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लोक प्रशासन कला अथवा विज्ञान । लोक प्रशासन की प्रकृति

लोक प्रशासन कला अथवा विज्ञान
लोक प्रशासन कला अथवा विज्ञान

लोक प्रशासन कला अथवा विज्ञान या दोनों है व्याख्या कीजिए

लोक प्रशासन कला के रूप में

लोक प्रशासन कला है अथवा नहीं, इस प्रश्न का निर्णय करने से पूर्व हमें ‘कला’ शब्द का अर्थ जान लेना आवश्यक है-

कला का अर्थ

ई. एन. ग्लेडन के मतानुसार, “कला मानव की योग्यता से सम्बन्धित ऐसा ज्ञान है, जिसमें सिद्धान्त की अपेक्षा अभ्यास पर विशेष बल दिया जाता है।” दूसरे शब्दों में किसी ज्ञान को प्राप्त करने पर उसके व्यवहार में लाने का नाम कला है।

लोक प्रशासन कला है

अधिकतर विद्वानों ने लोक प्रशासन को कला माना है। आर्डवे टीड के अनुसार प्रशासन एक सुन्दर कला है, क्योंकि यह विशेष गुणों की सहयोगी रचना के आधार पर सुसभ्य और व्यवस्थित जीवन के अनुरूप बनाती है।

वे इसके समर्थन में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत करते हैं-

1. अनुभव एवं योग्यता- जिस प्रकार एक कलाकार अनुभव प्राप्त करके एक कुशल कलाकार बनता है, उसी प्रकार एक प्रशासक भी अनुभव के आधार पर मान्यता पाता है। जिस प्रकार कलाकार के लिए व्यक्तिगत योग्यता की आवश्यकता है, उसी प्रकार कुशल प्रशासक के व्यक्तिगत गुणों के आधार पर ही लोक प्रशासन की सफलता आधारित है।

2. प्रेरणा- जिस प्रकार ‘कला’ का सृजन प्रेरणा पर आधारित है, उसी प्रकार लोक प्रशासन भी प्रेरणा पर ही अवलम्बित है। जब तक व्यक्ति में स्वयं ही प्रशासक बनने की प्रेरणा न उठे, तब तक वह योग्य प्रशासक नहीं हो सकता।

3. निश्चित नियम– ‘कला’ की सफलता निश्चित नियमों का पालन करने में है। इसी प्रकार लोक प्रशासन भी कुछ निश्चित नियमों पर आधारित हैं। यदि प्रशासन में निर्धारित नियमों का प्रयोग न किया जाये और प्रशासन मनमानी करे, तो प्रशासन का रूप विकृत हो जाता है। इस दृष्टि से लोक प्रशासन कला के अधिक निकट है।

4. चातुर्य एवं युक्ति– लोक प्रशासन में कुशल प्रशासन की सफलता, उसके चातुर्य और युक्ति पर आधारित है। ‘कानून’ हर समस्या के लिए प्रशासक की सहायता के लिए बना है, किन्तु प्रशासनिक सफलता कानून के पालन करने में नहीं है, वरन् इस बात में है कि वह कानून का प्रयोग करने में कितनी बुद्धिमत्ता एवं चातुर्य से कार्य करता है।

5. विकास– विकास की दृष्टि से भी लोक प्रशासन एक कला है। कला का धीरे-धीरे विकास होता है, इसी प्रकार लोक प्रशासन का विकास भी धीरे-धीरे हुआ है।

6. पद्धति- जिस प्रकार ‘कला’ के विशेष सिद्धान्त हैं, उसी प्रकार लोक प्रशासन में विशेष पद्धतियों का अनुसरण करना पड़ता है। ‘कला’ के सिद्धान्तों में समय-समय पर परिवर्तन होता है, उसी प्रकार लोक प्रशासन में भी कानून समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं। पद्धतियों के अनुकरण करने में तथा उसकी परिवर्तनशीलता के दृष्टिकोण से भी प्रशासन एक कला है।

7. उचित प्रशिक्षण- जिस प्रकार एक कलाकार को अपनी कला में विशेषज्ञ बनाने के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है, ठीक उसी प्रकार लोक प्रशासन में एक प्रशासक को शिक्षण केन्द्रों में शिक्षा दी जाती है और शिक्षा प्राप्त करके कुछ दिनों के लिए वह किसी अनुभवी प्रशासक की देख-रेख में अनुभव प्राप्त करता है।

लोक प्रशासन विज्ञान के रूप में

लोक प्रशासन को विज्ञान मानने से पूर्व विज्ञान शब्द की व्याख्या तथा उसके आवश्यक तत्त्वों के बारे में जानना चाहिये।

विज्ञान क्या है?

