Essay on Internet in Hindi- इंटरनेट पर निबंध
प्रस्तावना
आज मनुष्य प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है। जीवन के हर क्षेत्र में हमें जीवन की सभी सुविधाएँ तथा आराम प्राप्त हो रहे हैं। विज्ञान का एक आधुनिकतम एवं क्रान्तिकारी अविष्कार इन्टरनेट है, जो एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण, बलशाली एवं गतिशील सूचना माध्यम है।
इन्टरनेट प्रणाली का अर्थ
इन्टरनेट एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण, गतिशील तथा बलशाली सूचना का माध्यम है। यह अनेक कम्प्यूटरों का एक जाल होता है जो उपग्रहों, केवल तन्तु प्रणालियों, लैन एवं वैन प्रणालियों एवं दूरभाषों द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। आज सूचना प्रसारण के इस तेज गति के दौर में इन्टरनेट की उपयोगिता चरम सीमा पर है। आज का कोई भी व्यक्ति, देश अथवा वर्ग ‘इन्टरनेट’ प्रणाली से अछूता नहीं है। सभी इसके महत्त्व के कायल हो चुके हैं।
इन्टरनेट की वर्तमान स्थिति-
इन्टरनेट का शुभारम्भ सन् 1969 में ‘एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसिस’ द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके की गई थी। इसका विकास मुख्यतया शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। इसके पश्चात् कुछ पुस्तकालय तथा कुछ निजी संस्थान भी इससे जुड़े गए। इन्टरनेट का जाल फैलाने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान ‘बैल लैब्स’ (Bell Labs) का है और उसमें इससे सम्बन्धी अनुसन्धान अभी तक जारी है। वर्तमान समय में भारत में लगभग 1,50,000 इन्टरनेट कनैक्शन है तथा लगभग 21.59 मिलियन टेलीफोन लाइने कार्यरत हैं। एक टेलीफोन को लगभग 10 व्यक्ति प्रयुक्त करते हैं। 2.159 मिलियन लोगों को इन्टरनेट कनैक्शन लगवाने की उम्मीद है।
इन्टरनेट के प्रमुख भाग
इन्टरनेट के कुछ प्रमुख भाग इस प्रकार है-मुख्य सूचना कम्प्यूटर (Server), मोडम (Modem), टेलीफोन, क्षेत्रीय नैटवर्क (LAN) अथवा वृहत क्षेत्रीय नैटवर्क (WAN) उपग्रह संचार एवं केवल नैटवर्क। आज ज्यादातर मुख्य सूचना कम्प्यूटर (Server) अमरीका में स्थापित है तथा पूरे संसार के उपग्रहों के माध्यम से जुड़े हैं। इन्टरनेट को देखने अथवा सूचना इकट्ठा करने के कार्य को ‘सर्किंग’ कहते हैं। इन्टरनेट पर ‘सर्किंग’ कार्य कोई मुश्किल काम नहीं है किन्तु सूचनाएँ इन्टरनेट पर डालने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का कार्य बेहद जटिल है।
इन्टरनेट के लाभ
इन्टरनेट द्वारा वैब संरचना (Web Designing), इलैक्ट्रॉनिक मेल (E-mail) तथा इलैक्ट्रॉनिक कॉमर्स (E-com) जैसे कार्य किए जाते हैं। आज इन्टरनेटों के कार्यक्रमों की बेहद माँग है तथा अनेक भारतीय युवा विदेशों में इन्टरनेट की कम्पनियों के लिए सॉफ्टवेयर एवं अन्य उपयोगी कार्यक्रम बनाने में संलग्न हैं। आज इन्टरनेट द्वारा बिजली, पानी, राशन, LIC, सभी के बिल जमा किए जा रहे हैं। इन्टरनेट से विज्ञान, शिक्षा एवं व्यवसाय के क्षेत्र में सभी कार्य होने लगे हैं जिससे काफी हद तक युवाओं के बीच बेकारी की समस्या का समाधान हो रहा है। आज इन्टरनेट की मदद से ही कई लोग घर बैठे अच्छा पैसा कमा रहे हैं। आज यूरोप तथा अमेरिका में SOHO (Small Office Home Office) की तकनीक प्रयोग की जा रही है तथा राशन तक का सामन खरीदने के लिए भी इन्टरनेट प्रयोग किया जा रहा है। भारत में भी यह तकनीक जल्द ही पूर्णतया विकसित हो जाएगी।
इन्टरनेट सेवाओं का मूल्यांकन-
इन्टरनेट व्यवस्था प्रदान करने वाली व्यवस्था को ‘इन्टरनेट सर्विसेज प्रोवाईडर’ (ISP) कहते हैं। भारतवर्ष में बी. एस.एन.एन. नामक आई.एस.पी. को अप्रैल 1986 में प्रारम्भ किया गया था। आज सत्यम्, आई.एस.पी., मुन्ना ऑन लाइन आदि भी ग्राहकों को अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भी सस्ते दामों पर इन्टरनेट सेवाएँ प्रदान कर रहा है। इसके अतिरिक्त देश के दूसरे जिलों व प्रान्तों में भी इन्टरनेट गेटवे खुल रहे हैं।
इन्टरनेट के दुष्परिणाम
हर वस्तु की भाँति इन्टरनेट के लाभों के साथ हानियाँ भी जुड़ी हैं। सर्वप्रथम अधिक देर तक नैट पर सर्किंग करने से आँखों की रोशनी धीमी पड़ सकती है। इन्टरनेट में । जनवरी 2000 से जीवाणु (Virus) क्रियाशील हो चुके हैं जो अधिक ‘नेट’ प्रयोग में लाने से कम्प्यूटर सिस्टम को भी खराब कर सकते हैं। दूसरी तरफ आज का युवा वर्ग नैट पर ज्ञानवर्धक जानकारियाँ हासिल करने के स्थान पर अश्लील बातें ज्यादा देख रहा है, जिससे उनका नैतिक पतन हो रहा है। इन्टरनेट द्वारा व्यवसाय करना अभी जोखिम भरा कार्य है क्योंकि जरा सी चूक होने पर काफी नुकसान सकता है।
उपसंहार
निःसन्देह आज का युग विज्ञान के नवीन चमत्कारों का युग है। आज अनेक समाचार-पत्र व पत्रिकाएँ भी ‘इन्टरनेट’ पर आ चुके हैं। अब तो सरकारें भी इस क्षेत्र में आगे आ रही है तथा भारत सरकार के अतिरिक्त कई राज्य सरकारें एवं विदेशी सरकारों की ‘बेबसाइट’ इन्टरनेट पर प्राप्त की जा सकती है। आज ‘नेट’ कार्यकुशलता, सूचना एवं व्यवसाय का पर्याय बन है। यदि इन्टरनेट का प्रयोग सीमित तथा संयमित रूप में किया जाए चुका तो इसके लाभ ही लाभ हैं, हानियाँ तो हमारी स्वयं की पैदा की हुई है।
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