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विभिन्न स्तरों पर निर्देशन के उद्देश्य | Objectives of Guidance at Different Levels in Hindi

विभिन्न स्तरों पर निर्देशन के उद्देश्य
विभिन्न स्तरों पर निर्देशन के उद्देश्य

विभिन्न स्तरों पर निर्देशन के उद्देश्य (Objectives of Guidance at Different Levels)

विभिन्न स्तरों पर निर्देशन के उद्देश्य- इनके अतिरिक्त भी निर्देशन सेवाओं के उददेश्यों को अलग-अलग आधारों पर स्पष्ट गया है। शिक्षा के स्तर के आधार पर भी निर्देशन के अपने उद्देश्य हैं। शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर निर्देशन के भिन्न-भिन्न उद्देश्य हैं। इसे हम तीन वर्गों में विभाजित कर स्पष्ट कर सकते हैं। वे तीन वर्ग हैं-

(1) प्राथमिक स्तर पर निर्देशन सेवा के उद्देश्य (Objectives of Guidance Service at Primary Level)

(2) माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवा के उद्देश्य (Objectives of Guidance Service at Secondary Level)

(3) महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर पर निर्देशन सेवा के उद्देश्य (Objectives of Guidance Service at College and University Level)

(1) प्राथमिक स्तर पर निर्देशन सेवा के उद्देश्य (Objectives of Guidance Service at Primary Level)

शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर विद्यालय की प्रत्येक क्रिया में निर्देशन शामिल होता है। बालक जब घर के वातावरण से निकलकर विद्यालयी वातावरण में प्रवेश करता है तब उसे कई प्रकार से सामन्जस्य बिठाना पड़ता है। बालक विद्यालय में आकर विभिन्न व्यक्तियों के सम्पर्क में आता है। उसे अब सामन्जस्य स्थापित करने में समस्याएँ हो सकती हैं। ऐसी परिस्थिति में बालक को निर्देशन सेवा की आवश्यकता पड़ती है। इस स्तर पर बालक से जुड़े सभी व्यक्तियों, जैसे- शिक्षक, निर्देशन प्रदाता, अभिभावक, चिकित्सा कर्मचारी, विद्यालय कर्मचारियों सभी में सामन्जस्य होना चाहिए। संक्षेप में, प्राथमिक स्तर पर निर्देशन सेवा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

(i) बच्चों को विद्यालय के नीति-नियमों, रीति-रिवाजों आदि के अनुसार ढालने में सहायता प्रदान करना।

(ii) विभिन्न प्रकार के कार्यकर्ताओं, जैसे- शिक्षक, चिकित्सा – कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता, अभिभावकों तथा निर्देशन प्रदाता आदि के कार्यों में तालमेल स्थापित करना।

(iii) विद्यालयी क्रियाओं के प्रति छात्रों में उचित सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।

(iv) बालक के शारीरिक, मानसिक एवं सांवेगिक स्थिरता के विकास में सहायता प्रदान करना।

(v) विद्यालय में छात्रों की समायोजन सम्बन्धी समस्याओं को पता करना तथा नियन्त्रित करना।

(vi) बच्चों में स्वावलम्बन की भावना विकसित करना।

(vii) बच्चों में सहयोग की भावना विकसित करना।

(viii) शिक्षा के अगले स्तर के लिए छात्रों को तैयार करना। इस दृष्टि से उच्च स्तर से सम्बन्धित विभिन्न सूचनाओं, जैसे- उच्च स्तर की कक्षाओं के पाठ्यक्रम, विद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों सम्बन्धित पुस्तकों तथा सूचना विवरणिका एवं पुस्तिकाओं को बच्चों एवं उनके अभिभावकों में वितरित करना

(2) माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवा के उद्देश्य (Objectives of Guidance Service at Secondary Level) 

छात्र प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त कर माध्यमिक स्तर में प्रवेश करता है। इस स्तर पर निर्देशन का कार्यक्षेत्र प्राथमिक स्तर की अपेक्षा अधिक व्यापक और विस्तृत हो जाता है। इस स्तर पर बालक को व्यक्तिगत, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, व्यावसायिक आदि अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं का समाधान अति आवश्यक होता है। इस स्तर पर इन समस्याओं के निस्तारण के लिए निर्देशन की व्यापक एवं संगठित सेवाओं की आवश्यकता सदैव बनी रहती है।

माध्यमिक स्तर निर्देशन सेवा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं- (i) विद्यालयी जीवन से परिचित कराने का उद्देश्य (Objective of Introducing New School Life) – प्राथमिक स्तर से निकलकर बालक जब नए विद्यालय में प्रवेश लेता है तो वह वहाँ के जीवन से अपरिचित होता है। उसे नए साथियों एवं नई व्यवस्था के साथ समायोजन स्थापित करना होता है। अतः इस स्तर पर निर्देशन सेवा का उद्देश्य इन सब कठिनाइयों को दूर करना है।

(ii) विषय चयन में सहायता का उद्देश्य (Objective of Helping in the Selection of the Subjects) – इस स्तर पर आकर विद्यार्थियों को विषय चयन करने में समस्या उत्पन्न होती है। विषयों की अनेकता एवं विशिष्टीकरण भी विषय चयन में कठिनाई उत्पन्न करता है। अतः इस स्तर पर निर्देशन सेवा का उद्देश्य छात्रों को विषय चयन में सहायता प्रदान करना है।

