि वे चलते हुए अधिगम प्रक्रिया का भाग बन सके।
बाह्य और कक्षा-कक्ष आंकलन का विभेद परिचित संरचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन के विभेद के समान है। स्क्रिवेन मूल्यांकन की संरचनात्मक भूमिका की प्रतिपुष्टि तब होती है जब उसका प्रयोग कार्यक्रम या उत्पाद को सुधारने के आन्तरिक रूप में किया जाए और मूल्यांकन प्रदत्तों की योगात्मक भूमिका का प्रयोग तब होता है जब किसी कार्यक्रम को अपनाने या निधि के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय के लिए किया जाए। विशेष रूप से बाह्य मूल्यांकन योगात्मक उद्देश्यों को पूर्ण करता है जैसे, उपलब्धि प्रवृत्ति, स्कूल की जवाबदेही, स्कूल की फंडिंग और विद्यार्थी की निपुणता स्तर को प्रमाणित करना। कभी-कभी बाह्य आंकलन का प्रयोग कार्यक्रम के स्तर पर संरचनात्मक रूप में किए जाते हैं, उदाहरणार्थ, जब पाठ्यक्रम का आंकलन के आधार पर किया जाता है। इसके विपरीत कक्षा आधारित आंकलन की प्रकृति मुख्यतः संरचनात्मक होती है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अधिगम में अगला कदम लेने में सहायता करना है और तब उपलब्धि के अन्तिम बिन्दु का निर्णय लेना है योगात्मक सूचना भी अभिभावकों को प्रतिवेदन करने के लिए महत्वपूर्ण है और यदि भली प्रकार किया गया है तो कक्षा आधारित आंकलन विद्यार्थियों की प्रगति के सम्बन्ध में अधिक मूल्यवान सूचना प्रदान कर सकता है अपेक्षाकृत बाह्य मापकों के बाह्य आंकलन में सामग्री की एकरूपता और प्रक्रिया का मानकीकरण होता है। मानकीकरण की आवश्यकता बड़े स्तर पर आंकलन के लिए आवश्यक होती है ताकि भिन्न सन्दर्भों में अंकों को समान अर्थों में लिया जा सके। उदाहरणार्थ, यदि एक राज्य के आंकलन का प्रयोग स्कूल की जवाबदेही के लिए किया जाता है, तब सामग्री और प्रक्रिया का मानकीकरण आवश्यक होता है ताकि स्कूलों के परिणामों की तुलनात्मकता आश्वस्त की जा सके। हर कोई एक समान ग्रेड स्तर के परीक्षण को वर्ष के निश्चित समय में देता है। वैधता के प्रश्न के अतिरिक्त यह न्याय संगत नहीं होगा कि एक स्कूल परीक्षण मार्च में ले और दूसरा मई में या यदि एक समूह परीक्षण पूरा करने के लिए असीमित समय ले। अध्यापकों को आकलन के समय में सहायता नहीं करनी चाहिए या प्रश्नों को स्पष्ट करने के लिए उन्हें पुनः कथित नहीं करना चाहिए, जब तक कि वह मानकीकृत प्रशासन का भाग न हो। इसके विपरीत अध्यापन और अधिगम के उद्देश्यों के लिए आंकलन का समय महत्वपूर्ण होता है, यदि वह उस समय हो जब कोई कौशल विशेष या सामग्री का अधिगम किया जा रहा हो। इसी प्रकार परीक्षण का स्तर विद्यार्थी के वर्तमान प्रकार्यात्मक स्तर के अनुकूल होना चाहिए चाहे इसके लिए बालक की वर्तमान कक्षा के स्तर से ऊपर या नीचे स्तर का परीक्षण देना पड़े । कक्षा के सन्दर्भ में अध्यापक आंकलन के समय सहायता कर सकता है ताकि वह अधिगम अवसर का लाभ उठा सके; बालक के चिन्तन की अन्तर्दृष्टि, प्राप्त कर सके और यह जान सके कि किस प्रकार की सहायता अगला कदम लेने की सम्भावना प्रस्तुत कर सकती है।
तकनीकी मानकों की दृष्टि से दोनों प्रकार के आंकलनों में बहुत अधिक अन्तर है। बाह्य परीक्षणों को उच्चकोटि की विश्वसनीयता दर्शानी अति आवश्यक है क्योंकि वे सीमित होते हैं और उनके द्वारा क्रिटीकल महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए प्रयोग किया जाता है और एक बार आंकलन किया जाता है। इसके विपरीत नित्य प्रति के मूल्यांकन जो कक्षा पाठों के सन्दर्भ में किए जाते हैं उनका विद्यार्थियों के लिए इतना जोखिम भरा नहीं होता। यदि किसी दिन अध्यापक विद्यार्थी की समझ का अवैध अनुमान लगाता है तो उस त्रुटि को नई सूचना के आधार पर आगे के दिनों में सुधारा जा सकता है। कक्षा आधारित आंकलन का उद्देश्य एक निश्चित समय पर विद्यार्थी की प्रवीणता को सुनिश्चितता के साथ प्रमाणित करना नहीं है, वरन् उपकल्पना उत्पादित करना और हस्तक्षेप को निर्देशित करना है। यद्यपि एकल अध्यापक द्वारा किया गया आंकलन महत्त्वपूर्ण रूप से कम विश्वसनीय हो सकता है अपेक्षाकृत औपचारिक बाह्य परीक्षण के, पर उन अध्यापकों के लिए यह सम्भव है जो व्यवस्थित रूप से क्रियाशील हैं वे समय के साथ-साथ विद्यार्थियों के अधिगम का सही आंकलन कर सकते हैं। कोठारी शिक्षा आयोग ने आन्तरिक एवं सतत् मूल्यांकन को प्रभावशाली ढंग से आयोजित करने पर बल दिया है। परीक्षा प्रणाली में सुधार राष्ट्रीय फोकस समूह का आधार पत्र में आन्तरिक परीक्षा द्वारा बच्चों पर दबाव कम करने, मूल्यांकन को ज्ञापक और सतत् बनाने; शिक्षकों को सृजनात्मकता शिक्षण का अवसर प्रदान करना, निदान के लिए साधन उपलब्ध कराने और श्रेष्ठतर योग्यता वाले विद्यार्थियों को तैयारी करने के लिए स्कूल आधारित मूल्यांकन व्यवस्था लागू करने की वकालत की है।
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