अपकृत्य विधि (Law of Tort)

अभिज्ञान का सिद्धान्त क्या है? doctrine of identification in hindi

अभिज्ञान का सिद्धान्त क्या है?
अभिज्ञान का सिद्धान्त क्या है?

अभिज्ञान का सिद्धान्त क्या है? doctrine of identification in hindi

अभिज्ञान का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के अनुसार यदि मैं किसी स्वतन्त्र प्रसंविदाकार की सेवाओं को ग्रहण कर रहा हूँ और वह प्रमाद से परिपूर्ण है तो मेरा अभियान उस स्वतन्त्र प्रसंविदाकार के साथ किया जायेगा। और मेरे विपरीत योगदायी उपेक्षा की प्रतिरक्षा प्रस्तुत की जा सकेगी।

हाउस ऑफ लार्ड्स ने इस सिद्धान्त को बर्निना मिल्स बनाम आर्मस्ट्रांग के वाद में अभिव्यक्त रूप से अस्वीकार कर दिया था। इस मामले में दो जहाज अपनी-अपनी गलती एक दूसरे से भिड़ गये जिसके परिणामस्वरूप इनमें से एक जहाज के दो यात्री समुद्र में डूब गये। मृतक व्यक्तियों के उत्तराधिकारियों को उस जहाज के स्वामी से, जिस पर वे नहीं थे, प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकारी माना गया। योगदायी उपेक्षा की प्रतिरक्षा के प्रयोजन के लिये मृतकों को उनके वाहक की उपेक्षा (असावधानी) के निमित्त अभिज्ञानित नहीं किया गया।

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