पर्यावरण विधि (Environmental Law)

प्लास्टिक प्रदूषण क्या है? इसके प्रभावों की समीक्षा कीजिए।

प्लास्टिक प्रदूषण क्या है?
प्लास्टिक प्रदूषण क्या है?

प्लास्टिक प्रदूषण क्या है? इसके प्रभावों की समीक्षा कीजिए। What is Plastic pollution? Examine its effects.

 प्लास्टिक प्रदूषण-

जल में प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं के इकट्ठा होने को प्लास्टिक प्रदूषण’ (Plastic Pollution) कहते हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board-CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति वर्ष 56 लाख टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्पादन होता है जिसमें से 689.5 टन अकेले दिल्ली द्वारा उत्पादित होता है। प्लास्टिक को मोटाई के आधार पर दो वर्गों में विभक्त किया जाता है, यथा-

1. सूक्ष्म प्लास्टिक (Micro Plastic)-2 um-5mm
2. दीर्घ प्लास्टिक (Macro Plastic)- 20 mm से अधिक

प्लास्टिक प्रदूषण का प्रभाव (Effects of Plastic Pollution)-

वर्तमान समय में प्लास्टिक प्रदूषण एक विकराल समस्या का रूप धारण करता जा रहा है। इसका प्रभाव मानव, जीव जन्तु, जल , भूमि एवं पर्यावरण आदि सभी पर पड़ता है।

प्लास्टिक में मौजूद रसायन से कैंसर, जन्मजात विकृति एवं आनुवंशिक परिवर्तन जैसी बीमारियों के साथ-साथ मस्तिष्क समस्या, थायरॉयड समस्या व पाचन तंत्र की समस्या होती है। प्लास्टिक में पाया जाने वाला Phthalates तथा BisphenolA (BPA) मनुष्यों में कैंसर उत्पन्न करता है तथा महिलाओं के हृदय को प्रभावित करता है। प्लास्टिक में अन्तःस्रावी समस्या उत्पन्न करने वाले रसान भी पाये जाते हैं जो डाविटीज एवं मोटापा जैसे रोगों को जन्म देते हैं।

प्लास्टिक के दहन के कार्बनमोनो ऑक्साइड (CO), डाइऑक्सीन (Dioxin) व हाइड्रोजन साइनाइट एवं फुरान्स जैसी जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं। ये गैसें मनुष्य के श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र तथा प्रतिरक्षा तंत्र को क्षति पहुँचाती है। जल के माध्यम से प्लास्टिक मानव खाद्य-श्रृंखला में पहुंचकर उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

भूमि में प्लास्टिक की उपस्थिति खनिज, जल एवं पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधक बनकर उसकी उर्वरा शक्ति को क्षीण करता है। प्लास्टिक मानव खाद्य-श्रृंखला में पहुंचकर उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

भूमि में प्लास्टिक की उपस्थिति खनिज, जल एवं पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधक बनकर उसकी उर्वरा शक्ति को क्षीण करता है। प्लास्टिक मलवे का प्रभाव जलीय परितंत्र पर भी पड़ता है। जलीय जीवों द्वारा प्लास्टिक को भोजन के भ्रम में खा लिया जाता है जो उसके शरीर में फंसकर विषैला प्रभाव उत्पन्न करते हैं तथा उनकी मृत्यु का कारण तक बन जाते हैं। प्लालिस्टक के मलवे नदी, नहरों तथा नालों-नालियों में पानी के बहाव को रोककर बाढ़ व गंदगी उत्पन्न करते हैं जिनसे अनेकों रोग जन्म लेते हैं।

केन्द्र सरकार द्वारा 18 मार्च, 2016 को ‘प्लास्टिक कचरा (प्रबंधन एवं संचालन) नियम, 2011’ के स्थान पर ‘प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 (Plastic Waste Management Rules, 2016) अधिसूचित किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य प्लास्टिक कैरी बेग की न्यूनतम मोटाई को 40 माइक्रॉन से बढ़ाकर 50 माइक्रॉन करना, नियमों के दायरे को नगर पालिका क्षेत्र से बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तृत करना तथा प्लास्टिक कैरी बैग के उत्पादका, आयातकों एवं विक्रेताओं के पूर्व-पंजीकरण के माध्यम से प्लास्टिक कचरा, प्रबंधन हेतु शुल्क संग्रह की शुरुआत करना।

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