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प्रदूषण को नियंत्रित करने में व्यक्ति की भूमिका

प्रदूषण को नियंत्रित करने में व्यक्ति की भूमिका
प्रदूषण को नियंत्रित करने में व्यक्ति की भूमिका

प्रदूषण को नियंत्रित करने में व्यक्ति की भूमिका

हम दैनिक जीवन में अनेक प्रकार से पर्यावरण संकट पैदा करने में सहायक होते हैं जिन्हें नियन्त्रित करने की आवश्यकता है। यथा,

(1) वायुमण्डल को साफ और इसमें कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि हम अधिक चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ लगायें और पेड़ों को काटने के प्रयास का विरोध करें। यदि पेड़ काटना अत्यन्तावश्यक हो तो एक पेड़ की जगह कम-से-कम तीन पेड़ लगायें। यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि एक पेड़ को लगाने में कम-से-कम तीन से पाँच साल लगते हैं जबकि काटने में पाँच मिनट।

(2) दैनिक जीवन में ऐसी चीजों का उपयोग करें जो कि कम संसाधनों का उपयोग करती हों। पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन दें।

(3) कीटनाशक का उपयोग कम करें और यदि उपयोग करें तो वह भी तब जबकि यह अत्यन्त आवश्यक हो। याद रखें कि कीटनाशक हमारे लिए भी हानिकारक हैं।

(4) ऊर्जा बचायें। पेट्रोल उपयोग करने वाले वाहन की जगह यदि सम्भव हो तो पैदल चलें या फिर साइकिल का उपयोग करें। लिफ्ट का उपयोग भी कम करें। याद रखें कि इस तरह ऊर्जा बचाने हे हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर रह सकता है। जब आवश्यक न हो तो बल्ब, हीटर, पंखा, एयरकंडीशनर बन्द कर दें।

(5) कीटनाशक, पेंट, विलायक एवं अन्य हानिकारक रसायनों को नाली में न बहायें। इनको इस प्रकार नष्ट करें कि पर्यावरण को कम-से-कम हानि हो ।

(6) पॉलीथीन के थैले पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। इनका उपयोग कम-से-कम करें। इसके स्थान पर पुराने अखबार से बने लिफाफे, कपड़े के थैले आदि का उपयोग करें।

(7) पेड़-पौधों की डालियों, रसोई से निकलने वाले छिलके आदि का उपयोग गड्डा बनाकर खाद उत्पादन के लिए करें।

(8) छोटे समूह बनाकर लोगों में पर्यावरण चेतना का विकास करें और उन्हें समझायें कि किस प्रकार हम पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है।

(9) लोगों को केवल उपदेश ही न दें, उन्हें अपने आदर्श व्यवहार से प्रेरित करें।

(10) किसी वस्तु का उपयोग करते समय यह देखना आवश्यक है कि वह किन स्रोतों का दोहन करके हम तक आ रही है और इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है।

(11) नहाते समय बाथटब का उपयोग बहुत अधिक जल का उपयोग करता है। उसकी जगह बाल्टी में पानी लेकर नहाने से कम पानी खर्च होता है। बहते जल की अपेक्षा मग या लोटे में पानी लेना कम पानी का उपयोग करता है। इसी तरह से फर्श धोने की अपेक्षा अनेक बार पोंछा लगाकर काम चलाया जा सकता है।

(12) सभी जीव रूपों से प्रेम करना चाहिए और उनका संरक्षण करना चाहिए। हम आसानी से साँप को देखते ही मार देते हैं जबकि पर्यावरण में वह अहम् भूमिका निभाता है। इसी प्रकार हम सफाई के नाम पर इतने कीटनाशक प्रयोग करते हैं जो कि अनेक सूक्ष्मजीवियों, कीटों आदि को नष्ट कर देते है।

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