B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

जातिवाद एवं इसके दुष्परिणाम | Casteism and Its Bad Effects

जातिवाद एवं इसके दुष्परिणाम

जातिवाद एवं इसके दुष्परिणाम

जातिवाद एवं इसके दुष्परिणाम
Casteism and Its Bad Effects

भारतीय लोकतन्त्र के लिये जाति तथा अस्पृश्यता की भावना भी चुनौती के रूप में रही है। जातिगत भावनाओं की बढ़ती आकांक्षाओं ने भारतीय राजनीति को पर्याप्त सीमा तक प्रभावित किया है। अपने दल का टिकट देते समय राजनीतिक दल उम्मीदवार की योग्यता का ध्यान न रखकर जातिगत समीकरणों को ही इसका आधार मानते हैं। यह भावना जातियों में सहयोग के स्थान पर संघर्ष को जन्म देती है तथा लोकतन्त्र के स्वरूप को विकृत कर देती है। इस प्रकार अस्पृश्यता की भावना ने भी समाज में ऊँच-नीच की भावनाओं को प्रोत्साहन दिया है तथा समाज को दो वर्गों उच्च तथा निम्न वर्ग में विभाजित कर दिया है।

जातिवाद के दोष (Demerits of casteism)

जातिवाद के निम्नलिखित दोष हैं-

(1) जातिवाद राष्ट्रीय एकता के लिये अत्यधिक घातक सिद्ध हुआ है। जातिवाद के कारण प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र हित के विषय में सोचकर जाति हित के विषय में सोचता है। इससे व्यक्ति का दृष्टिकोण संकीर्ण हो जाता है।

(2) जातिवाद भारतीय संविधान की आत्मा के पूर्णतया विपरीत है। संविधान के अनुच्छेद 15 में स्पष्ट उल्लेख है- “राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, लिंग, जन्मस्थान अथवा इनमें से किसी आधार पर कोई मतभेद नहीं करेगा।” किन्तु जातिवाद आज भी समाज में उग्र रूप में पाया जाता है तथा यह अपनी जाति के प्रति अन्धविश्वास के कारण समाज में असमानता और पक्षपात को जन्म देता है।

(3) प्रत्येक जातीय संगठन केवल अपने सदस्यों के हित का प्रयास करता है जिसके परिणामस्वरूप पक्षपात और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है जो विद्यालय जातीय संगठन के आधार पर स्थापित किये व्यवसाय को करने की योग्यता हो अथवा नहीं। एक जातिका सदस्य अन्य जाति के व्यवसाय गये हैं उनमें उस जाति के अध्यापकों को ही नियुक्ति की जाती है तथा उन्हें विशेष सुविधाएँ प्रदान प्रकार के पक्षपात से समाज में असन्तोष फैलता है।

(4) जातिवाद ने व्यावसायिक कुशलता में भी बाधा पहुँचायी है। जाति द्वारा व्यक्ति का व्यवसाय निश्चित हो जाता है चाहे उसमें उस करने की योग्यता रखते हुए भी उस व्यवसाय को नहीं अपना सकता है। इससे व्यक्ति की क्षमताओं का विकास नहीं हो पाता।

जातिवाद को समाप्त करने के उपाय (Measures to remove casteism)

जातिवाद को समाप्त करने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-

(1) जातिवाद एक सामाजिक बुराई है और प्रत्येक सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिये सबसे अच्छा उपाय उसके विरुद्ध आन्दोलन चलाना ही है। जातिवाद के दोषों का प्रचार करके उसके विरुद्ध जनमत तैयार किया जाना चाहिये।

(2) जातिवाद को समाप्त करने के लिये आवश्यक है कि उचित और प्रभावशाली शिक्षा की व्यवस्था की जाये, शिक्षा संस्थाओं में किसी भी प्रकार का जातिवाद न पनपने दिया जाये, छात्रों को जातिवाद के दोषों से परिचित कराया जाये और उन्हें जातीयता के विरुद्ध अभियान चलाने के लिये प्रेरित किया जाय।

(3) जाति को प्रोत्साहित करने वाला सबसे बड़ा कारण व्यक्तियों और संस्थाओं के आगे जाति के नामों का उल्लेख करना है। अत: जनसाधारण एवं सरकार दोनों को कोई भी व्यावसायिक या सरकारी प्रतिष्ठान किसी जाति विशेष के नाम पर न हो।

(4) जातिवाद को केवल व्याख्यान और प्रचार के साधनों द्वारा ही समाप्त नहीं किया जा सकता वरन् इसके लिये आवश्यक है कि सरकार द्वारा जातिवाद विरोधी कानून बनाये जायें और उन पर कठोरता से अमल किया जाये। जातिवाद के आधार पर नियुक्तियों या पक्षपात को गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिये।

(5) सांस्कृतिक और आर्थिक असमानताओं के कारण ही जातिवाद को प्रोत्साहन मिलता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment