शिक्षक स्वायत्तता ( Teachers Autonomy)
शिक्षक स्वायत्तता की अवधारणा विद्यालयों में शिक्षकों की विशेष रूप से व्यावसायिक स्वतंत्रता को संदर्भित करती है, विशेषकर उन डिग्री स्तरों पर जिनमें से छात्रों को पढ़ाने के बारे में स्वायन निर्णय कर सकते हैं।
शिक्षक स्वायत्तता अध्ययन और सिखाने की स्वतंत्रता को दर्शाती है। यह शिक्षक शिक्षा नीति के नियंत्रण वाला आंकड़ा है और सामाजिक नीति शिक्षा की शक्ति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) यह भी कहता है कि शिक्षकों को नए सिरे से अवगत कराए जाने की आजादी होनी चाहिए, संचार के उपयुक्त तरीकों और गतिविधियों की अवधारणाओं की जरूरतों के अनुकूल समुदाय यदि किसी शिक्षक में अच्छी आदतें एवं गुण हैं तो छात्रों में आदत या गुणों को स्थानान्तरित कर सकता है। यह उसकी भूमिका है और एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। एन. सी. एफ. 2005 की में परिभाषित पद्धति में हमारी शिक्षा स्वायत्तता और व्यावसायिक स्वतंत्रता से भिन्नता की कोशिश करता है।
शिक्षक की स्वायत्तता का अर्थ एवं परिभाषा
शिक्षक स्वायत्तता को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, “अपनी स्वयं के शिक्षण नियंत्रित करने की क्षमता शिक्षक को स्वायत्तता का अर्थ है अध्ययन की आजादी और सिखाने की आजादी। उच्च अधिकारियों द्वारा शिक्षक के काम में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए ताकि कोई भी बिना किसी भय के कर्त्तव्यों का पालन कर सके।” लिटिल (1955) शिक्षक स्वायत्ता को परिभाषित करता है “शिक्षकों को स्वयं निर्देशित शिक्षण में संलग्न होने की क्षमता होनी चाहिए। विभिन्न विद्वान शिक्षक स्वायत्तता को इस प्रकार परिभाषित करते हैं, “अपनी इच्छा, क्षमता और स्वतंत्रता को अपने स्वयं के शिक्षण को नियंत्रित करने और शिक्षण एवं अधिगम शिक्षक स्वायत्तता के रूप में जाना जाता है।” शिक्षक स्वायत्तता की व्यापक विशेषता का सार निम्नानुसार है-
(1) यह एक स्व-व्यावसायिक कार्यवाही है।
(2) आत्म-निर्देशित व्यावसायिक कार्य के लिए क्षमता है।
(3) स्वतंत्रता से की व्यावसायिक कार्यवाही आत्म-निर्देशित नियंत्रण इकाई की क्षमता व्यावसायिक विकास करना
(4) व्यावसायिक स्वतंत्रता से अधिकतर स्वायत्त शिक्षक को शैक्षिक स्वतंत्रता के रूप में भी जाना होता है।
स्वायत्तता भी सीखने पर जिम्मेदारी एवं नियंत्रण लेने का प्रभार लेने के लिए है। इसमें क्षमता और व्यवहार शामिल हैं जो कि लोगों के पास हैं और विभिन्न स्तरों में विकसित हो सकते हैं। एक शिक्षक के रूप में खुद के लिए कौशल विकास की क्षमता, कौशल की क्षमता के लिए आकलन करने की क्षमता, प्रवृत्ति खुद परस्पर आत्मविश्वास की निंदा करती है, अपने शिक्षण के बारे में जागरुकता, निरंतर पुनः सम्बन्ध, सतत् विकास आत्म नियंत्रण सहयोग के माध्यम से शिक्षक को सहयोग देती है।
शिक्षक स्वायत्तता के आयाम (Dimensims of Teacher’s Autonomy )
मैक ग्राथ (2000) द्वारा पहचाने जाने वाले आयाम इस प्रकार हैं-
(1) स्वयं निर्देशित कार्रवाई या विकास के रूप में शिक्षक स्वायत्तता ।
( 2 ) दूसरों के नियंत्रण से स्वतंत्रता के रूप में शिक्षक स्वायत्तता प्राप्त करना।
व्यावसायिक कार्यों के सम्बन्ध में, शिक्षक स्वायत्तता के आयाम
(1) स्व-निर्देशित व्यावसायिक कार्यवाही (स्वयं निर्देशित शिक्षण)
(2) स्व-निर्देशित व्यावसायिक कार्यवाही की क्षमता।
(3) व्यावसायिक कार्रवाई पर नियंत्रण से स्वतंत्रता ।
