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मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एंव इसके उपाय | Meaning and Remedies of Mental Health

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एंव इसके उपाय
मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एंव इसके उपाय
 मानसिक स्वास्थ्य का क्या अर्थ है? विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य के उपाय बताइए।

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ- वर्तमान समय में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालक के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ अन्य पक्षों का विकास करना माना जाता है। अतः इस सम्बन्ध में सर्वप्रथम यह प्रश्न उपस्थित होता है कि मानसिक स्वास्थ्य क्या है? शिक्षा के क्षेत्र में शीररिक स्वास्थ्य का अर्थ आन्तरिक और बाह्य क्रिया करने वाले शारीरिक अंगों का स्वस्थ होना होता है। इसके अलावा दूसरा क्षेत्र विचार का क्षेत्र है जिसे मानसिक क्षेत्र कहा जाता है जिसके अन्तर्ग व्यक्ति का चिन्तन, व्यवहार, स्मरण शक्ति, रूचि, संवेगात्मकता, प्रवृत्तियाँ, अभिवृत्तियाँ आदि आते हैं जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य शरीर के अंगों-प्रत्यंगों के ठीक प्रकार से कार्य करने पर निर्भर होता है उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य भी सम्यक् व्यवहार, चिन्तन, स्मरण आदि पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में, जिस प्रकार से शारीरिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन कुछ शारीरिक लक्षणों के आधार पर किया जाता है उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन भी निम्न लक्षणों के आधार पर किया जाता है—

  1. मानसिक स्वास्थता का प्रमुख लक्षण सम्यक् व्यवहार चिन्तन एवं सामान्य बुद्धि स्तर का होता है।
  2. मानसिक रूप से स्वस्थ बालक चिड़चिड़ा, आक्रोशग्रस्त तथा हीनभावना से ग्रसित नहीं होता।
  3. सुस्पष्ट चिन्तन एवं सामान्य स्मरण शक्ति का होना।
  4. मानसिक रूप से स्वस्थ बालक दूसरे बालकों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करता है। अर्थात् उसके व्यवहार में सामाजिकता के गुणों का समावेश होता है।
  5. मानसिक रूप से स्वस्थ बालक प्रत्येक कार्य उत्साह से करता है।
  6. नियमित दिनचर्या एवं संयमित जीवन भी मानसिक स्वास्थ्य का मुख्य लक्षण होता है।
  7. जो बालक मानसिक रूप से स्वस्थ होता है वह व्यर्थ, निरूद्देश्य इधर-उधर नहीं घूमता।
  8. कार्य एवं क्षमता में समुचित सामंजस्य स्वस्थ मानसिकता का परिचायक होता है।
  9. कुशाग्र बुद्धि एवं समझ का होना भी मानसिक स्वास्थता का लक्षण होता है।

विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य के उपाय

बालक के मानसिक स्वास्थ्य पर विद्यालय के वातावरण का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। अतः बालकों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए विद्यालय को निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए-

  1. बालकों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि उन्हें कुण्ठा, आक्रोश, आवेगों एवं पूर्वाग्रहों से मुक्त रखा जाये जिसके लिए अध्यापकों का यह कर्तव्य होता है कि वे विद्यालय के बालकों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें।
  2. बालक हीनभावना के शिकार न बनें इसके लिए अध्यापकों को निष्पक्ष एवं न्यायपूर्ण ढंग से समान व्यवहार करना चाहिए।
  3. साहित्य का मानसिक विचारों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है अतः विद्यालयों में छात्रों को ऐसा साहित्य उपलब्ध कराना चाहिए जिससे उनके विचार सात्विक बनें।
  4. समय-समय पर विद्यालय को किसी कुशल मनोवैज्ञानिक द्वारा बालकों के मानसिक स्वास्थ्य का पीरक्षण कराते रहना चाहिए और इस परीक्षण के परिणामस्वरूप पाये गये मानसिक रूप से अस्वस्थ बालकों का उपचार कराना चाहिए।
  5. विद्यालय में समय-समय पर छात्रों के अभिभावकों को बुलाकर उन्हें बालकों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा हेतु उचित मार्ग निर्देश देने चाहिए।
  6. बालकों के दोषों की उनके सामने चर्चा नहीं करनी चाहिए वरन् उनकी उपलब्धियों एवं उनके गुणों की प्रशंसा करनी चाहिए।
  7. विद्यालय में मन्द बुद्धि छात्रों को सामान्य बुद्धि स्तर के छात्रों से अलग रखकर पढाना चाहिए तथा शिक्षण कार्य को सुरुचिपूर्ण एवं सरस ढंग से करना चाहिए।
  8. विद्यालय में आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों के संगठन में छात्रों की रूचियों एवं योग्यता को ध्यान में रखकर उनके अनुरूप ही कार्य करना चाहिए।
  9. विद्यालय के वातावरण को ऐसा बनाना जिसमें छात्रों का समुचित मानसिक विकास हो सके, विद्यालय का कर्तव्य है।

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