प्राकृतिक और मानव निर्मित वस्तुएँ
(NATURAL AND HUMAN MADE THINGS)
प्राकृतिक और मानव निर्मित वस्तुएँ – अर्थ तथा उदाहरण | meaning & examples of Natural & Human -made things
1. प्राकृतिक वस्तुएँ (Natural Things)
जो वस्तुएँ हमें प्रकृति से प्राप्त होती हैं तथा जिनमें हम किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं कर सकते अर्थात् प्रकृति के द्वारा यह जैसी उत्पन्न होती हैं उनका हम उसी रूप में प्रयोग करते हैं। कुछ प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग हम निःशुल्क (free), कोई भी मूल्य दिए बिना कर सकते हैं। ये वस्तुएँ प्राकृतिक संसाधन कहलाती हैं।
उदाहरण-
- हवा या वायु जिस पर हमारा जीवन निर्भर करता है। एक मुफ्त प्राकृतिक संसाधन है जिसका प्रयोग हम सांस लेने के लिए करते हैं।
- पेड़-पौधे भी प्राकृतिक संसाधन हैं। पेड़-पौधों से हमें फूल, फल, सब्जी प्राप्त होती है। पेड़-पौधों का प्रयोग हम औषधि और दवाइयों को बनाने के लिए करते हैं। पेड़ों को काटकर इसकी लकड़ी का प्रयोग हम फर्नीचर; जैसे— मेज, कुर्सी, पलंग आदि बनाने के लिए करते हैं।
- मृदा या मिट्टी एक निःशुल्क प्राकृतिक संसाधन है जिसका प्रयोग हम घर बनाने के लिए या मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए करते हैं।
- झील, नदी या तालाब का पानी भी एक निःशुल्क संसाधन है जिसका प्रयोग हम बिना परिवर्तन या संशोधन किये कर सकते हैं।
2. मानव निर्मित वस्तुएँ (Human Made Things)
कुछ वस्तुएँ प्रकृति से स्वतः उत्पन्न होती हैं और कुछ को मनुष्य बनाता है। मनुष्य द्वारा बनायी गयी वस्तुओं में जीवन नहीं होता है। ऐसी वस्तुओं को मानव निर्मित वस्तुएँ कहते हैं।
उदाहरण-
(1) प्लास्टिक—आजकल हमारे दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएँ प्लास्टिक से बनने लगी हैं। प्लास्टिक वे पदार्थ होते हैं जिन्हें सुगमता से साँचे में ढालकर किसी भी वांछित आकृति में ढाला जा सकता है। रासायनिक रूप से प्लास्टिक उच्च अणु भार वाला असंतृप्त हाइड्रोकार्बन है।
प्लास्टिक के प्रकार
1. थर्मोप्लास्टिक— जो प्लास्टिक पदार्थ दुबारा गर्म करने पर मुलायम हो जाते हैं तथा किसी भी वांछित आकृति में बार-बार ढाले जा सकते हैं उन्हें थर्मोप्लास्टिक कहते हैं, जैसे— पालीविनाइल क्लोराइड (PVC)
2. थर्मोसेटिंग प्लास्टिक– वे प्लास्टिक पदार्थ जो एक बार किसी आकृति में ढाल दिये जायें तो दुबारा गर्म करने पर मुलायम नहीं होते हैं उन्हें थर्मोसेटिंग प्लास्टिक कहते हैं, जैसे— यूरिया, बैकलाइट
उपयोगी प्लास्टिक के उदाहरण-
- पालीथीन
- पालीविनाइल क्लोराइड
- टैफ्लान
- पोलीप्रोविलीन
(2) काँच– काँच एक पारदर्शक पदार्थ है इसको गर्म करने पर यह न जलता है और न पिघलता है। काँच एक पारभाषी अक्रिस्टलीय पदार्थ है जो विभिन्न ऐल्कली सिलिकेटों और ठोस सिलिकेटों के संकलन से प्राप्त किया जाता है। इसमें ऐल्कली क्षार सामान्यतः सोडियम और पोटैशियम तथा बेस कैल्शियम लेड अथवा जिंक के होते हैं।
काँच बनाने की विधि— साधारण काँच बनाने के लिये रेत, कपड़े धोने का सोडा और चूने का पत्थर उचित अनुपात में मिलाकर पीस लेते हैं। फिर इन्हें भट्टियों में गलाते हैं। इस द्रव्य को 120 से 80°C तक ठंडा करते हैं। फर्मे से इन्हें वांछित आकार प्रदान किया जाता है। साधारण काँच के निर्माण में निम्न अभिक्रिया होती है-
Na2CO3 + CaCO3 + 6SiO2 + Na2O.CaO.6SiO2 + 2CO2
काँच के प्रकार
काँच के प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. मृदु काँच— इसका प्रयोग काँच के बर्तन बनाने में होता हैं।
2. कठोर काँच— इसका उपयोग बीकर, परखनली, उच्च तापरोधी उपकरण बनाने में होता है।
3. फ्लिण्ट काँच— इसका उपयोग प्रिज्म लेन्स बनाने में करते हैं।
(3) साबुन- रोमवासियों को लगभग 2000 वर्ष पूर्व साबुन जैसे पदार्थ का ज्ञान था ये लोग बकरी की चर्बी तथा करंज की लकड़ी की राख से साबुन जैसा पदार्थ बनाते थे। वनस्पति तेल या वसा की अभिक्रिया कास्टिक सोडा या कास्टिक पोटाश से करते हैं तो इन उच्च वसीय अम्लों से सोडियम तथा पोटैशियम लवण प्राप्त होते हैं, इन्हीं लवणों को साबुन कहते हैं।
वसा अथवा तेल + क्षार → उच्च वसीय अम्ल के लवण (साबुन + ग्लिसरीन)
साबुन बनाने की विधियाँ
साबुन बनाने की निम्नलिखित विधियाँ हैं-
1. ठंडी विधि— इस विधि में लोहे के पात्र में सोडियम डाइऑक्साइड का ठंडा प्रवल विलयन, लाई, मिलाते हैं। इसमें साधारण साबुन बनाया जाता है।
2. गर्म विधि- इस विधि द्वारा उत्तम कोटि का साबुन बनाया जाता है। लोहे के पात्र में तेल या वसा को गर्म करते हैं। गर्म तेल में लाई की आवश्यक मात्रा धीरे-धीरे डालते हैं, मिश्रण गाढ़ा होने पर NaCl का संतृप्त विलयन मिलाते हैं। इससे साबुन विलयन के ऊपर तैरने लगता है। इससे मैदा, विरोजा, उचित, रंग, सुगंधित पदार्थ मिलाते हैं, ठंडा करने पर बटि्टयों के रूप में काट लेते हैं।
अच्छे साबुन के गुण-
- साबुन चिकना, मुलायम होना चाहिए।
- साबुन में क्षार नहीं रहना चाहिए वो त्वचा को नुकसान पहुँचाते हैं।
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