शिक्षक की स्वायत्तता की आवश्यकताएँ एवं महत्त्व (Needs and Importance of Teachers Autonomy)
(i) पर्यावरण को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक स्वायत्तता आवश्यक है जो कि बच्चों की विविध आवश्यकताओं को सुधारती है।
(ii) शिक्षक स्वायत्तता निजी और पेशेवर की जरूरत से प्रेरित होती है।
(iii) एक स्वायत्त शिक्षक आगे के विकास के लिए अपने-अपने कैरियर के दौरान अवसरों की तलाश कर सकता है।
(iv) एक स्वायत्त शिक्षक व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को महसूस करता है, कार्यशालाओं में भाग लेता है और नये कक्षा-कक्ष के विचारों में आता है।
(v) शिक्षक स्वायत्तता योग्यता के लिए उपयुक्त कौशल, शिक्षक के लिए ज्ञान रवैया का विकास करना, दूसरे के साथ सहयोग करना।
(vi) शिक्षकों को सामाजिक वातावरण की चिंताओं की जरूरत और क्षमताओं से सम्बन्धित संचार और गतिविधियों के उपयुक्त तरीकों को तैयार करने के लिए।
(vii) शिक्षक को नवीनता लाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
(viii) आभासी सीखने के साथ अधिक आत्मविश्वास छात्र की जरूरतों, हितों और प्रेरणाओं को जवाब देने और हमारे दृष्टिकोण को अलग करने के लिए शिक्षक स्वायत्तता आवश्यक है।
शिक्षक स्वायत्ता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Teachers Autonomy)
शैक्षिक माहौल बनाने के लिए शिक्षकों की स्वायत्तता आवश्यक है ताकि वे बालकों की विविध आवश्यकताओं का ध्यान रख सकें। फिलहाल तो प्रशासनिक अव्यवस्था एवं नियंत्रण.. परीक्षाएँ पाठ्यचर्या सुधार का केन्द्रीयकृत नियोजन ये सभी शिक्षक की स्वायत्तता को प्रभावित करने वाले कारक है। यदि कहीं पाठ्यचर्या में स्वतंत्रता का अवसर प्राप्त होता है तो भी शिक्षक इतने आत्मविश्वासी नहीं हो पाते कि वे अपनी स्वायत्तता का भरपूर प्रयोग प्रशासन व्यवस्था के विरुद्ध जाकर भी कर सकें तथा प्रशासन उसके शैक्षिक कार्यों की सराहना कर सके।
अपनी स्वायत्तता को बढ़ावा देने में शिक्षक की भूमिका (Teacher’s Role in Promotion of own Autonomy)
शिक्षक खुद को अपनी स्वायत्तता को बढ़ावा दे सकता है। शिक्षक की स्वायत्तता को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुझाव निम्नानुसार हैं-
1. वर्तमान विषयों से परिचित होने के लिए उसे बहुत कुछ पढ़ना चाहिए।
2. शिक्षक को स्वयं का पालन करने में सक्षम होना चाहिए।
3. उन्हें दूसरों के साथ सहयोग करना चाहिए आलोचनाओं के लिए खुला होना वास्तव में जरूरी है।
4. शिक्षक को पाठ के अंत में नोट बनाना चाहिए और उनका मूल्यांकन करना चाहिए।
5. विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया शिक्षक को दी जा सकती है।
6. शिक्षकों को अपनी स्वयं की स्वायत्तता विकसित करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
7. एक बहुत सावधन पाठ योजना आवश्यक है।
8. उसे अपने अच्छे और बुरे बिन्दुओं या गुणों के बारे में पता होना चाहिए।
9. शिक्षक स्वायत्तता, व्यक्तिगत और व्यावसायिक सुधार की जरूरत से प्रेरित है, ताकि एक स्वायत्त शिक्षक अध्यापकों के गुणों को विकसित करने के लिए अपने या अपने कैरियर के दौरान अवसरों की तलाश कर सके। तभी वह स्वायत्त होगा और पढ़ाई से पता चलता है कि स्वायत्त शिक्षक बहुत सिखाता है और आसानी से गैर स्वायत्त शिक्षकों की तुलना में शिक्षकों के बीच कुछ व्यावसायिक स्वतंत्रता होनी चाहिए, क्योंकि जब वे पढ़ाने के लिए स्वतंत्र होते हैं, वे अधिक कुशलता से सिखाते हैं।
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