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ग्रामीण-शहरी एक अध्यापक वाले विद्यालय तथा समान स्कूल प्रणाली का वर्णन करें।

ग्रामीण-शहरी एक अध्यापक वाले विद्यालय तथा समान स्कूल प्रणाली का वर्णन करें।
ग्रामीण-शहरी एक अध्यापक वाले विद्यालय तथा समान स्कूल प्रणाली का वर्णन करें।

ग्रामीण-शहरी एक अध्यापक वाले विद्यालय तथा समान स्कूल प्रणाली

ग्रामीण शहरी क्षेत्रों में विषमताओं को दूर करने में ये स्कूल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर छात्रों को भाषायी कौशलों की विषमताओं को दूर करने के प्रयास किए जाते हैं। ऐसे स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर कक्षा 1 से अंग्रेजी शिक्षण प्रारम्भ किया जाता है।

एक अध्यापक वाले विद्यालय (Single Teacher Schools) – विषमताओं को दूर करने में एक अध्यापकीय विद्यालय विशेष योग देते हैं। भारतीय शिक्षा सर्वेक्षण समिति की रिपोर्ट के अनुसार इन विद्यालयों ने विषमताओं को दूर करने में विशेष योगदान दिया है। एक अध्यापक के लिए प्राथमिक स्तर पर एक साथ पाँच कक्षाओं को सम्भालना कठिन होता है। यदि अध्यापक छुट्टी पर चला जाए, तो विद्यालय ही बंद हो जाता है। इससे बालक विद्यालय आने से कतराते हैं और पढ़ाई छोड़ देते हैं।

समान स्कूली प्रणाली (Common School System) — समान स्कूल प्रणाली भेद-भाव रहित शिक्षा की एक ऐसी व्यवस्था है, जो समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धान्त पर आधारित है। इस शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत वर्ग, जाति, लिंग भेद और भाषायी असमानता से वंचित बालकों की शिक्षा के प्रयास किए जाते हैं। इस शिक्षा प्रणाली में शारीरिक तथा मानसिक विकलांग बालकों के साथ निर्धन बालकों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिए जाने के भी प्रयास किए गए हैं।

भारतीय शिक्षा आयोग ने विभिन्न सामाजिक वर्गों हेतु उत्तम शिक्षा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर शिक्षा व्यवस्था के निर्माण के लिए समान शिक्षा प्रणाली का प्रावधान प्रस्तुत किए हैं जिससे शिक्षा को जनसाधारण के लिए सर्वसुलभ बनाया जा सके ताकि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली में भेद-भाव तथा पक्षपात जैसी सामाजिक बुराइयों का अंत किया जा सके | इन बुराइयों का उन्मूलन समान स्कूल या समान शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ही किया जा सकता है। कोठारी शिक्षा आयोग के अनुसार, हमें ऐसी शैक्षिक संरचना का निर्माण करना है जिससे सभी वर्गों को शिक्षा से जोड़ा जा सके। अमेरिका, फ्रांस, कनाडा तथा ब्रिटेन जैसे देशों में समान स्कूल प्रणाली निरन्तर संचालित है । यही कारण है कि वहाँ की शिक्षा प्रणाली उन्नत बनी हुई है। हमें भी अपने देश विकसित देशों की श्रेणी में लाने के लिए शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से देश में समान स्कूल प्रणाली को अपनाना होगा । राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 ने भी समान स्कूल प्रणाली को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है। निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समान स्कूल प्रणाली अत्यन्त आवश्यक है।

शिक्षा आयोग 1964-66 के अनुसार — यदि भेद-भाव तथा पक्षपात जैसी बुराइयों को दूर करना है, तो हमें समान स्कूली प्रणाली की ओर कदम बढ़ाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ हों— 1. समान स्कूल प्रणाली के अन्तर्गत जाति, सम्प्रदाय, समाज, धर्म आदि का विचार किए बिना सभी बच्चों को सर्वसुलभ शिक्षा का प्रावधान होना चाहिए। 2. अच्छी शिक्षा का अवसर प्राप्त करना धन या वर्ग पर निर्भर न होकर प्रतिभा पर आधारित होना चाहिए 3. समान स्कूल प्रणाली में बच्चों से किसी प्रकार की फीस न ली जाए 4. समान स्कूल प्रणाली के अन्तर्गत आयोग ने पड़ोस के स्कूल का सुझाव दिया है जिसमें प्रत्येक बच्चे को अपने निकटतम स्कूल में जाना चाहिए। 5. इसमें छात्रों की असमानता को दूर करने के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था होनी चाहिए। 6. इस प्रणाली के अन्तर्गत सभी बच्चों को निःशुल्क भोजन और जलपान, नए कपड़े, पढ़ने की सामग्री आदि दी जानी चाहिए। 7. इस प्रणाली में सभी को निःशुल्क शिक्षा दी जानी चाहिए।

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