पुनर्बलन कौशल (Skill of Reinforcement)
पुनर्बलन से हमारा अभिप्राय हैं। ऐसे उद्दीपनों का प्रयोग करना जिनके प्रस्तुतीकरण या जिन्हें हटाने से किसी अनुक्रिया के होने की आशा बढ़ जाती है। इन उद्दीपनों में पुरस्कार, शाबाशी देना, प्रशंसा करना, कमियाँ बताना आदि क्रियायें आती हैं। ये दो प्रकार के होते हैं— (1) धनात्मक पुनर्बलन तथा (2) ऋणात्मक पुनर्बलन ।
“The skill of reinforcement implies giving posive reinforces using appropriate schedule and avoiding negative reinforcer.”
धनात्मक पुनर्बलन द्वारा छात्रों के वांछित व्यवहारों को प्रबल बनाया जाता है और ऋणात्मक पुनर्बलन द्वारा छात्रों के गलत या अवांछित व्यवहारों को दूर करने का प्रयास किया जाता है।
शोध अध्ययन हमें यह बताते हैं कि धनात्मक पुनर्बलन का प्रभाव, ऋणात्मक पुनर्बलन है। अतः की तुलना में ज्यादा अच्छा पड़ता पुनर्बलन कौशल का अभ्यास इस प्रकार कराया जाता है कि शिक्षक धनात्मक पुनर्बलन का प्रयोग अधिक-से-अधिक तथा ऋणात्मक पुनर्बलन का प्रयोग कम-से-कम कक्षा शिक्षण के क्षेत्र में करे।
पुनर्बलन कौशल के घटक (Components)
1. प्रशंसात्मक कथनों का प्रयोग।
2. हावभाव तथा अन्य अशाब्दिक संकेतों का प्रयोग।
3. छात्रों के विचारों एवं भावों से अपनी सहमति प्रकट करना।
4. नकारात्मक शाब्दिक कथनों का प्रयोग।
5. नकारात्मक अशाब्दिक कथनों का प्रयोग।
6. छात्रों के सही उत्तरों को श्यामपट्ट पर लिखना।
7. पुनर्बलन का समुचित उपयोग।
8. छात्रों के सुझाव का समर्थन।
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