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On Shaking Hands By A G Gardiner Summary Of The Essay In Hindi

On Shaking Hands By A G Gardiner Summary Of The Essay In Hindi
On Shaking Hands By A G Gardiner Summary Of The Essay In Hindi

On Shaking Hands By A G Gardiner Summary Of The Essay In Hindi

निबन्ध का सारांश

On Shaking Hands By A G Gardiner Summary Of The Essay In Hindi: निबन्धकार, A. G.Gardiner अपने निबन्ध ‘On Shaking Hands‘ में हाथ मिलाने के प्रथा का वर्णन कर रहा है। उनके अनुसार यद्यपि हाथ मिलाना एक अच्छा चलन है फिर भी यह आलोचना से स्वतन्त्र नहीं है। जबकि यह प्रथा एक मित्रवत् चलन है लेकिन व्यावहारिक तौर पर सफाई के दृष्टिकोण से इस चलन के खिलाफ बोला जाता है। अधिकांश हम हाथ किसी के मिलने की खुशी का इजहार करने के लिए मिलाते हैं या फिर जब हम किसी से जुदा होने पर मिलाते हैं। निबन्धकार का मानना है कि संसद का छोटा कोई निर्णय ही हमें बड़ी दण्ड जो हाथ मिलाने की वजह से मिले बचा सकता है।

सामान्यतया इस दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपना पूरा जीवन बिना किसी से हाथ मिलाये बिता देते हैं। शायद कुछ लोग अपना पूरा जीवन बिना हाथ मिलाये व्यतीत कर सकते हैं। निबन्धकार हमें किसी को सम्बोधित करने के भिन्न तरीकों के बारे में बताता है; जैसे जापानी झुककर सम्बोधन करते हैं और भारतीय सलाम करते हैं, चाइनीज व्यक्ति हाथ मिलाकर सम्बोधित करते हैं, जबकि अरब के व्यक्ति अपने व्यक्ति की छाती पर हाथ रखकर सम्बोधित करते हैं। लेकिन साथ ही एक देश के सम्बोधित करने का तरीका दूसरे देश में असभ्य या अभद्र माना जा सकता है; जैसे-जापानी प्रायः पश्चिमी देशों के व्यक्ति द्वारा हाथ मिलाकर अभिवादन करने को असभ्यता मानते हैं, वही जापानी द्वारा चुम्बन देकर अभिवादन कर प्राय: दूसरे देश में असभ्य माना जाता है। निबन्धकार Erasmus के निबन्ध का उदाहरण देता है जिसमें यह वर्णन करता है कि किस तरह Tudor England के लोग एक-दूसरे को चुम्बन देते हैं तथा यह चुम्बन आध्यात्मिक तथा पुजारियों द्वारा आनन्द से स्वीकार किया जाता है। निबन्धकार एक चुम्बन अभिवादन का उदाहरण देता है जो उसने Prince Kropotkin के घर पर देखा था। यह उनका 70वां जन्मदिन था। निबन्धकार नोटिस करता है कि वृद्ध और दाढ़ी वाले व्यक्ति आते हैं और उस राजकुमार को चुम्बन करते हैं, साथ ही वह राजकुमार भी वापस उन्हें ऐसे ही चुम्बन देता है।

चुम्बन लेने की प्रक्रिया नैतिक तरीके पर स्वीकार करने योग्य नहीं है। लेकिन निबन्धकार मानता है कि अंग्रेज व्यक्ति कभी भी हाथ मिलाकर अभिवादन करने की प्रक्रिया पर बहस नहीं करते। निबन्धकार का मानना है कि बिना हाथ मिलाकर अभिवादन करने का अभिप्राय किसी पर गुस्सा दिखाना या किसी पवित्र चीज का असम्मान करना है। यह ऐसा लगता है कि कोई प्रशस्तिपत्र बिना मोहर के हो या ऐसा निष्क्रिय एवं ठण्डा (नीरस) जैसे सौतेली माँ की श्वांसें या ऐसा Official पत्र जो type किया हुआ हो तथा उस पर हस्ताक्षर भी type किये हुए हों। ऐसा प्रतीत होता है कि बिना हाथ मिलाये हुए हम अपने हाथों के प्रति ही विद्रोह कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि हम अपने हाथों को जंजीर या हथकड़ी लगाते हैं या उनके भाई से हाथ मिलाने के स्वाभाविक अधिकार का ले रहे हैं। निबन्धकार स्वास्थ्य की बुनियाद पर हाथ मिलाने की आलोचना करता है।

