पर्यावरण विधि (Environmental Law)

वायु प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषा, स्रोत एवं प्रभाव What is Air pollution in hindi?

वायु प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषा
वायु प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषा

वायु प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषा, स्रोत एवं प्रभाव What is Air pollution? State its source and effect.

वायु प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषा-

विश्व में भारत को वायु मण्डल में निहित हवा एवं गैसें निःशुल्क रूप से प्राप्त होती हैं। जब मानवी एवं प्राकृतिक कारणों से वायु दूषित हो और वायुमण्डल प्रदूषण युक्त हो जाता है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।

प्रो० पाकिंग्स के अनुसार, “जब बाहरी स्रोतों से वायु मण्डल में अनेक प्रदूषक तत्व जैसे धुआँ, धूल, गैस, दुर्गन्ध आदि बड़ी मात्रा में लम्बे समय तक उपस्थित रहें तो मनुष्य, वृक्ष एवं जीव-जन्तुओं के लिए हानिकारक होकर मनुष्य के सुखी जीवन एवं सम्पत्ति के लिए बाधा उत्पन्न करने लगते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन– “वायु प्रदूषण वह स्थिति है जिसमें सम्पूर्ण वायुमण्डल में मानव एवं पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्व सघन रूप से एकत्र हो जाये तो उसे वायु प्रदूषण
कहते हैं।”

वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत-

वायु प्रदूषण के मुख्यतः दो स्रोत हैं-

1. प्राकृतिक स्रोत-

वायु प्रदूषण केवल मानवीय क्रियाओं द्वारा ही उत्पन्न नहीं होता बल्कि प्राकृतिक स्रोत भी वायुमण्डल को बड़ी मात्रा में प्रदूषित करते हैं। जैसे-ज्वालामुखी से निकला लावा, चट्टानों के टुकड़े, जीव-जन्तुओं की मृत्यु के बाद फैली दुर्गन्ध, भिन्न-भिन्न प्रकार की गैसें, राख एवं धूल के कण वायुमण्डल को प्रदूषित कर देते हैं। इसमें सर्वाधिक वायु प्रदूषण ज्वालामुखी की गैसों से उत्पन्न होता रहता है। धुआँ एवं राखी मनुष्य की आँखों के लिए नुकसानदाक है तो प्राणियों को सांस लेने में कठिनाई का अनुभव होता है। ध्यान रहे वनों में लगने वाली आग भी वायुप्रदूषण का एक स्रोत है, क्योंकि इससे उत्पन्न धुआँ एवं राख के कण सम्पूर्ण वायुमण्डल को प्रदूषित कर देते हैं। इतना ही नहीं आँधी से भी धूल के कण प्रदूषण का एक कारण होते हैं। इस प्रकार यह कह सकते हैं कि प्राकृतिक स्रोतो से वायु प्रदूषण मानवीय स्रोत की तुलना में सीमित मात्रा में हानि पहुंचाते हैं।

परिवाहन सधनों से- स्वचालित वाहनों में पेट्रोल, डीजल आदि का प्रयोग करने से बड़ी मात्रा में धुआँ फैलता है, जो वायुमण्डल में फैलकर वायु प्रदूषण उत्पन्न करता है। घरेलू कार्यों से वायु प्रदूषण- जीवन में घरेलू कार्य के लिए ऊर्जा का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है।

उद्योगों से वायु प्रदूषण- औद्योगिक क्रान्ति से मानव को अनेक वस्तुएँ उपलब्ध हो रही हैं जो सुख प्रदान करती है। लेकिन इनके पीछे झाँककर देखें कि उत्पादन क्रिया से वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ जो अनेक प्रकार की गैसों के रूप में वायुमण्डल को दूषित कर रहा है।

विद्युत गृहों द्वारा वायु प्रदूषण- विद्युत गृहों द्वारा बड़ी मात्रा में कोयला, प्राकृतिक गैस एवं खनिज तेल का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे बिजली के बदले में राख, नाइट्रोजन, सल्फर एवं कार्बन डाई आक्साइड वायुमण्डल को निरंतर प्रदूषित कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव- जब वायुमण्डल प्रदूषित हो जाता है तो उसका दुष्प्रभाव सम्पूर्ण जीव-मण्डल में मुख्य रूप से मानव, वन्य प्राणियों एवं वनस्पतियों पर दिखाई पड़ता है। वायु प्रदूषण के निम्न कुप्रभाव स्पष्ट दिखाई देते हैं।

