ज्वालामुखी की संरचना को समझाते हुए पृथ्वी के ज्वालामुखी बताइये।
ज्वालामुखी – पृथ्वी तल पर होने वाली आकस्मिक प्राकृतिक घटनाओं में ज्वालामुखी प्रमुख है। ज्वालामुखी भूपटल पर एक गोल छिद्र या दरार खुली होती है। इससे होकर पृथ्वी के अत्यन्त तप्त भूगर्भ से गैसें, तरल लावा, ऊष्ण जल, चट्टानों के टुकड़े, राख तथा धुआँ निकलता है। जिस छिद्र से उपरोक्त पदार्थ निकलते हैं उसे ज्वालामुख या क्रेटर कहते हैं और सारी प्रक्रिया को ज्वालामुखी कहा जाता है। पृथ्वी के आन्तरिक भाग गर्म हैं। इस गर्मी के तीन कारण माने जाते हैं-
(1) पृथ्वी के बनने के समय से ही आन्तरिक भाग गर्म है।
(2) पृथ्वी के अन्दर रेडियोधर्मी खनिज पदार्थों के टूटते रहने के कारण गर्मी बढ़ती रहती है।
(3) पृथ्वी की बाहरी परतों के दबाव के कारण भी आन्तरिक भाग गर्म है। वैज्ञानिकों के अनुसार भू-पर्पटी अनेक टुकड़ों में विभाजित है।
इन टुकड़ों को प्लेट कहते हैं। आन्तरिक गर्मी के कारण ये प्लेटें खिसकती रहती हैं। पृथ्वी पर ज्वालामुखी एवं भूकम्प होने का कारण इन प्लेटों का खिसकना है। प्लेटों के खिसकने से भू-पटल कमजोर हो जाता है और पृथ्वी के अन्दर से मैग्मा, चट्टानों के टुकड़े, राख आदि पदार्थ ऊपर आ जाते हैं। इन्हें हम ज्वालामुखी के उद्गार कहते हैं। यह शक्ति धरातल को तोड़कर भूगर्भ की पिघली चट्टानों के मैग्मा को लावा में बदल देती है।
ज्वालामुखी के प्रकार
ज्वालामुखी का उद्भेदन नियमित रूप से नहीं होता। कभी होता है, कभी नहीं होता। इसलिये इसे तीन भागों में विभाजित किया जाता है-
1. सक्रिय ज्वालामुखी
जिन ज्वालामुखियों से एक बार उद्भेदन होने के बाद निरन्तर समय-समय पर उद्भेदन होते रहते हैं, उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी कहते हैं। इटली के एटना तथा स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी इसके उदाहरण हैं।
2. अर्द्धसक्रिय या प्रसुप्त ज्वालामुखी
ये वे ज्वालामुखी हैं जिनसे कई बार उद्भेदन के बाद उद्भेदन की समस्त क्रियाएँ कुछ समय के लिये बन्द हो जाती हैं किन्तु अकस्मात पुनः उद्भेदन हो जाता है। इन्हें अर्द्धसक्रिय या प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते हैं। इटली का विसूवियस ज्वालामुखी इसका उदाहरण है।
3. विसुप्त या शान्त ज्वालामुखी
जिन ज्वालामुखियों में एक बार उद्भेदन होने के बाद लम्बे समय तक उद्भेदन नहीं होता तथा पुनः उद्भेदन की सम्भावना भी नहीं होती ऐसे ज्वालामुखी विसुप्त या शान्त ज्वालामुखी कहलाते हैं। अफ्रीका का किलीमंजारों पर्वत इसका उदाहरण है।
सर्वाधिक ज्वालामुखी प्रशान्त महासागर के चारों ओर तटीय भागों तथा महाद्वीपीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इसलिये इस पेटी को अग्निवलय कहा जाता है।
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