पुनर्जागरण का अर्थ – विशेषताएँ, कारण, वैज्ञानिक के नाम एवं उनकी उपलब्धियाँ:
पुनर्जागरण का अर्थ :
पुनर्जागरण मध्यकाल में यूरोपवासी जब धार्मिक अन्धविश्वासों व रूढ़ियों से तंग आ चुके तो उनमें प्राचीन यूनान तथा रोम के स्वतन्त्र चिन्तकों की स्मृति जागृत हुई । 14वीं व 15वीं शताब्दी में यूनानी व रोमन विज्ञान साहित्य व कला का पुनर्जागरण हुआ । इसी को रिनेसॉ कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है – फिर से जन्म लेना । इस प्रकार मध्यकाल और आधुनिक युग के बीच की कड़ी पुनर्जागरण ही है । इतिहासकार डेवीज ने लिखा है, “मध्य युग के धर्म के ठेकेदारों ने मानव-बुद्धि को गुलाम बना रखा था । मानव बुद्धि का इस बन्धन से मुक्त होना ही पुनर्जागरण है ।”
लोगों की जब बोद्धिक चेतना जागी तो वे पोप के उस रूढ़िवादी धर्म को अस्वीकार करने लगे, जिसमें स्वर्ग की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण जीवन धर्म के प्रति समर्पित कर दिया गया था । पुनर्जागरण से लोगों में यह विश्वास उत्पन्न होने लगा कि स्वर्ग या नरक केवल रूढ़िवादी धर्म की कल्पनाएँ हैं । जीवन का सच्चा सुख भोग में ही हो सकता है । स्वर्ग इसी धरती पर विद्यमान है । उसको प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कठोर परिश्रमी, लगनशील तथा कर्तव्यपरायण होना चाहिए । इस मानवतावादी विचारों के पनपने से यूरोप के निवासी अन्धविश्वासों को छोड़कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने लगे ।
पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ:
पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थी-
1. मानववाद – मानववाद का तात्पर्य उन्नत ज्ञान से लिया जाता है । प्राचीन यूनानी सभ्यता एवं संस्कृति का पक्षपाती पेट्रार्क को मानववाद का पिता कहा जाता है । माइकेल एन्जिलो, मैकियावेली एवं दांते आदि पुनर्जागरण काल के अन्य मुख्य मानववादी थे । इन मानववादियों ने उस समय समाज में व्याप्त प्रमुख समस्याओं को समझने की कोशिश की तथा समाधान के उपाय भी बताये । मानवतावादी विचारकों द्वारा मानव-जीवन को सार्थक बनाने की शिक्षा ने मानव के प्रति आस्था का समर्थन किया ।
2. कला में पुनर्जागरण- मध्य काल में कला का अपना कोई स्वतन्त्र एवं पृथक अस्तित्व नहीं था, लेकिन पुनर्जागरण काल में कला के विषयों में परिवर्तन आया और कला को सर्वाधिक प्रोत्साहन मिला । इस काल के प्रमुख कलाकार गिबर्टी, डोनेटोला, राफेल, माइकेल एन्जिलो एवं लियोनार्दो-द-विंची आदि थे। पुनर्जागरण के कारण विभिन्न कला शेलियों में परिवर्तन होकर नवोन शैली का विकास हुआ ।
3. साहित्य में पुनर्जागरण – लैटिन एवं यूनानी भाषाओं में लिखा गया साहित्य जनमानस की समझ के बाहर था । अतः राष्ट्रीय एवं लोकभाषाओं में लिखे गए साहित्य को प्रोत्साहन मिला । इस प्रकार राष्ट्रवादी साहित्य ने मध्ययुगोन मान्यताओं को तर्क के आधार पर स्पष्ट चुनौती दी एवं नवीन मान्यताओं को बल मिला। इस काल के प्रमुख साहित्यकार दांते, पैट्रार्क, मैकियावेली (इटली के चाणक्य), बुकेशियो (लैटिन साहित्य के पिता), शेक्सपीयर एवं टॉमस मूर आदि थे ।