विज्ञान को ज्ञान के क्रमबद्ध अध्ययन के रूप में माना जाता है। इस दृष्टि से विज्ञान को दो तत्त्वों पर आधारित माना जाता है— यथार्थता तथा अनुमान करने की क्षमता । विज्ञान की परिभाषा भिन्न-भिन विद्वानों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से की है।

ग्रीन के अनुसार, “विज्ञान अनुसंधान की पद्धति है।”

थामसन (Thomson) ने लिखा है कि “वह सम्पूर्ण शास्त्र एक प्रामाणिक ज्ञान है, जसका नियमानुकूल निरीक्षण एवं परीक्षण द्वारा अध्ययन हो सके और जो संक्षिप्तता, स्थिरता त्र तत्सम्बन्धित सिद्धान्त को मानता है।”

जो विद्वान लोक प्रशासन को विज्ञान मानते हैं, वे निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत करते हैं-

1. क्रमबद्धता अध्ययन– लोक प्रशासन का अध्ययन भी विज्ञान की भाँति क्रमबद्ध रूप में किया जाता है। इस दृष्टि से लोक प्रशासन एक विज्ञान है।

2. आधारभूत सिद्धान्तों का संकलन– विज्ञान में आधारभूत सिद्धान्तों का विशेष महत्त्व है। विज्ञान बिना सिद्धान्तों के आगे नहीं बढ़ सकता। इसी प्रकार लोक प्रशासन में रुचि रखने वाले विद्वानों ने भी लोक प्रशासन के क्रमबद्ध अध्ययन को प्रोत्साहित करने हेतु उलेख एवं प्रन्थ लिखे हैं, जिनमें प्रशासन के अध्ययन के आधारभूत सिद्धान्तों का संकलन किया गया है।

3. समुचित शिक्षा- जिस प्रकार एक वैज्ञानिक को विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार प्रशासक को भी कुशलता प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इस प्रकार समुचित शिक्षा की अनिवार्यता के दृष्टिकोण से भी लोक शासन एक विज्ञान है।

4. वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग- व्यावहारिक दृष्टि से हम देखते हैं कि अध्ययन की वैज्ञानिक प्रणाली का प्रयोग लोक प्रशासन पर लागू होता है। विज्ञान की भाँति इसके तथ्यों का अध्ययन किया जाता है और विश्लेषण किया जाता है एवं उनमें परस्पर सम्बन्ध तथा समन्वय स्थापित किया जाता है। उसके बाद परिणामों पर पहुँचा जाता है और अन्त में पूर्ण अध्ययन करके ‘सामान्य नियमों का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार यह प्रशासन विज्ञान पद्धतियों का प्रयोग करता है, अतएव लोक प्रशासन को विज्ञान की संज्ञा दी जाती है।

5. भविष्यवाणी की सम्भावना– यद्यपि विज्ञान केवल ‘क्या है’ का वर्णन करता है, केन्तु फिर भी ‘ऋतु शास्त्र’ आदि ऐसे विज्ञान हैं, जो मौसम के बारे में भविष्यवाणी करते हैं, इसी प्रकार लोक प्रशासन में भी घटनाओं का अध्ययन करके कुशल प्रशासक यह अनुमान लगा सकते हैं कि उक्त घटनाओं के क्या-क्या परिणाम होंगे। इस दृष्टि से भी लोक प्रशासन एक विज्ञान है।

6. साहस, धैर्य एवं निष्पक्षता- जिस प्रकार साहस, धैर्य, कठोर परिश्रम एवं निष्पक्षता एक वैज्ञानिक को कुशल एवं सफल बनाते हैं, उसी प्रकार एक कुशल प्रशासक के लिए भी इन गुणों की आवश्यकता होती है।

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