भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
भारत की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन तीव्रता से बढ़ती ही जा रहा है । जनसंख्या वृद्धि की यह समस्या हमारे लिए सर्वाधिक गम्भीर और भयानक रूप धारण करती जा रही है । लेकिन जनसंख्या वृद्धि के क्या कारण हैं और भारत देश में दिन-दूनी रात चौगुनी जनसंख्या क्यों बढ़ रही है, इसके कारणों पर विचार करना अति आवश्यक हो गया है।
अब प्रश्न यह उठता है कि भारत देश में जनसंख्या की वृद्धि के मुख्य कारण क्या है ? हमारे देश भारत में जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण
1. संयुक्त परिवार प्रणाली का प्रभाव – भारतीय समाज की एक विशेषता संयुक्त परिवार प्रणाली है । संयुक्त परिवार में परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर रहते हैं, इसीलिए पारिवारिक व्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति का अधिक उत्तरदायित्व नहीं होता है । सदस्यों की संख्या परिवार में बढ़ती चली जाती है और उसका व्यय संयुक्त कोष से होता है । संयुक्त परिवार में बच्चों का दायित्व किसी एक पर ही नहीं होता । इसी कारण बच्चों की संख्या अधिक हो जाती है । संयुक्त परिवार प्रणाली का यह परिणाम निकलता है कि परिवार में अधिक लोगों की संख्या होने के परिणामस्वरूप जनसंख्या में वृद्धि होती है।
2. विवाह की अनिवार्यता- भारत देश में विवाह को धार्मिक संस्कार माना जाता है । भारतीय धार्मिक विश्वासों तथा संस्कारों के कारण सभी युवक एवं युवतियों के लिए विवाह अनिवार्य माना गया है । विवाह को धार्मिक विमान संस्कार मानकर सभी स्त्री-पुरुष विवाह के बन्धन में बंधकर सन्तानों को जन्म देते हैं । इससे जनसंख्या में वृद्धि होती है । पाश्चात्य देशों में विवाह करना अनिवार्य नहीं है । वहाँ अनेक युवक एवं युवतिया अविवाहित रहते हैं, इस कारण वहाँ की जनसंख्या भारत से बहुत कम है।
3. कम उम्र में विवाह – हमारे देश में विवाह को धार्मिक संस्कार तो माना हो गया है, इसके साथ-ही-साथ कन्या के विवाह के लिए कम आयु निर्धारित की गई है । अतः स्त्रियों के प्रजनन (15 से 35 वर्ष की) का पूरा- पूरा उपयोग होता है, परिणामस्वरूप अधिक संख्या में सन्ताने जन्म लेती हैं । सन् 1951 की जनगणना के अनुसार विवाह के समय पुरुषों को औसत आयु 22.9 वर्ष एवं स्त्रियों की 184 वर्ष थी । यद्यपि विवाह की औसत आयु बढ़ती जा रही है परन्तु वास्तव में काफी संख्या में आज भी लड़कियों का विवाह कम आयु में ही कर दिया जाता है ।
4. गर्म जलवायु – गर्म जलवायु के कारण यहाँ लड़कियों में शीघ्र ही परिपक्वता आ जाती है और वे कम उम्र में ही सन्तान पैदा करने के योग्य हो जाती हैं । प्रजनन की प्रक्रिया के लम्बी अवधि तक चलते रहने के कारण अधिक सन्तानें जन्म लेती हैं ।
5. मनोरंजन के साधनों का अभाव – मनोरंजन के साधनों का अभाव होने के कारण निम्न वर्ग के लोगों और ग्रामीणों में स्त्री ही मनोरंजन का साधन समझी जाती है।
6. शिक्षा का अभाव- शिक्षा के अभाव के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि के परिणामों को नहीं समझ पाते और अवाध गति से सन्तानों को जन्म देते हैं । परिवार नियोजन का स्त्री शिक्षा के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध है और यहाँ 1991 की जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता की दर 39.29 ही है ।
