वर्तमान में राज्य में बाल श्रम की स्थिति
बाल-श्रम का मतलब यह है कि जिसमे कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संघठनों ने शोषित करने वाली प्रथा माना है। अतीत में बाल श्रम का कई प्रकार से उपयोग किया जाता था, लेकिन सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा के साथ औद्योगीकरण, काम करने की स्थिति में परिवर्तन तथा कामगारों श्रम अधिकार और बच्चों अधिकार की अवधारणाओं के चलते इसमे जनविवाद प्रवेश कर गया। बाल श्रम अभी भी कुछ देशों में आम है।
वर्तमान में राज्य में लगभग 21 लाख बाल श्रमिक हैं। यह गणना बाल कल्याण के लिये कार्य करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एण्ड यू (क्राई) द्वारा 2011 की जनगणना के विश्लेषण के बाद की है। संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 7.5 लाख बच्चे या तो कभी स्कूल नहीं गये या पढ़ाई छोड़ चुके हैं। संस्था की रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश में सर्वाधिक बाल श्रमिक उ. प्र. में हैं। पिछले दस वर्षों में राज्य में 13 फीसदी बाल श्रमिक बढ़े हैं। इनमें से 60 फीसदी छ: माह या उससे कम कार्य करते हैं जबकि 40 फीसदी बच्चे छ: माह से अधिक श्रम करते हैं। यदि इस स्थिति में बदलाव नहीं हुआ तो यह बच्चे निर्धनता और बेरोजगारी की पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली परम्परा का हिस्सा बन जायेंगे।
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