राजनीति विज्ञान / Political Science

ग्राम पंचायत का गठन (रचना) | ग्राम पंचायत की सदस्यता के लिए योग्यता | ग्राम पंचायत के कार्य

ग्राम पंचायत का गठन (रचना)
ग्राम पंचायत का गठन (रचना)

ग्राम पंचायत की रचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

ग्राम सभा की बैठक तो सामान्यतया वर्ष में दो बार होती है, इसलिए ग्राम के दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक कार्यकारिणी की आवश्यकता होती है। अतः एक कार्यकारिणी की व्यवस्था की गई है और इसे ग्राम पंचायत कहते हैं।

ग्राम पंचायत का गठन (रचना)

प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक प्रधान तथा 9 से लेकर 15 तक सदस्य होंगे। सदस्यों की संख्या के सम्बन्ध में निम्न व्यवस्था है।

ग्राम की जनसंख्या एक हजार होने पर 9 सदस्यः एक हजार से अधिक, किन्तु दो हजार से कम होने पर 11 सदस्य; दो हजार से अधिक किन्तु, तीन हजार से कम होने पर 13 सदस्य तीन हजार से अधिक हो तो 15 सदस्य।

प्रत्येक ग्राम को उतने ही निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) में विभाजित किया जाएगा, जितने सदस्य निर्वाचित होते हैं। इन सदस्यों को सम्बन्धित निर्वाचित क्षेत्र के समस्त मतदाताओं द्वारा साधारण बहुमत की पद्धति से प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर निर्वाचित किया जाएगा।

ग्राम पंचायत की सदस्यता के लिए योग्यता

ऐसा कोई भी व्यक्ति ग्राम पंचायत का सदस्य निर्वाचित हो सकेगा, जो राज्य विधानमण्डल का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता है। इस प्रसंग में अन्तर केवल यह है कि राज्य विधानसभा की सदस्यता के लिए 25 वर्ष की आयु प्राप्त होना आवश्यक है, लेकिन ग्राम पंचायत की सदस्यता के लिए केवल 21 वर्ष की आयु प्राप्त होना ही आवश्यक है। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि वह किसी ग्राम पंचायत या न्याय पंचायत का वैतनिक सेवक नहीं हो तथा वह किसी स्थानीय प्राधिकारी के अधीन लाभ का पद धारण न करता हो। निम्न श्रेणियों के व्यक्ति भी ग्राम पंचायत के प्रधान या सदस्य निर्वाचित होने के अयोग्य होंगे—(क) संसद या राज्य विधानमण्डल के सदस्य, (ख) किसी क्षेत्र पंचायत (क्षेत्रीय समिति) का प्रमुख या उप प्रमुख (ग) किसी जिला पंचायत का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष (घ) किसी सहकारी समिति का अध्यक्ष उपाध्यक्ष। इसके अतिरिक्त, कोई व्यक्ति एक साथ ग्राम पंचायत का सदस्य व न्याय पंचायत का पंच नहीं होगा।

ग्राम पंचायत का प्रधान ग्राम के सभी मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित किया जाएगा।

ग्राम पंचायत के कार्य

उत्तर प्रदेश पंचायत विधि, 1994 के अधीन ग्राम पंचायत के कार्यक्षेत्र को बहुत व्यापक कर दिया गया है। ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जैसी सरकार समय-समय पर निश्चित करे, प्रत्येक ग्राम पंचायत निम्नलिखित कार्यों का सम्पादन करेगी।

1. कृषि और कृषि विस्तार – कृषि और बागवानी का विकास तथा उन्नति बंजर भूमि और चरागाह भूमि का विकास तथा उनके अनधिकृत अधिग्रहण एवं प्रयोग की रोकथाम करना ।

2. भूमि विकास, भूमि सुधार का कार्यान्वयन, चकबन्दी और भूमि संरक्षण – भूमि विकास, भूमि सुधार और भूमि संरक्षण में सरकार तथा अन्य एजेन्सियों की सहायता करना, भूमि चकबन्दी से सहायता करना।

3. लघु सिंचाई और जल व्यवस्था का विकास – लघु सिंचाई परियोजनाओं से जल वितरण में प्रबन्ध और सहायता करना लघु सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण मरम्मत और रक्षा तथा सिंचाई के उद्देश्य से जलापूर्ति का विनियम

4. पशुपालन, दुग्ध उद्योग कुक्कुट पालन की उन्नति तथा अन्य पशुओं की नस्लों का सुधार करना।

5. गांवों में मत्स्य पालन का विकास।

6. सामाजिक और कृषि वानिकी, रेशम उत्पादन का विकास और उन्नति, वृक्षारोपण और वृक्षों की रक्षा।

7. लघु वन उत्पादों की उन्नति और विकास।

8. लघु उद्योगों के विकास में सहायता करना, स्थानीय व्यापार की उन्नति ।

9. कुटीर और ग्रामीण उद्योगों के विकास में सहायता करना।

10. ग्रामीण आवास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन ।

11. पेय जल और अन्य कार्यों के लिए जल प्रबन्ध हेतु सार्वजनिक कुओं, तालाबों और पोखरों का निर्माण मरम्मत और रक्षा।

12. ईंधन की व्यवस्था और चारा भूमि से सम्बन्धित घास एवं पौधों का विकास।

13. ग्राम की सड़कों, पुलियों, पुलों नौका घाटों और जल मार्गों का निर्माण, रक्षा तथा सार्वजनिक स्थानों पर से अतिक्रमण को हटाना।

14. सार्वजनिक मार्गों तथा अन्य स्थानों पर प्रकाश उपलब्ध कराना तथा उनकी रक्षा करना।

15. गैर-पारस्परिक ऊर्जा स्रोतों के कार्यक्रमों का विकास तथा रक्षा।

16. गरीबी दूर करने के कार्यक्रमों की उन्नति और कार्यान्वयन।

17. शिक्षा के बारे में सार्वजनिक चेतना पैदा करना, प्रारम्भिक और माध्यमिक विद्यालयों की व्यवसथा करना ।

18. प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा की उन्नति।

19. ग्रामीण कला का विकास और शिल्पकारों की उन्नति।

20. पुस्तकालयों और वाचनालयों की स्थापना और रक्षा।

21. खेलकूद और सांस्कृतिक क्रियाकलापों का विकास, ग्रामीण क्लबों की स्थापना और उनका प्रबन्ध

22. पंचायत क्षेत्रों में बाजार, मेलों और हाट का प्रबन्ध ।

23. चिकित्सा और स्वच्छता ग्रामीण स्वच्छता की व्यवस्था, महामारियों के विरुद्ध रोकथाम, मनुष्य और पशु टीकाकरण के कार्यक्रम, जन्म-मृत्यु और विवाह का पंजीकरण ।

24. परिवार कल्याण कार्यक्रमों का विकास और क्रियान्वयन।

25. ग्राम पंचायत क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए योजना तैयार करना।

26. ग्राम पंचायत स्तर पर महिला (प्रसूति) एवं बाल विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन ।

27. वृद्धावस्था और विधवा पेन्शन योजनाओं में सहायता करना, विकलांगों और मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों के कल्याण सहित सभी समाज कल्याण कार्यक्रमों में भाग लेना।

28. अनुसूचित जातियों, जनजातियों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भाग लेना सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं की तैयारी एवं क्रियान्वयन ।

29. अत्यावस्यक वस्तुओं के सम्बन्ध में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का प्रबन्ध करना ।

30. सामुदायिक आस्तियों का परीक्षण और अनुरक्षण

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