7. निम्न जीवन-स्तर- निम्न जीवन-स्तर के कारण लोग यह सोचते है कि अधिक सन्तानें होंगी तो वे सभी को उत्पादन-कार्य में लगाकर अधिक धन अर्जित करेंगे और जीवन-स्तर को उन्नत कर सकेंगे, साथ ही यहाँ निम्न जीवन-स्तर के कारण सन्तानों की शिक्षा-दीक्षा, पालन-पोषण, ऐशो-आराम के लिए अधिक खर्च नहीं करना पड़ता है । अतः यदि परिवारों में सन्तानों की संख्या भी बढ़ती है तो किसी को भी कष्ट नहीं होता है ।
8. परिवार कल्याण के साधनों के प्रति पूर्ण जानकारी का अभाव- अरुचि और परिवार नियोजन के प्रति विरोधी धार्मिक मान्यताएँ जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं ।
9. पुत्र का अधिक महत्त्व – पुत्र को अधिक महत्त्व देने के कारण उस समय तक सन्तानोत्पत्ति होती रहती है जब तक कि कोई पुत्र न हो जाए । इसका कारण यह है कि धर्मशास्त्रों में मोक्ष-प्राप्ति के लिए पुत्र की उत्पत्ति को आवश्यक माना गया है ।
10. चलचित्रों, अश्लील साहित्य, तड़क-भड़क एवं चुस्त पोशाक आदि ने यौन उत्तेजनाओं को बढ़ावा दिया है ।
11. गर्भ – निरोधक सुविधाओं की कमी – भारतीय जनता अधिकांश रूप से अशिक्षित तथा अज्ञानी है । पति-पत्नी गर्भ-निरोधक सुविधाओं एवं साधनों के ज्ञान से वंचित रहते हैं। लोगों को गर्भ निरोध के अनेक नवीन एवं अचूक उपायों का ज्ञान नहीं है । इस अभाव के कारण अनेक लोग चाहते हुए भी परिवार को सीमित नहीं रख सकते और जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती रहती है।
12. पारिवारिक मान्यता – आज भी भारतीय समाज में यह मान्यता है कि बड़ा परिवार सम्मान का सूचक है । लोग बड़े परिवार को गौरव का विषय मानते हैं । इस कारण भी अनेक व्यक्ति परिवार के बड़े आकार को महत्त्व देते हैं, जिससे जनसंख्या बढ़ती है ।
13. मृत्यु-दर का घट जाना – विज्ञान ने अपने-अपने क्षेत्र में काफी उन्नति की है । इसके फलस्वरूप अनेक भयंकर रोगों का उपचार सम्भव हो गया है । इसके अतिरिक्त अनेक संक्रामक रोगों एवं महामारियों पर काफी हद तक नियन्त्रण पा लिया गया है । यही नहीं, आज अधिकांश व्यक्ति सन्तुलित भोजन एवं स्वास्थ्य के नियमों से परिचित हो रहे हैं । इस ज्ञान से भी व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार हुआ है तथा मृत्यु-दर में कमी के कारण औसत आयु में वृद्धि हुई है । इससे भी जनसंख्या में वृद्धि होना स्वाभाविक हो गया है ।
14. भाग्यवादी – भाग्यवादी होने के कारण भारतीय यह समझते हैं कि सन्तान ईश्वर की देन है और जिसने जन्म दिया है, वह खाने को भी देगा। साथ ही वे जन्म पर नियन्त्रण को पाप मानते हैं । इस्लाम धर्म में भी जन्म को अच्छा माना गया है । बाइबिल में भी अधिक जन्म को स्वीकार करते हुए लिखा है कि वृद्धि करो और पृथ्वी को लोगों से भर दो।
15. युद्धों में कमी – युद्धों और शान्तिकाल में कुछ आपदाओं को छोड़कर भारत में जनसंख्या की हानि बहुत कम हुई है । डॉ. चन्द्रशेखर का मत है कि पिछली पाँच दशाब्दियों में भारत में कुछ अपवादों को छोड़कर मानव क्षति कम हुई है।
16. निष्कर्ष – संक्षेप में कहा जा सकता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए परम्परागत मान्यताओं के साथ-साथ शिक्षा का अभाव भी मुख्य कारण है।
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