प्राकृतिक संसाधन किसे कहते है ?
ऐसे पदार्थ जो मनुष्य को प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त होते हैं, ‘प्राकृतिक संसाधन’ कहते हैं। मिट्टी, जल, वायु, वनस्पति, जीव-जन्तु और खनिज पदार्थ प्राकृतिक संसाधन के अन्तर्गत आते हैं। ये समस्त वस्तुएँ मानव के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं। मानव ही समस्त प्राकृतिक संसाधनों का उपभोक्ता, सृजनकर्ता और विनाशकर्ता है। इस तरह से प्रकृति की समस्त वस्तुएँ जो स्वयं निर्मित होती हैं जिन्हें मनुष्य उत्पन्न नहीं करता बल्कि अपने तकनीकी ज्ञान से उपयोगी और अपनी आवश्यकता पूर्ति का साधन बना लेता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं लेकिन जो संसाधन मनुष्य के लिए अभी उपयोगी नहीं हैं, उन्हें सम्भाव्य संसाधन’ कहते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन हम निम्न चार शीर्षकों के अन्तर्गत करेंगे-
(1) भूमि संसाधन (Land Resources)
(2) जल संसाधन (Water Resources) 3
(3) शक्ति संसाधन (Power Resources)
(4) खनिज संसाधन (Mineral Resources)
भूमि संसाधन
समस्त प्राकृतिक संसाधनों में भूमि सबसे मुख्य और आधारभूत संसाधन है। अन्य संसाधनों का जन्म, विकास और उपयोग भूमि पर ही होता है। भूमि संसाधन का मतलब पृथ्वी से है, जिस पर समस्त जीव निवास करते हैं और जीवन की समस्त आवश्यकताएँ जैसे-रोटी, कपड़ा और मकान को पूरा करते हैं। भारत का समस्त भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 करोड़ हेक्टेयर है। देश के कुल भूमि उपयोग सम्बन्धी आँकड़ों के अनुसार 92.7 भूमि उपयोग की जानकारी उपलब्ध है। आज से लगभग 8000 वर्ष पूर्व सम्भवत: 30% भू-भाग पर कृषि-कार्य होता था जो स्वतन्त्रता के पश्चात् बढ़कर 36%, बाद में 43.26% हो गया तथा 1996-97 में बढ़कर 66% हो गया। इसी प्रकार वन भूमि भी स्थिर नहीं रही। 1950-51 में 12.3%, 1993-94 में 24.58%, 1998-99 में घटकर 19.27% ही रह गयी। इसी तरह से भूमि के उपयोग के प्रारूप में समय-समय पर बदलाव आते रहे। इस प्रकार वर्तमान समय में कुल 51% भाग पर कृषि कार्य हो रहा है। यह आश्चर्यजनक सत्य है कि किसी भी देश में इतना अधिक कृषि क्षेत्रफल नहीं है जितना भारत में है। चीन संसार का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है परन्तु इसके केवल 11% भू-भाग पर ही खेती होती है, जो जनसंख्या के हिसाब से अत्यन्त कम है।
भूमि उपयोग (प्रतिशत में)
देश | कृषि योग्य भूमि | चरागाह भूमि | वन भूमि | बंजर भूमि | योग |
कनाडा | 5 | 2 | 33 | 60 | 100 |
चीन | 11 | 10 | 14 | 65 | 100 |
भारत | 51 | 4 | 20.55 | 24 | 100 |
जापान | 13 | 2 | 68 | 17 | 100 |
सं.रा. अमेरिका | 20 | 26 | 28 | 26 | 100 |
रूस | 10 | 17 | 42 | 31 | 100 |
उपर्युक्त तालिका का अध्ययन निम्नलिखित आँकड़ों के अनुसार करेंगे-
1. कृषि योग्य भूमि – भारत में कृषि भूमि अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है। यह अमेरिका से 1/2 गुना व सोवियत रूस से 4 गुना ज्यादा है। इतनी ज्यादा कृषि भूमि होते हुए भी भारत में खाद्यान्न समस्या बनी रहती है।
2. चरागाह भूमि – भारत में चरागाह भूमि कनाडा व जापान की अपेक्षा 2 गुनी है परन्तु अमेरिका व सोवियत रूस के मुकाबले 1/7 व 1/4 कम है। फिर भी भारत में पशुधन ज्यादा हैं, इसीलिए भारत में पशुओं की दशा अत्यन्त दयनीय है।
3. वन भूमि – भारत में वन भूमि अन्य देशों की अपेक्षा कम है। भारत में वनों को काटकर कृषियोग्य भूमि, आवास आदि बनाये जा रहे हैं, जिससे भारत में वन भूमि निरन्तर कम हो रही है।
4. बंजर भूमि – अन्य देशों की तुलना में भारत में बंजर भूमि का विस्तार अत्यन्त कम है। भारत में जनसंख्या की अधिकता के कारण बंजर भूमि का उपयोग लगातार हो रहा है, जिससे भारत में बंजर भूमि निरन्तर कम हो रही है। केवल जापान में भी कम बंजर भूमि पायी जाती है।
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