इतिहास / History

राजा राममोहन राय कौन थे ? राजा राममोहन राय के कार्य-

राजा राममोहन राय कौन थे ? राजा राममोहन राय के कार्य-

राजा राममोहन राय कौन थे ?

राजा राममोहन राय कौन थे ?

राजा राममोहन राय कौन थे ?

राजा राममोहन राय आधुनिक भारत के निर्माता और भारत में नवजागरण के अग्रदूत थे । उनका जन्म 1772 ई. में बंगाल के राधानगर नामक स्थान पर हुआ था । उन्होंने फारसी, अरबी और संस्कृत भाषा का अध्ययन किया और सूफी, इस्लाम तथा ईसाई धर्मो से प्रेरणा प्राप्त की । आप अंग्रेजी भाषा और पाश्चात्य सभ्यता के समर्थक थे।

राजा राममोहन राय ने हिन्दू समाज और हिन्दू धर्म में व्याप्त अन्धविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने के लिए 1828 ई. में कलकत्ता में ब्रह्मसमाज’ नामक संस्था की स्थापना की थी । वे बाल विवाह, पर्दा प्रथा और सती प्रथा के प्रबल विरोधी थे । उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया । वे महान समाज सुधारक और सच्चे मानवतावादी थे।

राजा राममोहन राय के कार्य-

राजा राममोहन राय ने नवजागरण एवं समाज-सुधार की दिशा में निम्नलिखित कार्य किये –

(1) ब्रह्म समाज की स्थापना –

राजा राममोहन राय ने हिन्दू समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए एक नई संस्था ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। ब्रह्म समाज’ के अनुपम आदर्श और सिद्धान्तों में पुराने आदर्शों का भी समावेश था तथा नये तर्कसंगत नैतिक विचारों को भी पूर्ण महत्व दिया गया था । ‘ब्रह्म समाज’ के माध्यम से देश में नवजागरण का कार्य प्रारम्भ किया गया ।

(2) ‘ब्रह्म समाज’ के उच्च धार्मिक आदर्श –

राजा राममोहन राय ने ‘ब्रह्म समाज’ के धार्मिक आदर्श बहुत उच्चकोटि के बनाये थे । इनमें एकेश्वरवाद पर बल दिया गया और जाति-पाँति, बहुदेववाद एवं मूर्तिपूजा का जोरदार खण्डन किया गया । ब्रह्म समाज ने कर्मकाण्डों से विहीन तथा निर्गुण ईश्वर की उपासना पर बल दिया ।

(3) सामाजिक कुप्रथाओं की समाप्ति तथा समाज सुधार के कार्य –

राजा राममोहन राय पहले समाज सुधारक थे जिन्होंने सुदृढ़ संकल्प और प्रबल विश्वास के साथ भारत के अन्धविश्वासी समाज में नवचेतना का दीप जलाया । उन्होंने सती प्रथा, बाल विवाह, बहु विवाह एवं पर्दा प्रथा का जोरदार खण्डन किया । विधवा पुनर्विवाह को इन्होंने ही प्रोत्साहन दिया । राजा राममोहन राय ने जाति-पाँति के भेदभाव और छुआछूत की भावना को कम करने का भी अथक प्रयास किया ।

(4) पाश्चात्य शिक्षा और विज्ञान का समर्थन –

राजा राममोहन राय ने पाश्चात्य शिक्षा और विज्ञान का भी समर्थन किया । इन्होंने भारतीयों को विश्व के ज्ञान से परिचित कराने के लिए यूरोपीय ढंग से शिक्षा देने पर बल दिया ।

(5) विचारों की स्वतन्त्रता पर बल –

उस समय के लोगों के पास स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचारों की अभिव्यक्ति के साधन नहीं थे । पत्र- पत्रिकाएँ बहुत कम थीं । राजा राममोहन राय ने प्रेस की स्वतन्त्रता पर भी बल दिया।

(6) धर्म-सुधार –

राजा राममोहन राय ने धर्म के विकृत स्वरूप को संवारने हेतु अथक प्रयास किया । ईसाई मिशनरी भारतीय धर्म के स्वरूप को बिगाड़ रहे थे तथा हिन्दुओं को ईसाई बनाने में संलग्न थे । राजा राममोहन राय द्वारा संस्थापित ‘ब्रह्म समाज’ ने प्राचीन धर्म की श्रेष्ठता को स्थापित करके भारतीय धर्म की रक्षा की । इस प्रकार राजा राममोहन राय ने तत्कालीन समाज के प्रत्येक क्षेत्र में क्रान्तिकारी सुधार किये । वास्तव में आधुनिक भारत की नींव राजा राममोहन राय के हाथों रखी गई । वे सभी धर्मों के पोषक थे । ‘सर्वधर्म समभाव’ उनका आदर्श था । उन्होंने धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र को नवीन दिशा देकर भारत में नवजागरण के अग्रदूत’ बनने का सौभाग्य प्राप्त किया । नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के अनुसार, “राजा राममोहन राय भारत में नवचेतना के प्रवर्तक तथा दूत थे ।”

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