4. नवीन मार्गों एवं नये स्थानों को खोज – यूरोप में सांस्कृतिक पुनर्जागरण एवं धार्मिक जागृति के फलस्वरूप यूरोप (पुर्तगाल, स्पेन, हालैण्ड आदि देश) के नाविकों द्वारा नये स्थानों की खोज की गई । एशिया महाद्वीप के लिए नवीन जलमार्गों का पता इसी काल में लगाया गया ।
5. विज्ञान व आविष्कार – पुनर्जागरण ने विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्रान्ति की । इस काल में इतने अधिक आविष्कार हुए कि इस युग को लोग ‘वेज्ञानिक क्रान्ति का युग’ कहते हैं । आधुनिक युग के आगमन के साथ ही अनेक वैज्ञानिक आविष्कार हुए । पहला आविष्कार छापेखाने का था, जो जर्मनो के गुटनबर्ग ने किया था । रोजर बेकन ने सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया । इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो ने दूरबीन बनाई, जिससे खगोलशास्त्र में सहायता मिली । फ्रांसिस बेकन तथा देकार्त ने विज्ञान में विश्लेषण की विधि को जन्म दिया। प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम का पता लगाया तथा गतिविषयक नियमों की खोज की। हार्वे ने मानव शरीर में रक्त परिवहन तथा एड्रियस-बेसालियस ने रसायनशास्त्र व शल्य चिकित्सा के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण अनुसंधान किया ।
6. धर्म में पुनर्जागरण – पुनर्जागरण के फलस्वरूप मानव ने तर्कपूर्ण चिन्तन प्रारम्भ किया । अब वह धार्मिक मान्यताओं को तर्क की कसौटी पर कसकर ही उसे स्वीकार करने को तैयार हुआ । इस तार्किक चिन्तन के कारण हो उस काल के मनुष्य को चर्च में व्याप्त विभिन्न प्रकार की बुराइयाँ दिखाई पड़ी। पुनर्जागरण के कारण ही धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरुआत हुई । इसके अतिरिक्त अन्य विशेषताएँ भी हैं –
- पुनर्जागरण के फलस्वरूप धार्मिक विषयों के स्थान पर विज्ञान, सौन्दर्यशास्त्र, इतिहास, भूगोल जैसे विषयों को प्रोत्साहन दिया गया ।
- परलोकवादी, जीवन एवं मोक्ष-प्राप्ति के स्थान पर सामाजिक समस्याओं जैसे विषयों को महत्व दिया गया।
- जनता में आलोचनात्मक एवं अन्वेषणात्मक प्रवृत्ति पैदा हुई ।
- आत्मनिग्रह के स्थान पर आत्मविकास और मानव जीवन के सुखों पर जोर दिया गया।
पुनर्जागरण के कारण:
पुनर्जागरण के चार कारण इस प्रकार से हैं –
- धर्म–युद्धों के प्रभाव से यूरोप के निवासियों का सम्पर्क अनेक नवीन जातियों से हुआ, जिससे उनका भौगोलिक ज्ञान तथा रहन-सहन प्रभावित हुआ ।
- तुर्कों का कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार होने से ग्रीक और रोमन विद्वान इटली में बस गये, जिससे इटली पुनर्जागरण का केन्द्र बना । इस प्रकार यूरोप में नवीन विचारधारा का उदय हुआ ।
- छापेखाने का आविष्कार होने से पुनर्जागरण को प्रोत्साहन मिला ।
- यूरोप में नगरों के विकास से उच्च शिक्षा, व्यापार व उद्योग को बढ़ावा मिला।
पुनर्जागरण वैज्ञानिक के नाम एवं उनकी उपलब्धियाँ:
वैज्ञानिक के नाम | देश | सिद्धान्त |
1. कोपरनिकस | पोलैण्ड | ‘पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है’ |
2. गैलीलियो | इटली | ‘दूरबीन का आविष्कार’ |
3. न्यूटन | जर्मनी | ‘गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त’ |
4. कैपल | जर्मनी | ‘ग्रह भी सूर्य के चारों ओर घूमते हैं’ |
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