अपकृत्य में प्रतिनिधित्व दायित्व Vicarious liability in Torts in hindi
प्रतिनिधिक दायित्व से अभिप्राय उस दायित्व से है जो किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा किये गये कृत्य के कारण उत्पन्न हुआ हो। कुछ परिस्थितियों में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किये गये अपकृत्य के लिये व्यक्ति को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। सामण्ड के अनुसार-“सामान्यतया व्यक्ति अपने ही कृत्यों के लिए उत्तरदायी होता है। किन्तु कुछ ऐसे भी अपवाद हैं जब कानून उस पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किये गये कार्य का उत्तरदायित्व मानता है, भले ही वह कितना ही निर्दोष क्यों न रहा हो।”
प्रतिनिधिक दायित्व निम्नलिखित सिद्धान्तों पर आधारित है-
1. क्वी फासिट पर एलियम फेसिट पर सी (Qui facit per alium facit per se)-इस कथन का अभिप्राय यह है कि “जो व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के माध्यम से कार्य करता है वह कानून की दृष्टि से स्वयं कार्य करने वाला होता है।” मालिक एवं नौकर के सम्बन्ध में नौकर के कृत्यों के लिए मालिक को इसी सिद्धान्त के अनुसार उत्तरदायी माना जाता है।
2. रेस्पोन्डेन्ट सुपीरियर (Respondent superior)- इस कथन का अभिप्राय यह है कि यदि अपकृत्य कर्ता को कृत्य करने का अधिकार किसी सुपीरियर अथवा प्रधान से मिला था तो प्रधान को ही उत्तरदायी माना जाना चाहिये। इस प्रकार कार्य-व्यापार में नौकर द्वारा किये गये कार्य मालिक द्वारा किये गये समझे जाने चाहिये। एजेण्ट के द्वारा किये गये कार्यों के लिए प्रधान (Principal) तथा एजेन्ट दोनों ही सम्मिलित रूप से एवं अलग-अलग उत्तरदायी माने जाते हैं।
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