अम्ल वर्षा से आप क्या समझते हैं?
वायुमण्डल में संचित कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड वर्षा के समय वर्षा जल से प्रतिक्रिया करते हैं जिनके परिणामस्वरूप वे वर्षा जल को अम्लीय जल में परिवर्तित कर देते हैं। यही अम्ल वर्षा है। वर्षा के जल के साथ मुख्य तथा सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड के अवक्षेप को अम्ल वर्षा कहते हैं। ये इसके अतिरिक्त ओजोन एवं अधजले हाइड्रोकार्बन भी वायुमण्डल की अम्लीयता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। अधजले हाइड्रोकार्बन प्रकाश की उपस्थिति में रासायनिक प्रक्रियाओं के फलस्वरूप ओजोन में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे वायुमण्डल में अम्लीय प्रदूषण होता रहता है।
अम्ल वर्षा के प्रभाव (Influences of Acid Rain)
अम्ल वर्षा के द्वारा होने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं-
(1) बड़े पैमाने पर वनों और झीलों का अपक्षीण अथवा होना।
(2) वनों, नदियों, खेतों तथा झीलों आदि में खनिज सन्तुलन का गड़बड़ा जाना, जिसका पारिस्थितिकी व्यवस्था पर बुरा प्रभाव होता है।
(3) निकटस्थ मिट्टी से एल्यूमीनियम, मैगनीज, जस्ता, लोहा एवं गिलट आदि धातुओं के अन्तर्दाह से हानि का अधिक होना।
(4) आर्द्र अम्ल वर्षा से झीलों, तालाबों एवं नदियों की अम्लता का बढ़ जाना।
(5) अम्लीय नदियों, झीलों एवं मछलियों का विकृत होकर मरना और बैक्टीरिया तथा अन्य उपयोगी सूक्ष्म जीवाणुओं में, जो जलीय जीवन को संवृत रखती है, अधिक कमी हो जाना। स्वीडन में सन् 1928 के अन्त तक 34 प्रतिशत वन क्षेत्र अम्ल से नष्ट हो गये।
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