मानव जाति पर वायु प्रदूषण का प्रभाव-

मानव का श्वसन क्रिया से जीवन पर्यन्त का प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। जब वायु अशुद्ध होगी तो उसके स्वास्थ्य पर कुप्रभाव सुनिश्चित है, क्योंकि श्वसन क्रिय से वायु प्रदूषण मानव के शरीर तें प्रवेश कर रोगों को जन्म देते हैं। वर्तमान वायु प्रदूषण मानव के लिए विशेष खतरे की घंटी है। क्योंकि विकसित देश जहाँ । पर्यावरण संरक्षण देकर वायुमण्डल को स्वच्छ रखते हैं, वायु विकासशील देशों में वायु प्रदूषण के समय में प्रति जागरूकता का इतना अभाव है कि ऐसे देशों में मनुष्य द्वारा आग जलाने, गाड़ियों के द्वारा निरन्तर धुआँ निकलने, ईट भट्टों की चिमनियों द्वारा निरन्तर वायु प्रदूषण हो रहा है। इतना ही नहीं विषाक्त गैसें जैसे जहरीली कचरा खुला पड़ा रहता है, जिसके कारण फेफड़े खराब होना, अस्थमा, टी.बी., कैंसर, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग, आँखों के रोग आदि बढ़ते ही जा रहे हैं।

2. वनस्पति पर वायु प्रदूषण का कुप्रभाव-

वायुमण्डल का प्रदूषित होना केवल मानव जाति के लिए ही हानिकारक नहीं है, बल्कि वनस्पतियों एवं पौधों पर भी वायु प्रदूषण का कुप्रभाव पड़ता है। आपको मालूम है कि वायुमण्डल में वायु प्रदूषण के अनेक तत्वों के अलावा कुछ आकृतिक प्रदूषक तत्व भी हैं, जैसे अम्लीय वर्षा, कोहरा, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर आदि पौधों की क्रियाओं को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इतना ही नहीं सूर्य की तीव्र गर्मी भी पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। वायु प्रदूषण में केवल धुएँ का प्रदूषण पत्तियों को पेड़ों से जल्दी गिराना, पत्तियों का आकार छोटा हो जाना, फलों का न पकना एवं अपरिपक्व अवस्था में गिर जाने आदि में सहायक हैं। ये इसके प्रत्यक्ष प्रभाव हैं। क्योंकि वायु प्रदूषण के कारण पौधों को पर्याप्त भोज नहीं प्राप्त हो पाता, जिससे वे नष्ट हो जाते हैं।

3. वायुमण्डल पर कुप्रभाव-

पर्यावरण अध्ययन में वायुमण्डल का विशेष महत्व है। जब वायुमण्डल वायु प्रदूषण से दूषित हो जाता है तो इसका सबसे बड़ा कुप्रभाव जलवायु पर पड़ता है। आज यही कारण है कि विश्व की जलवायु दशाओं में परिवर्तन हो रहा है। इतना ही नहीं हिमखण्ड तेजी से पिघल रहे हैं। समुद्री जल स्तर बढ़ रहा है। वायु की गति एवं वायु मण्डल का तापमान आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

4. जीव जन्तुओं पर वायु प्रदूषण का कुप्रभाव-

मानव की भाँति वन्य जीव-जन्तु भी श्वसन क्रिया करते हैं। जब उनके शरीर में वायु प्रदूषण से उत्पन्न गैसें अथवा कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं तो उनकी मृत्यु सुनिश्चित है, क्योंकि वन्य जीवों अथवा छोटे जन्तुओं की स्वास्थ्य रक्षा नहीं की जाती है। वायु प्रदूषण से प्रायः उनकी हड्डियों तथा दाँतों में रोग उत्पन्न हो जाता है।

5. परिवहन पर वायु प्रदूषण का कुप्रभाव-

ध्यान रहे वायुमण्डल में वायु प्रदूषण एक गम्भीर समस्या है, क्योंकि इससे वायुमण्डल की दृश्यता कुप्रभावित होती है, क्योंकि जब वायु प्रदूषण के तत्व जैसे धुआँ, धूल कोहरा आदि बड़ी मात्रा में उत्पन्न हो जाते है तो पास की वस्तुएं भी न दिखाई देने के कारण प्राय: वाहन दुर्घनायें होती हैं। सर्दी में वाहनों का धुआँ नीचे ही रहता है, फलतः कोहरा छाया रहता है, जिसके कारण थल परिवहन ही बाधित ही नहीं होता बल्कि वायु उड़ाने भी रद्द हो जाती हैं।

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