सिंचाई से क्या अभिप्राय है?
कृत्रिम विधियों द्वारा फसलों की वृद्धि एवं उपज बढ़ाने के लिए जल का जो प्रयोग किया जाता है, उसे सिंचाई कहते हैं। भूमि में नमी को उचित मात्रा में बनाये रखने के लिए, जिससे पौधों की उचित वृद्धि हो सके तथा फसल अथवा पौधों की भरपूर पैदावार के लिए खेतों में कृत्रिम ढंग से पानी देना ही सिंचाई कहलाता है।
सिंचाई का महत्त्व
सिंचाई का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से है-
(1) पौधों को खाद्य पदार्थ एवं खनिज लवण पानी के द्वारा ही प्राप्त होते हैं।
(2) पौधों में होने वाली क्रियाएँ; जैसे-प्रकाश संश्लेषण, श्वसन एवं वाष्पोत्सर्जन आदि में जल का होना बहुत आवश्यक है।
(3) पौधों में 90% जल पाया जाता है। इसलिए खेती के लिये सिंचाई का विशेष महत्त्व है।
सिंचाई के प्रमुख साधन
सिंचाई के लिए हमारे देश में निम्नलिखित चार प्रमुख साधन हैं-
1. कुएँ – सिंचाई हेतु उचित गहरायी पर स्थान के अनुरूप कुआँ खोद लेते हैं।
2. नलकूप – अब बिजली की खपत द्वारा बिजली के नलकूप भी गाँवों में लगने लगे हैं।
3. तालाबों – तालाबों से भी सिंचाई की जाती है।
4. नहरें – नहरें सिंचाई का प्रमुख साधन हैं। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नहरों का विशेष महत्त्व है।
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