हमें गर्म, साफ, नीरस, सुकड़े हुए Skinny एवं स्फूर्तिदायक हाथों से हाथ मिलाने को वरीयता नहीं देनी चाहिए। भय एवं घृणा जिनके साथ uriah हमारे युवा मस्तिष्क को भरता रहता है उसको वह बिना किसी अन्य अवस्था के मात्र हाथ के छूने के माध्यम से अन्य तक पहुँचाता था। यह ठण्डे, सीलन भरे हाथ जो हमें नैतिक रूप से तीव्र घृणा एवं रेंगने वाली बातों से भयभीत कर देते हैं। निबन्धकार कहता है कि हाथ मिलाना कभी-कभी प्रदूषण, बेईमानी या कभी-कभी साहस भी दर्शाता है।

अब निबन्धकार हमें हाथ मिलाने के विभिन्न तरीकों तथा उनके प्रतीकात्मक अर्थों को बताता है। कुछ विशिष्ट अथवा महान् लोग हाथ मिलाने स्वयं की विवेचना करते प्रतीत होते हैं। ऐसा लगता है कि हाथ मिलाकर वे कुछ खोज रहे हैं। निबन्धकार हमको एक प्रकाशक Peaker का उदाहरण देता है जो अपना हाथ आगे बढ़ाकर आगे बढ़ता है तथा उसको अन्य के हाथ में इस प्रकार दे देता है मानो वह इससे छुटकारा पाना चाहता है। निबन्धकार यह बता रहा है कि हमारा हाथ मिलाना इस बात का प्रतीक है कि यह ठंडा या गर्म हाथ मिलाना है या अभिवादन का साधन है। निबन्धकार के अनुसार हाथ मिलाना पारस्परिक होना चाहिए। यह jelly fish की भाँति एक पक्षीय नहीं होना चाहिए। दूसरी ओर निबन्धकार हमारे समक्ष उस खुशमिजाज व्यक्ति का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है जो प्रत्येक व्यक्ति का बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत करता है। कभी-कभी हम लोगों से ढीला हाथ मिलाते हैं और दूसरे लोग उसको इतनी जोर से दबाते हैं कि हमारे हाथ की हड्डियाँ दुखने लगती हैं। कुछ अन्य लोग ढीला या लटका हुआ हाथ मिलाते हैं जो इतना स्फूर्तिदायक तथा स्नेह से पूर्ण होता है कि यह पता नहीं चलता कि कब जाये। कुछ लोग इस प्रकार हाथ मिलाते हैं कि तुम्हें कंपकपी आ जाती है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे तुम हाथ मिलाने का जुर्माना भर रहे हो।

निबन्ध के अन्तिम भाग में A.G. Gardiner यह बताता है कि हाथ मिलाना किसी व्यक्ति के अभिवादन करने का हर्षित तरीका है जैसा कि पूरब के देशों के लोगों का सलाम है तथा रूस के लोगों का आलिंगन है और यह अरब लोगों के अंगुलियों के पोरों से छूने से कम सम्मान दर्शाता है। यह ऐसा ही है जैसे कोई आशीर्वाद के शब्द बोल रहा है। परन्तु हम हाथ मिलाने के औपचारिक तरीके के विषय में जो कुछ कह रहे हैं या आलोचना कर रहे हैं, उसके सिद्ध करने के लिए हमें बहुत अधिक चिकत्सकीय प्रमाण की आवश्यकता है। इससे पूर्व कि हम वह कहना रोकें जो हमारे कवि कहते हैं कि मेरे विश्वसनीय मित्र के लिए एक हाथ है और मेरे पश्चात् सहायता के लिए तुम्हरा हाथ है।

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