(iii) पाठ्य सहगामी क्रियाओं के विषय में निर्देशन का उद्देश्य (Objective of Guidance of Co-curricular Activities)- छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए इस स्तर पर पाठ्य सहगामी क्रियाओं, जैसे- खेलकूद, सांस्कृतिक क्रिया-कलाप, वाद-विवाद, सामाजिक कार्य, भ्रमण आदि को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। अतः निर्देशन सेवा का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों को इन सब क्रियाओं से परिचित कराना एवं सहभागिता हेतु प्रोत्साहित करना है जिससे बालकों के शारीरिक एवं मानसिक विकास को उचित दिशा मिल सके।

(iv) स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूर्ण करने का उद्देश्य (Objective of Fulfilling the Health Related Needs of Students)- निर्देशन सेवा का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य यह भी है कि वह बच्चों के स्वास्थ्य से सम्बन्धित आवश्यकताओं पर ध्यान दें एवं उनमें उत्पन्न स्वास्थ्य-सम्बन्धी विकारों की सूचना समय रहते सम्बन्धित व्यक्ति को दें जिससे शीघ्रता के साथ उचित कार्यवाही की जा सके।

(v) वातावरण निर्माण का उद्देश्य (Objective of Creating Environment)- क्रो एवं क्रो का मानना है कि किशोर एवं युवावस्था के अनुसार शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना अति आवश्यक है जिससे छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जा सके एवं उसे योग्यतानुसार विषय चुनने में सहायता दी जा सके।

(vi) संवेगात्मक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं का उद्देश्य (Objective of Emotional and Individual Needs)- शिक्षा के माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थी किशोरावस्था (Adolescence) में प्रवेश करता है। इसके परिणामस्वरूप बालक में अनेकों संवेगात्मक एवं व्यक्तिगत आवश्यकताएँ उत्पन्न होती हैं।

अतः निर्देशन सेवाओं का एक यह भी उद्देश्य है कि वह छात्रों की इन आवश्यकताओं से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान कर सकें। किशोरावस्था को वैसे भी तनाव, तूफान एवं संघर्ष की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में विद्यार्थी अनेक समस्याओं से जूझता है। ऐसे में निर्देशन सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं।

(vii) सहयोग/समन्वय का उद्देश्य (Objective of Coordination)- बालकों की समस्याओं के समाधान में सहयोग की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यह सहयोग सभी प्रकार के स्तरों के निर्देशन में होना चाहिए। इस प्रकार निर्देशन सेवा का एक उद्देश्य यह भी है कि निर्देशन सेवा से सम्बन्धित सभी व्यक्तियों / कार्यकर्ताओं में आपस में उचित सहयोग की भावना विकसित कर सके। कार्यकर्ताओं के मध्य विकसित यही सहयोग की भावना आगामी स्तर पर दिए जाने वाले निर्देशन के लिए ठोस आधार का कार्य करता है।

(viii) रिकार्ड सुरक्षित रखने का उद्देश्य (Objective of Maintaining the Records)- विद्यालय में छात्रों के विकास, शिक्षा, मनोवैज्ञानिक विकास, सांस्कृ तिक क्रिया-कलापों से सम्बन्धित सूचनाओं को रखना अति आवश्यक होता है। ऐसा इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि विद्यार्थियों के विकास से सम्बन्धित रिकार्ड के आधार पर ही निर्देशन कार्यक्रम को चलाया जा सकता है। इसलिए विद्यालयी निर्देशन सेवा के कार्यकर्ताओं का एक उद्देश्य यह भी है कि वे छात्रों के प्रगति सम्बन्धित रिकार्ड को सुरक्षित रखें।

(3) महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर पर निर्देशन के उद्देश्य (Objective of Guidance at College and University Level)

शिक्षा का माध्यमिक स्तर पार कर छात्र महाविद्यालयी शिक्षा में जब प्रवेश करता है तब वह किशोरावस्था से युवावस्था में पहुँच चुका होता है और उसके व्यक्तित्व का स्वरूप निर्धारित हो चुका होता है। इस स्तर पर अधिकतर युवकों में पर्याप्त गम्भीरता, उत्तरदायित्व का बोध, उद्देश्य निर्धारण, सफलता-असफलता का अर्थ आदि स्पष्ट रूप से आ चुके होते हैं किन्तु बहुत से छात्र ऐसे होते हैं जिन्हें इसका बोध नहीं होता है कि वे कॉलेज स्तर की शिक्षा क्यों ले रहे हैं? वे आगे और क्या कर सकते हैं? वे प्रायः अपनी पढ़ाई को व्यर्थ मानने लगते हैं। उन्हें इस स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इस स्तर पर होने वाली समस्याओं के आधार पर निर्देशन सेवा के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं-

(i) छात्रों को महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया आदि से सम्बन्धित आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध कराना।

(ii) छात्रों को विषय चयन में सहायता प्रदान करना जिससे वे अपने भावी कार्यक्रमों का निर्धारण कर लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

(iii) महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तरीय पाठ्य सहगामी क्रियाओं (Co-curricular Activities) के विषय में जानकारी प्रदान करना।

(iv) छात्रों को व्यावसायिक एवं पेशागत सूचनाएँ प्रदान करना जिससे वे अपने भविष्य के कार्यक्रम का निर्धारण कर सकें

(v) छात्रों को उनकी आर्थिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायता प्रदान करना।

(vi) विद्यार्थियों को उपलब्ध छात्रावास सम्बन्धी सुविधाओं से अवगत कराना एवं उनके निवास सम्बन्धी समस्याओं का निवारण करना।

(vii) छात्रों के परीक्षण की व्यवस्था करना।

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